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मी निघालो हो कळफलक घेऊन.. |
परिकथेतील राजकुमार |
41 |
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शब्द शब्द गुम्फावेत असे |
वडा खालचा वडा |
1 |
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मोती बनतो शिंपल्यात |
वडा खालचा वडा |
0 |
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सरणाचो आराम देवानेच दिलेलो असा.. |
निश |
6 |
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रात्र |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
6 |
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दिसला गं बाई दिसला! |
अन्नू |
2 |
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अंधारात जाता जाता उगीच |
वडा खालचा वडा |
15 |
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बंडखोरी...! |
वेणू |
4 |
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सय नाही जात |
नरेंद्र गोळे |
3 |
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<<बिन-पाण्याची दाढी>> |
सुहास.. |
4 |
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चांदण्यांची धार |
पेशवा |
20 |
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एक कविता हरवलेली ... सापडली :) |
मस्तानी |
1 |
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गझल |
हारुन शेख |
13 |
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परिटघडी...! |
वेणू |
2 |
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देहबोली |
पेशवा |
2 |
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(कु)मन.... |
मुक्त विहारि |
2 |
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मन |
पेशवा |
24 |
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तुझी आठवण येते.... |
रसप |
4 |
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मन पाऊस पाऊस... (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
15 |
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नीतिमत्ता |
सहज |
21 |
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तुझी म्हातारी मेली तर मी काय करू.. |
परिकथेतील राजकुमार |
43 |
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सलगी |
अज्ञातकुल |
2 |
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उमज |
स्पंदना |
3 |
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गर्द नजरेची नार.. |
अभिजीत राजवाडे |
4 |
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स्वप्न अन सत्य |
पहाटवारा |
0 |
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प्रयत्न ..आता एकच !! |
जेनी... |
12 |
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विडंबना.. |
ajay wankhede |
5 |
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उगाच काहीतरी... |
झंम्प्या |
5 |
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आता कंटाळा आलाय.... |
झंम्प्या |
1 |
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बात निकलेगी तो फिर... (भावानुवाद) |
रसप |
8 |
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प्रार्थना.. आता एकच... |
५० फक्त |
20 |
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ए सुमनांचे राणी |
नरेंद्र गोळे |
12 |
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जो डाव आता, असे खेळला मी, तो दाविनच जिंकुनी |
नरेंद्र गोळे |
7 |
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तुझ्या प्रेमात सजणा |
नरेंद्र गोळे |
2 |
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पुन्हा डाव तू मांड, मी हारतो.. |
रसप |
3 |
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रोजच उशीर होतो! |
रसप |
12 |
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आयुष्य |
विदेश |
1 |
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प्रार्थना |
पेशवा |
25 |
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प्रवास जीवनाचा...! |
वेणू |
4 |
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बोंबा मारुक ह्यांचो आक्खो आयुष्य जाय... |
परिकथेतील राजकुमार |
56 |
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विडंबन करुक अक्खो दिवस जाय... |
निश |
43 |
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सिमोल्लंघनी ट्रेक |
नरेंद्र गोळे |
13 |
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तू घे विसावा जरा........! |
रसप |
9 |
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प्रोफाईल |
रसप |
11 |
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एप्रिल फूल - |
विदेश |
6 |
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( प्रवास विडंबनाचा....).. |
रामजोशी |
1 |
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ए माझे संजीवनी |
नरेंद्र गोळे |
10 |
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भारतका रहनेवाला हूँ |
तिमा |
10 |
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म्हणून ......!! |
फिझा |
3 |
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धरणी माय.... |
अमितसांगली |
7 |
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<उगा मारखा> |
रमताराम |
43 |
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बाळाचा चाळा- कंटाळा !!!!! |
बॅटमॅन |
24 |
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अल्लखकरण |
निनाद |
2 |
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मंद तारका |
अन्या दातार |
28 |
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असे शब्द होते.. तसे शब्द होते..! |
रसप |
9 |
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बीज अंकुरे अंकुरे.... (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
24 |
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माझी अधुरी कविता |
रसप |
6 |
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क्रुसावरिल माणिक |
ajay wankhede |
6 |
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तो |
अज्ञातकुल |
2 |
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भय इथले संपत नाही.. रसग्रहण |
गणेशा |
15 |
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ग्रेस!! |
शैलेन्द्र |
42 |
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तव चिंतनातही मी |
नरेंद्र गोळे |
15 |
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हाथरुणात शिरताना |
मूखदूर्बळ |
4 |
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... अस्तित्व माझे |
गणेशा |
18 |
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झाड झाडासवे बोले.. (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
8 |
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बावळे बुडाले धामी |
शरदिनी |
21 |
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ऒंजळीत हिरव्या काचा |
भारी समर्थ |
4 |
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क्षणभर! |
भारी समर्थ |
6 |
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" स्वप्नामधली जमाडीजंमत " |
विदेश |
3 |
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सामान्य ! |
चैतन्य दीक्षित |
9 |