मन |
पेशवा |
24 |
तुझी आठवण येते.... |
रसप |
4 |
मन पाऊस पाऊस... (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
15 |
नीतिमत्ता |
सहज |
21 |
तुझी म्हातारी मेली तर मी काय करू.. |
परिकथेतील राजकुमार |
43 |
सलगी |
अज्ञातकुल |
2 |
उमज |
स्पंदना |
3 |
गर्द नजरेची नार.. |
अभिजीत राजवाडे |
4 |
स्वप्न अन सत्य |
पहाटवारा |
0 |
प्रयत्न ..आता एकच !! |
जेनी... |
12 |
विडंबना.. |
ajay wankhede |
5 |
उगाच काहीतरी... |
झंम्प्या |
5 |
आता कंटाळा आलाय.... |
झंम्प्या |
1 |
बात निकलेगी तो फिर... (भावानुवाद) |
रसप |
8 |
प्रार्थना.. आता एकच... |
५० फक्त |
20 |
ए सुमनांचे राणी |
नरेंद्र गोळे |
12 |
जो डाव आता, असे खेळला मी, तो दाविनच जिंकुनी |
नरेंद्र गोळे |
7 |
तुझ्या प्रेमात सजणा |
नरेंद्र गोळे |
2 |
पुन्हा डाव तू मांड, मी हारतो.. |
रसप |
3 |
रोजच उशीर होतो! |
रसप |
12 |
आयुष्य |
विदेश |
1 |
प्रार्थना |
पेशवा |
25 |
प्रवास जीवनाचा...! |
वेणू |
4 |
बोंबा मारुक ह्यांचो आक्खो आयुष्य जाय... |
परिकथेतील राजकुमार |
56 |
विडंबन करुक अक्खो दिवस जाय... |
निश |
43 |
सिमोल्लंघनी ट्रेक |
नरेंद्र गोळे |
13 |
तू घे विसावा जरा........! |
रसप |
9 |
प्रोफाईल |
रसप |
11 |
एप्रिल फूल - |
विदेश |
6 |
( प्रवास विडंबनाचा....).. |
रामजोशी |
1 |
ए माझे संजीवनी |
नरेंद्र गोळे |
10 |
भारतका रहनेवाला हूँ |
तिमा |
10 |
म्हणून ......!! |
फिझा |
3 |
धरणी माय.... |
अमितसांगली |
7 |
<उगा मारखा> |
रमताराम |
43 |
बाळाचा चाळा- कंटाळा !!!!! |
बॅटमॅन |
24 |
अल्लखकरण |
निनाद |
2 |
मंद तारका |
अन्या दातार |
28 |
असे शब्द होते.. तसे शब्द होते..! |
रसप |
9 |
बीज अंकुरे अंकुरे.... (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
24 |
माझी अधुरी कविता |
रसप |
6 |
क्रुसावरिल माणिक |
ajay wankhede |
6 |
तो |
अज्ञातकुल |
2 |
भय इथले संपत नाही.. रसग्रहण |
गणेशा |
15 |
ग्रेस!! |
शैलेन्द्र |
42 |
तव चिंतनातही मी |
नरेंद्र गोळे |
15 |
हाथरुणात शिरताना |
मूखदूर्बळ |
4 |
... अस्तित्व माझे |
गणेशा |
18 |
झाड झाडासवे बोले.. (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
8 |
बावळे बुडाले धामी |
शरदिनी |
21 |
ऒंजळीत हिरव्या काचा |
भारी समर्थ |
4 |
क्षणभर! |
भारी समर्थ |
6 |
" स्वप्नामधली जमाडीजंमत " |
विदेश |
3 |
सामान्य ! |
चैतन्य दीक्षित |
9 |
....पुन्हा!! |
वेणू |
9 |
मिसळपाव करता करता |
JAGOMOHANPYARE |
9 |
मालवणी गजाली बरो... |
निश |
41 |
मैफिल नववर्षाची |
जयवी |
15 |
प्रतिशोध |
अज्ञातकुल |
11 |
(रे मना ..) |
गणेशा |
8 |
रे मना .. |
सांजसंध्या |
26 |
मिड्लाईफ क्रायसीस. |
शैलेन्द्र |
12 |
असाध्य स्वार्थ...! |
वेणू |
6 |
बळी राजाच देण ह्याजन्मि तरी फीटणार नाही. |
निश |
2 |
शूरवीर |
निश |
7 |
निसर्गकविता ३: कोसळल्या सरी.. दूर डोंगरमाथी... |
गणेशा |
9 |
उबेची पाखर... |
वेणू |
8 |
मॅसोचिस्ट कि मॅसोकिस्ट सौंदर्य : एक गूढ |
यकु |
17 |
पाटाला भसा भसा पानी |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
स्वप्नचित्र... |
सांजसंध्या |
18 |