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शब्द .. शब्द .. शब्द .. |
विदेश |
3 |
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श्रावण. |
रामदास |
16 |
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अंदाज तारखांचा, चुकला जरा असावा |
केशवसुमार |
36 |
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प्रवाह.... |
वेणू |
1 |
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पत्र |
मंदार दिलीप जोशी |
1 |
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तुझ्या विना |
आनंद भातखंडे |
2 |
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वारूळ |
पेशवा |
20 |
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मी तसाच पुढे निघालो… |
झंम्प्या |
1 |
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मुक्तके |
भरत कुलकर्णी |
2 |
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मी आहे!! |
मंदार दिलीप जोशी |
1 |
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सर्सर आल्या सरीत... |
चैतन्य दीक्षित |
12 |
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दवबिंदू..! |
वेणू |
11 |
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घरातल्या भिंतींना... |
झंम्प्या |
11 |
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आशा |
sneharani |
7 |
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संजीवक |
अज्ञातकुल |
2 |
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गनीम |
निळकंठ दशरथ गोरे |
1 |
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इशारा.. |
स्पंदना |
7 |
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एक होती चाळ... |
निश |
17 |
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निर्माल्य |
मंदार दिलीप जोशी |
9 |
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का ग धरिला |
अरुण मनोहर |
1 |
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पारिजातक |
मंदार दिलीप जोशी |
8 |
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वारीसोबत चार पावलं.... |
मन |
7 |
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खंड कपारी |
अज्ञातकुल |
7 |
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टप टप टप... |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
13 |
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कवितेचा एक प्रयोग |
रामदास |
21 |
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(कळले ते फंडे) |
नाना चेंगट |
10 |
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गुरु... |
अत्रुप्त आत्मा |
11 |
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जुनी गोष्ट... |
विदेश |
2 |
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कळले ते अंडे |
ऋषिकेश |
14 |
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तडफड |
ज्ञानोबाचे पैजार |
5 |
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बुगडी माझी सांडली गं या लावणीचे विडंबन |
कान्होबा |
1 |
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गंध फुलांचा |
मंदार दिलीप जोशी |
9 |
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" हे माझे पंढरपूर ! " |
विदेश |
2 |
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हे कसे? ते कसे? |
पेशवा |
6 |
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वाडा |
पेशवा |
11 |
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अंतरीची हूरहूर .... |
स्वर भायदे |
0 |
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गंधार घेतले तू |
सांजसंध्या |
4 |
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बोगदा |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
9 |
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स्थलान्तर करणार्या पक्षाला.... |
अरुण मनोहर |
4 |
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जमणार नाही ... !!! |
नाना चेंगट |
30 |
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तीट! |
चैतन्य दीक्षित |
9 |
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अंगाई मज गाती.. |
सांजसंध्या |
7 |
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बाप्पाचा प्रॉब्लेम...! |
झेल्या |
10 |
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विसंगतींचे संदर्भ...! |
झेल्या |
18 |
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देव वाटला- असुर निपजला !! |
विदेश |
7 |
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(प्रतिसादांचे........) |
अरुण मनोहर |
4 |
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दुष्काळ... |
झंम्प्या |
6 |
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मी बोर्ड बोलतोय... |
अत्रुप्त आत्मा |
34 |
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आहेस तू जगी हे दाखव कधी कधी.. |
प्राजु |
13 |
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फुलांचे..! |
उपटसुंभ |
4 |
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माझेच घर टाळून नभातून मेघ निघाले होते |
रसप |
11 |
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स्वप्नांचे.. |
उपटसुंभ |
3 |
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असणं! |
वेणू |
2 |
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" अजून आहे लहान मी... ! " |
विदेश |
13 |
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जनता मागते भीक आहे. |
निश |
3 |
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उशीर |
डॉ अशोक कुलकर्णी |
7 |
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"...कविता कविता कविता..." |
विदेश |
1 |
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साखर |
अरुण मनोहर |
6 |
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मिसळपावची चोरी |
चित्रगुप्त |
3 |
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सत्यमार्गा उजळुनी आम्हास तारा बापुजी |
JAGOMOHANPYARE |
8 |
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माणसान्चा देव |
अत्रुप्त आत्मा |
15 |
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आपण सारे अर्जुन... |
वेणू |
10 |
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का लिहितो मी कविता? |
रसप |
17 |
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मन भरून गेले प्रेमाने मी रिताच होतो ना? |
रसप |
3 |
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" | पालखीच्या सोहळ्यात | " |
विदेश |
3 |
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निसर्गकविता ४: पाऊस |
गणेशा |
4 |
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"चिंता करतो मिपाची.." |
चिगो |
17 |
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नकार |
स्पंदना |
19 |
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निराकार |
अज्ञातकुल |
5 |
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दुष्काळ |
शैलेन्द्र |
8 |