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....पुन्हा!! |
वेणू |
9 |
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मिसळपाव करता करता |
JAGOMOHANPYARE |
9 |
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मालवणी गजाली बरो... |
निश |
41 |
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मैफिल नववर्षाची |
जयवी |
15 |
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प्रतिशोध |
अज्ञातकुल |
11 |
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(रे मना ..) |
गणेशा |
8 |
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रे मना .. |
सांजसंध्या |
26 |
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मिड्लाईफ क्रायसीस. |
शैलेन्द्र |
12 |
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असाध्य स्वार्थ...! |
वेणू |
6 |
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बळी राजाच देण ह्याजन्मि तरी फीटणार नाही. |
निश |
2 |
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शूरवीर |
निश |
7 |
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निसर्गकविता ३: कोसळल्या सरी.. दूर डोंगरमाथी... |
गणेशा |
9 |
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उबेची पाखर... |
वेणू |
8 |
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मॅसोचिस्ट कि मॅसोकिस्ट सौंदर्य : एक गूढ |
यकु |
17 |
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पाटाला भसा भसा पानी |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
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स्वप्नचित्र... |
सांजसंध्या |
18 |
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जगणे असेच का असते? |
निश |
11 |
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ते एक घर... |
निश |
25 |
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नभांगण...!! |
वेणू |
15 |
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म्याबी कवि होनार |
दादा कोंडके |
13 |
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काशीबाई काशीबाई |
पाषाणभेद |
4 |
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मी पप्पा |
पाषाणभेद |
1 |
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अजि ये प्रोभाते - आज पहाटे रविकर आला |
यकु |
21 |
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ती वेळ निराळी होती . . . .. |
अरूण म्हात्रे |
55 |
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रक्तगंध |
प्रचेतस |
41 |
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तेव्हा येईल अर्थ खरा जगण्याला |
गोंधळी |
4 |
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खेळ नियतींचा |
अविनाशकुलकर्णी |
13 |
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प्रेमात ''हे'' -असच असतं ;-) |
अत्रुप्त आत्मा |
9 |
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जोवरी |
अज्ञातकुल |
10 |
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आज कुणी का राम व्हावे |
सांजसंध्या |
24 |
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<गोवरी> |
यकु |
3 |
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बालपण...? |
पक पक पक |
14 |
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प्रेमात हे असेच असते |
गोंधळी |
15 |
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रेशमी सलवार कुडता जाळीचा |
नरेंद्र गोळे |
8 |
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"रागावली ती !" |
निमिष सोनार |
3 |
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भिववया येते मज |
सांजसंध्या |
30 |
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मजल |
यकु |
19 |
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" चार चारोळ्या - " |
विदेश |
4 |
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कोण येथे गुरुवर्य ? |
गणेशा |
7 |
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बालपण |
संदीप२७ |
3 |
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.....सखे....... |
कानडाऊ योगेशु |
9 |
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टुकारघोडे! (हझल) |
गंगाधर मुटे |
14 |
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मिठी... |
हर्षद आनंदी |
5 |
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बाटली |
हर्षद आनंदी |
27 |
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रस्ता |
सांजसंध्या |
20 |
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एक कविता |
राजो |
5 |
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स्वप्नांस बाप आहे .! |
५० फक्त |
30 |
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लावणी: शिटी मारून |
पाषाणभेद |
11 |
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स्वप्नांस शाप आहे............! |
सांजसंध्या |
70 |
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मन-झोपाळा |
अज्ञातकुल |
4 |
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संवाद करते मी विश्वेश्वराशी ..! |
सांजसंध्या |
12 |
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का? का? का? |
पाषाणभेद |
4 |
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आकाश उजळले होते,,, |
अन्नू |
3 |
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(का? का? का?) |
पाषाणभेद |
8 |
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आजची रात्र... |
चाणक्य |
8 |
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अंबरात फिरुनिया उगवतो.... |
सांजसंध्या |
15 |
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देखणी |
अज्ञातकुल |
5 |
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माझा देश |
ajay wankhede |
5 |
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निःशब्द |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
6 |
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मुक्तिबंध |
रेशा |
8 |
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(तू तेव्हा तशी) |
अरुण मनोहर |
3 |
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राजकारणी अन आपण.......... बरोबर ना ?? |
अमितसांगली |
53 |
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ऐल-पैल |
क्रान्ति |
24 |
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सह्याद्रीच्या रांगामधूनी सूर्य उगवतो मराठीचा |
गणेशा |
11 |
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आठवड्यातून भरनारया बाजारासारखे ..!! |
प्रकाश१११ |
4 |
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वाघ्या मी मुरळी देवाची ग तू |
पाषाणभेद |
6 |
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(हातसफाई - एक समृद्ध प्रयत्न) |
पाषाणभेद |
3 |
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निर्णय |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
12 |
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निवडणुक... |
अत्रुप्त आत्मा |
7 |
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" आज मराठी भाषा- दीन ! " |
विदेश |
8 |