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नवरा नाही काही कामाचा |
भरत कुलकर्णी |
2 |
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रत्नांच्या बघ राशी झाल्या.. |
प्राजु |
9 |
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जात जात जात |
रमताराम |
44 |
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आमचा दुष्काळ |
भरत कुलकर्णी |
0 |
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...पाऊसगाणे... |
विदेश |
0 |
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उत्सव |
अज्ञातकुल |
5 |
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पागोळी |
अज्ञातकुल |
3 |
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वाळलेले दोन गजरे.. |
सांजसंध्या |
31 |
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नियती |
हरवलेल्या जहाजा... |
5 |
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Blood Hymns - 1 |
हरवलेल्या जहाजा... |
28 |
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काय चुकतंय ? |
वैशाली . |
20 |
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पुढे माणसांचे यशू-बुद्ध होते |
गंगाधर मुटे |
11 |
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ऐन वसंतात .... |
मनिषा_माऊ |
6 |
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लाच लाच लाच |
निश |
6 |
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दूर-आशा |
अज्ञातकुल |
3 |
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थोडी सुखी, थोडी कष्टी |
शरद |
12 |
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माझ्या निसर्गास.. |
वेणू |
3 |
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सतावणारा प्रश्न तुझा " मी जाऊ " |
रघु सावंत |
3 |
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कातर वेळ |
अनिरुद्धशेटे |
4 |
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कापला रेशमाच्या सुताने गळा |
गंगाधर मुटे |
4 |
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दुष्काळी शेतकऱ्याचे मनोगत ... |
अमितसांगली |
9 |
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रमतारामाची आरती |
नाना चेंगट |
84 |
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निःशब्द तळ्याच्या काठी |
संजय क्षीरसागर |
13 |
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झालरी |
अज्ञातकुल |
1 |
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सुप्तनाते |
गंगाधर मुटे |
8 |
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स्त्री मन.. |
प्रभाकर पेठकर |
12 |
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ए गोळी मार अनुवादकाला |
परिकथेतील राजकुमार |
49 |
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काकस्पर्श |
रसप |
6 |
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(स्त्री मन) |
नाना चेंगट |
4 |
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एक पत्रकथा: भाग दुसरा |
वेणू |
12 |
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निवडुंग |
अज्ञातकुल |
3 |
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निवांत |
अरुण मनोहर |
4 |
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सुप्रभात .. शुभ रजनी ... |
विदेश |
2 |
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कविता करताना... |
सुहास.. |
4 |
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तीन गझला |
JAGOMOHANPYARE |
4 |
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झ झ झ झ झोपडीत |
राजेश घासकडवी |
28 |
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चिरजीवीत कहाणी |
अज्ञातकुल |
7 |
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आनंदास मुकतो मतलबी दुष्ट चेहर्यांच ऐकुन. |
निश |
19 |
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मुख न लपवून जगा |
नरेंद्र गोळे |
23 |
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होत आहे विश्व माझे... |
चैतन्य दीक्षित |
12 |
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" तो एक पदर मायेचा ... " |
विदेश |
0 |
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(एक चारोळी) |
कुंदन |
12 |
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दोन चारोळ्या - |
विदेश |
2 |
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सख्या हो दिलवरा तल्वार दुर धरा |
पाषाणभेद |
9 |
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चांदण्या रात्रीतले |
नरेंद्र गोळे |
26 |
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एक रस्ता असाही ... |
निश |
7 |
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|| अवतार शंकरमहाराज || |
पाषाणभेद |
15 |
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आठवांची अंतरीची रांग आहे लांबडी |
JAGOMOHANPYARE |
4 |
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जुळले अजून आहे |
जयवी |
17 |
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अंदोलने |
अज्ञातकुल |
2 |
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का रे असा अबोल तू |
नरेंद्र गोळे |
9 |
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मोहोळ |
जयवी |
8 |
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( नको देव राया , राज्यसभा पाहू ) |
अमोल केळकर |
47 |
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पुढे ही अनभिज्ञ तू |
नरेंद्र गोळे |
13 |
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मी बघत बसतोय माझ्या मुलाकडे ....!!.. |
प्रकाश१११ |
6 |
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एक उनाड दिवस... (अष्टाक्षरी) |
वेणू |
13 |
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पानी आनाया जावू कशी |
पाषाणभेद |
4 |
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जगणे सुरात आले |
गंगाधर मुटे |
18 |
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खरच मी लढणार... |
निश |
8 |
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काय करू मी माझ्या दिलामधे घकधक होते |
पाषाणभेद |
4 |
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देवदूत |
पेशवा |
3 |
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संस्कृती |
सार्थबोध |
4 |
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दुष्काळाच्या झळा |
पाषाणभेद |
5 |
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उंच माझा झोका .. |
अरूण म्हात्रे |
25 |
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प्रेम करतो मी तुझ्यावर मनात |
वडा खालचा वडा |
5 |
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राधा |
पेशवा |
1 |
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स्पंदन |
अज्ञातकुल |
3 |
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या आईला तर काही, काही कळत नाही .. |
सांजसंध्या |
15 |
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पैंजणवाले जप जरा |
नरेंद्र गोळे |
1 |
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व्यर्थ शब्द |
पेशवा |
9 |