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जीवन रत्नाचे!! |
फिझा |
3 |
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सख्या मला सवे तुझ्या |
मकरन्दबेहेरे |
4 |
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तीन विरंगुळ्या |
विदेश |
1 |
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रानातल्या फुलांचा |
अत्रुप्त आत्मा |
11 |
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(सावली) |
प्रचेतस |
14 |
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(काय साला त्रास आहे!) |
मेघवेडा |
37 |
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वसा.. |
प्राजु |
14 |
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चित्र |
मकरन्दबेहेरे |
3 |
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(ऐल-पैल) |
चतुरंग |
21 |
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सावली |
मकरन्दबेहेरे |
1 |
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पुन्हा एकदा |
अज्ञातकुल |
4 |
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ही जिवाला आस आहे |
विजुभाऊ |
37 |
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अर्घ्य |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
5 |
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भरारी |
navinavakhi |
9 |
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घेऊ कसा उखाणा ..? |
मनीषा |
4 |
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वसा |
क्रान्ति |
27 |
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खेळ दैवाचा.... |
हर्षद प्रभुदेसाई |
6 |
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इवल्या इवल्या बाळाचे |
विदेश |
3 |
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सुंदर चित्र ..!! |
प्रकाश१११ |
8 |
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तंत्टामुक्त गाव |
उमेश कुचेकर |
3 |
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इति प्रेमपुराण संपले |
विदेश |
23 |
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का? |
गोमटेश पाटिल |
28 |
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वैषम्य |
अज्ञातकुल |
6 |
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ये र बालां |
ब्रिटिश |
36 |
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म्हातारा बसलेला असतो ...!! |
प्रकाश१११ |
2 |
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प्रेयसी |
विवेकखोत |
9 |
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खुणा |
अज्ञातकुल |
4 |
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जगण |
मयुरपिंपळे |
10 |
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चान्दरात |
शिल्पा१९७३ |
6 |
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हि तर सुंदर कविता झाली ! |
अविनाश खेडकर |
4 |
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गरीब बिचार्या, दम खा |
धनंजय |
14 |
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चेतना |
अज्ञातकुल |
2 |
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ती खरी का मी खरा ..? |
प्रकाश१११ |
1 |
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मीही हलवाई होणार |
प्रचेतस |
9 |
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एक कविता |
दत्ता काळे |
3 |
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असा मी तसा मी भाग-३ |
अविनाश खेडकर |
0 |
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मन |
navinavakhi |
1 |
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मेंढीताई मेंढीताई |
विदेश |
3 |
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<< बसकी >> |
सुहास.. |
15 |
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जीवन असेच पुढे सरकत असते...!! |
प्रकाश१११ |
3 |
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एकदा वाटलं कविता करावी... |
प्यारे१ |
16 |
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तरीबी तिच्यायला आमी येक कविता करनार !! |
शाहरुख |
35 |
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गुपित |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
1 |
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आसुया |
अज्ञातकुल |
1 |
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अखेर |
अज्ञातकुल |
9 |
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सुटका |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
6 |
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( चापट गालाले लागते ) |
जीएस |
32 |
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(भाव(खावू)गीत):फेसबुकमुळे |
पाषाणभेद |
3 |
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पुन्हा एकदा... सलाम सबको सलाम !! |
सुहास झेले |
11 |
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का असे हे घडले ? |
navinavakhi |
2 |
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थोडे मजला कळाया लागले. |
अविनाशकुलकर्णी |
3 |
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कोण होती ती.... (७) |
फिझा |
0 |
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कोण होती ती.... ( ६) |
फिझा |
0 |
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सखा |
navinavakhi |
1 |
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शब्द हे अबोल |
स्वर भायदे |
0 |
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कोण होती ती.... ( ५) |
फिझा |
2 |
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युगलगीत: गार गार वारा अंगाला झोंबला |
पाषाणभेद |
3 |
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थापाच मारणारा - |
विदेश |
0 |
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एका सागराची कथा |
अश्फाक |
4 |
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कोण होती ती.... (४) |
फिझा |
0 |
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कला बघा कलाकारांची |
पाषाणभेद |
11 |
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मी कागदावर सांडत गेलो |
अविनाश खेडकर |
6 |
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कोण होती ती.... (3) |
फिझा |
3 |
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मैत्री |
navinavakhi |
5 |
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जीव माझा गुंतला आहे |
navinavakhi |
4 |
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आठव |
navinavakhi |
4 |
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तो क्षण |
navinavakhi |
1 |
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बालपणीचा गाव |
navinavakhi |
1 |
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चाहूल |
navinavakhi |
1 |
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बहरलेला वृक्ष होतो एकदा मी छानसा |
विदेश |
2 |