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पाहायचं आहे |
जागु |
9 |
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मनात वसलेला गुलमोहर |
क्रान्ति |
16 |
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टाहो |
अरुण वडुलेकर |
6 |
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वांड्गनिश्चय |
जागु |
2 |
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|| शिवराज्याभिषेक || |
मनीषा |
8 |
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एका लग्न समारंभाची सफर (भाग ४ अंतिम) |
जागु |
15 |
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विरह |
अरुण वडुलेकर |
1 |
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चारोळ्या |
स्वप्निल मन |
4 |
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वर्णन (तमाशातले सवाल जबाब): पुन्हा लेखन |
पाषाणभेद |
0 |
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झाले गेले विसरुनी जाऊन |
पाषाणभेद |
3 |
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कसं सांगू ....? |
अरुण वडुलेकर |
3 |
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पत्रांमधुनी |
क्रान्ति |
12 |
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आली पन्नाशी! |
बहुगुणी |
21 |
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लाज |
ऋषिकेश |
17 |
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पण म्हणुन काय झालं.....? |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
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<यज्ञधुनी> |
पिवळा डांबिस |
14 |
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आज अचानक सर्व्हर गंडे |
लिखाळ |
9 |
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अवगुंठन |
जयवी |
12 |
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वाट चुकलेलें कोंकरूं |
अरुण वडुलेकर |
11 |
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आजी ! |
अ-मोल |
12 |
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स्वातंत्र्यवीर |
विशाल कुलकर्णी |
5 |
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चार चारोळ्या |
स्वप्नयोगी |
2 |
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सामुद्रधुनी |
शरदिनी |
18 |
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धूतवस्त्रांकिता |
शरदिनी |
20 |
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संसदेच्या शाळेत... |
अविनाश ओगले |
13 |
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मनासारखे |
क्रान्ति |
17 |
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रात्र |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
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मोक्ष |
विशाल कुलकर्णी |
10 |
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(चंपी) |
चतुरंग |
22 |
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थांबुनी येथे जराशी |
घाशीराम कोतवाल १.२ |
1 |
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सुख |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
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लडखडगीत |
चतुरंग |
4 |
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गडबडगीत |
ॐकार |
7 |
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प्रतिसाद पाहुनी मी झालो पसार नाही |
केशवसुमार |
15 |
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कोण म्हणाले |
विजुभाऊ |
5 |
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लिलाव.....! |
विशाल कुलकर्णी |
7 |
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जखम |
स्वप्नयोगी |
5 |
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मौन तुझे |
क्रान्ति |
6 |
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(काळजी) |
चतुरंग |
6 |
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अर्थ |
स्वप्नयोगी |
4 |
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नयनी तुझ्या |
ऋषिकेश |
13 |
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जमा खर्च |
विशाल कुलकर्णी |
4 |
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खेळ मनाचा |
जयवी |
10 |
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यावा अशात साजण |
जयवी |
12 |
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असा फिरे |
क्रान्ति |
9 |
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खेड्यातला आणि शहरी मुलगा |
पाषाणभेद |
22 |
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(Bore-kuting हा माझा छंद आहे) |
मराठमोळा |
5 |
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नजरा!! |
प्राजु |
40 |
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जवाबः शहरातला आणि खेड्यातला मुलगा |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
41 |
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(जुलाब) |
पाषाणभेद |
2 |
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orkuting हा माझा छ॑द आहे |
स्वप्निल मन |
3 |
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(झांज वाजवली) |
कपिल काळे |
18 |
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क्षितिज |
स्वप्नयोगी |
0 |
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गजरा..... |
उदय सप्रे |
4 |
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वेगळाच आहे पाऊस आज |
ओंकार देशमुख |
1 |
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यातना |
स्वप्नयोगी |
0 |
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बेणारे |
शरदिनी |
14 |
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कविता |
स्वप्नयोगी |
3 |
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चालुकेश्या |
केशवसुमार |
17 |
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जेवणा..शा |
विजुभाऊ |
8 |
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सांगता..... |
उदय सप्रे |
3 |
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काही क्षण. |
जागु |
6 |
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झाला तो सत्वर, मॅनेजर! |
चतुरंग |
23 |
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वडील |
बहुगुणी |
19 |
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कळ्या |
स्वप्नयोगी |
3 |
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चुकले का हो ? |
मूखदूर्बळ |
1 |
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निरिक्षणाशा ... |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
28 |
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एका आय सी यू तली आठवण |
शरदिनी |
14 |
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घोरपड |
शरदिनी |
7 |
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कसाब काल म्हणाला अजुन मी बाल रे ' |
ग्रीष्म |
0 |