|
नाही तर नाही.... जा! |
प्राजु |
30 |
|
आणि पाय माझा घसरतो ! |
विशाल कुलकर्णी |
12 |
|
करायचं ते करून टाक |
गोगट्यांचा समीर |
4 |
|
पुन्हा पावसाला.. |
अनिरुध्द |
0 |
|
(सर्व काही आत आहे) |
राघव |
14 |
|
समिधा |
क्रान्ति |
10 |
|
सर्व काही आत आहे |
अजिंक्य |
3 |
|
(घजळ ) |
चेतन |
5 |
|
आकाशवाणी |
सुबक ठेंगणी |
17 |
|
ओढ |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
|
मी बदलणार नाही |
अमृतांजन |
13 |
|
बाबासाहेब ते भैय्यालाल... |
हृषीकेश पतकी |
8 |
|
मन इंद्रधनू |
क्रान्ति |
22 |
|
शोध |
अजुन कच्चाच आहे |
7 |
|
(शोध) |
प्रशांत उदय मनोहर |
2 |
|
घरटे.. |
प्राजु |
25 |
|
(दगड) |
ब्रिटिश |
26 |
|
पोवाडा - महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचा - राज ठाकरेंचा |
पाषाणभेद |
26 |
|
इश्वर ..... |
चन्द्रशेखर गोखले |
1 |
|
अश्रू |
शरदिनी |
11 |
|
थोडी जाणीव हवी... |
विमुक्त |
8 |
|
गादी |
कपिल काळे |
17 |
|
धा धिन धिन धा |
कौतुक शिरोडकर |
3 |
|
हेरंबा... |
कौतुक शिरोडकर |
3 |
|
(मादी) |
sujay |
1 |
|
.. जगण्यात काय आहे? |
राघव |
7 |
|
चांदण्यातले जेवण |
नाना बेरके |
3 |
|
कावीळलेल्या भींती |
ॐकार |
6 |
|
बाप्पा , असे ही... |
हृषीकेश पतकी |
14 |
|
..मोक्ष.. |
कानडाऊ योगेशु |
9 |
|
भेटी |
क्रान्ति |
6 |
|
मन काहूर... |
प्राजु |
25 |
|
र्निमाल्यातिल दोन फुले-- |
पुष्कराज |
11 |
|
प्रेम - चार ओळीत |
पुष्कराज |
11 |
|
गणपती बाप्पा मोरया ! (भक्तिरस) |
विशाल कुलकर्णी |
5 |
|
पुन्हा एकदा... |
हृषीकेश पतकी |
11 |
|
(( ती - सहा ओळीत )) |
दशानन |
8 |
|
(सारे कसे सुने सुने वाटते) |
दशानन |
20 |
|
सारे कसे नवे नवे वाटते |
पाषाणभेद |
1 |
|
गणेश माझा........ |
अनिरुद्धशेटे |
1 |
|
पसाभरं |
शैलेन्द्र |
13 |
|
गणेशवंदना |
क्रान्ति |
7 |
|
(ऐन दुपारी!) |
चतुरंग |
19 |
|
सहज चाळले.. |
प्राजु |
31 |
|
कलमी झाड |
फ्रॅक्चर बंड्या |
1 |
|
माझी गाथा .....! |
विशाल कुलकर्णी |
7 |
|
माझी पण एक (पाडीव) कविता (काव्यरस - टिंगल) |
युयुत्सु |
5 |
|
मनातली शाळा |
हृषीकेश पतकी |
15 |
|
आठवते का सारे सारे? |
पाषाणभेद |
4 |
|
(सहज चोळले..) |
ज्ञानेश... |
7 |
|
(नाठाळ मुलांसाठी) बालकविता |
धनंजय |
6 |
|
(तरीबी तिच्यायला आमी येक इडंबन करनार !!) |
चतुरंग |
26 |
|
लहान मुलांना पोटशूळ झाल्यास म्हणायचा मंत्र |
धनंजय |
14 |
|
स्वातंत्र्यदिन (?) चिरायु होवो ......! |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
|
गिफ्ट |
हृषीकेश पतकी |
16 |
|
कृष्णार्पण |
अरुण मनोहर |
9 |
|
मी एक सिग्नल पिवळा |
फ्रॅक्चर बंड्या |
7 |
|
दिवाळीची पहाट |
फ्रॅक्चर बंड्या |
8 |
|
अर्थ |
अ-मोल |
2 |
|
भूमिका |
क्रान्ति |
14 |
|
राधा |
क्रान्ति |
20 |
|
तेच तेच परत परत |
गोगट्यांचा समीर |
2 |
|
भारतीय ! |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
|
कोंढाणा |
उदय सप्रे |
24 |
|
नमन |
गोगट्यांचा समीर |
1 |
|
स्वप्नांचे पहारेकरी |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
|
परिणिता.. |
प्राजु |
21 |
|
|| गीत अभिमानाचे स्फुरु दे || |
मनीषा |
12 |
|
विझलेला विद्वंश |
विजुभाऊ |
8 |
|
पुन्हा |
क्रान्ति |
18 |