(पाहिजे वीकांत मोठा) |
बेसनलाडू |
11 |
मी |
क्रान्ति |
3 |
मातिच्या मुंग्या |
अडाणि |
7 |
भूल |
बेसनलाडू |
13 |
तू घरात नसताना ... |
अडाणि |
7 |
बाकी ते रुसणेच खरे.... |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
(बोल) |
बेसनलाडू |
1 |
प्रवास |
क्रान्ति |
2 |
पाहिजे एकांत थोडा-- |
पुष्कराज |
5 |
कुणी मत देणार का मत ? |
अमोल केळकर |
6 |
जग रहाटी |
चन्द्रशेखर गोखले |
5 |
ती पहाट |
दत्ता काळे |
8 |
एखादा दिवस |
क्रान्ति |
9 |
खेळ दोन ओळींचा - ४ |
राघव |
66 |
(कोण म्हणतो रात्र झाली ) |
बेसनलाडू |
12 |
तुझे आगमन |
जागु |
1 |
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा!! |
चतुरंग |
28 |
(उगिच भेटली घाटावर ती) |
बेसनलाडू |
2 |
प्रार्थना |
चन्द्रशेखर गोखले |
6 |
सुखाचिये शोधी | भ्रमसी रे वाया | |
सागरलहरी |
6 |
सहज भेट्ली वाटेवर ती-- |
पुष्कराज |
2 |
रात्र थोडी जाहली पण-- |
पुष्कराज |
7 |
(मूल) |
लिखाळ |
26 |
(आच्छू) |
विकास |
9 |
<<गुत्ता>> |
ब्रिटिश |
19 |
<<रात्र थोडी जाहली पण>> |
नाटक्या |
3 |
<तूच आहेस तो!!> |
पिवळा डांबिस |
7 |
<पब> |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
26 |
खूण |
सौरभ वैशंपायन |
6 |
करार |
क्रान्ति |
7 |
तूच आहेस तो... |
शरदिनी |
4 |
? |
शितल |
14 |
भारनियमन.. |
उपटसुंभ |
7 |
'मिपाभूषण' |
लक्ष्मणसुत |
15 |
हुरहुर |
प्रमोद अम्बरनाथ |
3 |
तरच मग कविता कर... |
विसुनाना |
11 |
'विज्ञान दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा' !!! |
लक्ष्मणसुत |
7 |
लग्न ठरलेल्या मुलीचे मनोगत |
दत्ता काळे |
14 |
रंगलेल्या कबुतरांची गाठ पडली त्या वळूशी |
चतुरंग |
10 |
निर्बलता |
शिवापा |
2 |
माझी पाखरे माझे पक्षी दूर उडून गेले |
पुष्कराज |
6 |
भारुड-२ |
विनायक प्रभू |
15 |
चारोळी |
जयेश माधव |
13 |
(अंमळ) |
केशवसुमार |
5 |
मला इश्वर दिसतो आहे ! |
चन्द्रशेखर गोखले |
0 |
सूर्यास्त |
जयवी |
7 |
ओढ |
कौतुक शिरोडकर |
0 |
घनगंध |
सागरलहरी |
2 |
श्री शिवस्तुती |
पुष्कराज |
10 |
तहान |
सागरलहरी |
0 |
तुझा सूर्य मला उसना दे ! |
सागरलहरी |
0 |
अंतीच्या कळान्चे | जिवाला लागीर | |
सागरलहरी |
0 |
महाराज.., शिवछत्रपती अवतरले त्राते | |
सागरलहरी |
8 |
सावर ग स्वतःला ..... |
मितालि |
7 |
( मी लिहिल्यावर पळुनी जातील -- ) |
अमोल केळकर |
9 |
निराकारी रंगारी |
तिमा |
0 |
कशी कोण जाणे |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
काव्यप्रसववेदना |
आपला अभिजित |
4 |
शेवटची रात्र ! |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
(काव्यप्रसववेदना) |
अनामिक |
5 |
पहाट |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
ते पण एक वय असतं |
ashwin joshi |
4 |
te pan ek vay asta |
ashwin joshi |
12 |
मी गेल्यावर वि़झुनी जातील-- |
पुष्कराज |
12 |
मागवेन व्हिस्की, मागवेन ब्रॅंडी..! |
उपटसुंभ |
6 |
आतुर |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
वेणू |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
श्रावण शृंगार (गझल) |
संदीप चित्रे |
12 |
राधा ही बावरी |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
(आड गल्लीतल्या काही कविता) |
चतुरंग |
17 |