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अर्रे कोण म्हणतं इतिहासजमा झाली झाशीची राणी |
खिलजि |
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सोनियाच्या पोटी आले तुझ्या पाठी.... |
स्पार्टाकस |
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सोनियाच्या सुता तुला खानदानी वरदान.... |
स्पार्टाकस |
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काही अपूर्ण कविता.... |
चाणक्य |
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प्रपोज डे |
अविनाशकुलकर्णी |
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ऋतू ! |
फिझा |
3 |
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ही हाक कुणाची आहे...! |
फिझा |
9 |
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देवा, क्लोरोफिल देतो का रे , क्लोरोफिल |
खिलजि |
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करायला गेलो आत्महत्या |
खिलजि |
9 |
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तुझ्या 'सविते'ची ओळ उर्फ भाभीजी |
दमामि |
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टोळीगीत इ.स. २०५०? |
अनन्त्_यात्री |
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तुझ्या कवितेची ओळ |
अनन्त्_यात्री |
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"तू " अधिक " मी " किती ? |
खिलजि |
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स्वप्नांची गोष्ट (गझल) |
कहर |
0 |
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अनामिक |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
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भाऊ बहिण नाते |
mukund sarnaik |
1 |
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ढग |
सागरलहरी |
4 |
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देव्हारा |
कहर |
0 |
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स्वात्रंतवीर |
mukund sarnaik |
4 |
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बडव्यांची दुनिया |
खिलजि |
0 |
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श्रावण... |
bhagwatblog |
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(तनुने नानास मी टू म्हणणे ) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
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किंचित अस्वस्थ वाटते आहे ! |
संदीप-लेले |
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ठसा तुज आठवांचा...! |
मनस्वी मानस |
0 |
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कुंकवाच्या धन्यानं अशी रात जागवली |
अविनाशकुलकर्णी |
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वेदना जहरी |
चांदणशेला |
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वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी |
नायकुडे महेश |
0 |
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तू काळजाला भिडावे |
परशुराम सोंडगे |
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तू काळजाला भिडावे |
परशुराम सोंडगे |
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अनन्तयात्री |
अनन्त्_यात्री |
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मोबाईलची शेजआरती |
पाषाणभेद |
0 |
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भुकेच्या ज्वाळा |
चांदणशेला |
0 |
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लोकशाहीला नाही वर्ज्य |
चांदणे संदीप |
0 |
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उत्तररात्र |
हणमंतअण्णा शंकर... |
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तव नयनांचे दल |
हणमंतअण्णा शंकर... |
1 |
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'विडंबित' अंगाई गीत |
वेल्लाभट |
2 |
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कधी असतेस, कधी नसतेस.... |
नायकुडे महेश |
1 |
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झरे |
हणमंतअण्णा शंकर... |
0 |
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वाट त्याची पाहाता.... |
ज्योति अळवणी |
0 |
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जीव झोपला (विडंबन) |
चांदणे संदीप |
6 |
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एवढंच करा. |
अंतरा आनंद |
6 |
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पिंपळ |
शिवोऽहम् |
6 |
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छकु |
ज्योति अळवणी |
7 |
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रमतगमत |
शिवोऽहम् |
6 |
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नाना करा व्हाटस ॲप गृप |
पाषाणभेद |
0 |
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उदासी |
शब्दबम्बाळ |
0 |
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कविते.....! |
फिझा |
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तुझ्या माझ्यासवे......(विडंबन) |
OBAMA80 |
1 |
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मी घेतली यॉट |
पाषाणभेद |
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पावलांना अंत नाही |
आनंदमयी |
3 |
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लाड |
वन |
2 |
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राजाची सभा |
वन |
40 |
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अनुष्टुभ छंद - विस्तारीत अष्टाक्षर बांधणी |
बेसनलाडू |
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जाणीव |
अबोलघेवडा |
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शिवमहिम्न स्तोत्राचा मराठी समश्लोकी अनुवाद |
नरेंद्र गोळे |
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राया उशीर का जाहला... |
विजुभाऊ |
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अन्नधान्य स्वस्त आहे |
गंगाधर मुटे |
6 |
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पडसाद |
शिवोऽहम् |
0 |
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दिवाळीचा बाण... |
अत्रुप्त आत्मा |
60 |
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कारण तू |
सिक्रेटसुपरस्टार |
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गज़ल |
MipaPremiYogesh |
5 |
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एक कविता हवी आहे |
पथिक |
6 |
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सीमारेषा |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
25 |
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हा सागरी किनारा |
केदार गाड्गीळ |
1 |
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असेलही वा नसेलही... |
प्राची अश्विनी |
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पाकळी! |
दिनेश५७ |
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पितृ"पक्षी" |
अनन्त्_यात्री |
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मारवा |
शिवोऽहम् |
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बोली बोली बायका बोली |
शिव कन्या |
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हि सर पावसाची पुन्हा आज आली. |
AjayRGodse |
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