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वजनदार! |
चलत मुसाफिर |
8 |
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डोह |
सागरलहरी |
2 |
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कुरबुर झाली |
पाषाणभेद |
4 |
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दे दे दे दे दे दे |
पाषाणभेद |
9 |
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मळभ..! |
जेनी... |
17 |
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स्व - राष्ट्र..!! |
राघव |
20 |
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अज्ञाताच्या काठावर |
अनन्त्_यात्री |
7 |
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शोधत होतो पुन्हा स्वत:ला |
अनन्त्_यात्री |
2 |
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आज मी पुन्हा नापास झालो |
खिलजि |
6 |
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ती म्हणाली " चिमणी " , मी म्हणालो भुर्रर्रर्र |
खिलजि |
5 |
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वटवटसावित्री |
खिलजि |
4 |
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जागरण.... |
अत्रुप्त आत्मा |
17 |
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मी तुझा विचार करते |
शिव कन्या |
2 |
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सिग्नल .....! |
फिझा |
5 |
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बालमित्रांची सुट्टी.... |
bhagwatblog |
4 |
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"फार काय" |
युयुत्सु |
2 |
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मी पण अमिताभ बनलो असतो भाय |
खिलजि |
14 |
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वळीव |
महासंग्राम |
6 |
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सांग ना,सख्या |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
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सांग ना,सख्या |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
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जिलब्या |
अविनाशकुलकर्णी |
3 |
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कवित्व इथले संपत नाही |
mrcoolguynice |
6 |
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वदनी कवळ..... |
फुंटी |
8 |
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नाद ब्रम्ह होई अंगी , चढे चढे भक्तिज्वर |
खिलजि |
0 |
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...पत्र... |
चुकलामाकला |
5 |
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(गफ) |
टवाळ कार्टा |
5 |
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" कशी आहेस ? " |
फिझा |
13 |
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आभाळ पक्षी |
पाषाणभेद |
1 |
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शूर वैमानिक श्रीमान अभिनंदन वर्धमान |
Sumant Juvekar |
14 |
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बहावा |
बिपीन सुरेश सांगळे |
7 |
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तुझ्या ऊन्हाचं कौतुक.. |
प्राची अश्विनी |
37 |
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घे मिठीत |
आकाश५०८९ |
9 |
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गुलमोहर मोहरतो तेव्हा |
मनमेघ |
2 |
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रियल रियल |
शिव कन्या |
4 |
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(प्रार्थना!) |
गड्डा झब्बू |
2 |
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स्वामि धागे घेऊन येतात |
सोन्या बागलाणकर |
48 |
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होत नाही कपातला चहा गार आता |
आकाश५०८९ |
4 |
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प्रार्थना! |
मनमेघ |
9 |
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विहीर खोदण्याचा विचार |
शिव कन्या |
14 |
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(उष:काल) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
6 |
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सोनसंध्या |
इरामयी |
1 |
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धून वाजवी बासरीवाला |
बिपीन सुरेश सांगळे |
2 |
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माणसे कविता होऊन येतात..... |
शिव कन्या |
12 |
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भयकाल |
शिव कन्या |
3 |
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बरवा विठ्ठल ,बडवा विठ्ठल...जुडवा विठ्ठल . |
बाजीगर |
1 |
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थांबवावे कुणाला मी |
आकाश५०८९ |
3 |
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लाख अंतरे.. |
आकाश५०८९ |
7 |
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मी मोठ्ठा की लहान? |
पाषाणभेद |
1 |
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तुझ्याविनाही खराच आहे |
आकाश५०८९ |
0 |
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थांबला नसतास तू |
आकाश५०८९ |
4 |
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चेहरा हसराच आहे |
आकाश५०८९ |
0 |
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प्रेम... |
माम्लेदारचा पन्खा |
3 |
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माझे मन पाही |
पाषाणभेद |
0 |
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[माणसे इंजिनिअर होऊन येतात] |
मराठी कथालेखक |
4 |
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(दाराआडची आई) |
चांदणे संदीप |
2 |
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(धागा काढण्याची तल्लफ) |
नाखु |
15 |
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एका शहीद सैनिकाच्या पत्नीचे मनोगत |
बिपीन सुरेश सांगळे |
0 |
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वसंत उत्सव |
स्वामि १ |
6 |
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सोबती |
अन्या बुद्धे |
0 |
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(बंद डब्याच्या झाकणाआडची कोशिंबीर) |
शब्दसखी |
11 |
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घोळ झाला घोळ |
कहर |
1 |
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(दाराआडचा यजमान) |
नाखु |
6 |
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माणसे मित्र बनून येतात...... ( प्रेरणा :: माणसे कविता बनून येतात...) |
खिलजि |
6 |
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तू ट्रोल माझा |
चामुंडराय |
5 |
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बियर |
सोन्या बागलाणकर |
11 |
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(बंद कळफलकामागचा वाचक) |
नाखु |
9 |
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(तू मतदार माझा) |
नाखु |
10 |
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# राजे छत्रपती |
sanket gawas |
1 |
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पाणी |
शिव कन्या |
2 |
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Coffee आणि ति २ |
sanket gawas |
1 |