माय... |
ऊध्दव गावंडे |
10 |
मग कळेल मझा...! |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
खातेस घरी तू जेव्हा - (विडंबन) |
विदेश |
0 |
३. नको येवुस पोरी |
गणेशा |
12 |
अलविदा मागील वर्ष...... |
निनाद जोशी |
1 |
शामसुंदर घननिळा...... |
निनाद जोशी |
4 |
(सुचत नाही....) |
चुकलामाकला |
7 |
कधी येईल आठवण माझी ..... |
psajid |
1 |
क्षणभंगुरता |
माम्लेदारचा पन्खा |
14 |
शिवराय बोलले आज |
वेल्लाभट |
28 |
विश्वास आजूबाजूंच्यावरचा |
पगला गजोधर |
0 |
विश्वास श्वासावरचा |
शब्दानुज |
4 |
(दाढदिवस) |
रेवती |
48 |
हं ! ते तुला कधी जमलेय |
खटासि खट |
3 |
'काका' वदून गेल्या, आता बघेन म्हणतो |
चतुरंग |
48 |
"धागाप्रसवचळ",अर्थात जिल्बिकंडशमनमठ्ठाझल |
नाखु |
7 |
आईशप्पथ.........!!!! |
एक एकटा एकटाच |
3 |
अनुत्तरीत प्रश्न |
झंम्प्या |
4 |
सावधान! मगरमच्छी अश्रू |
विवेकपटाईत |
2 |
अंथरुण (कामात बिझी असणाऱ्या मित्रांना) |
Vimodak |
9 |
अंथरुणातील कामात बिझी असणाऱ्या मित्रांना |
पगला गजोधर |
19 |
मौनात दडले क्रौर्य |
गणेशा |
13 |
रात्रप्रवासी |
Vimodak |
5 |
समुद्र |
Vimodak |
8 |
राख |
Vimodak |
6 |
ठळक माझी मेहुणी.... |
चुकलामाकला |
47 |
टु शेक्सपिअर विथ लव |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
9 |
व्ह्यालेन्टायीन दिन'दिवाणे' |
फुंटी |
10 |
हेल्मेट |
संजुदा |
6 |
नेता व्हायचंय एका रात्रीत ? |
संजुदा |
7 |
रातराणी |
Vimodak |
9 |
बाटलीचखणा घेऊन पिण्यासाठी या : नवसागरी भडका |
सतिश गावडे |
8 |
दिशाहीन |
Vimodak |
7 |
लेकीसूना घेऊन नाचासाठी या : नागपुरी तडका |
गंगाधर मुटे |
4 |
नकळत … |
अनामिक२४१० |
7 |
अजूनही तळपते आहे माझी लेखणी , माझा कुंचला !!! |
Rajvardhan |
1 |
रात्र...!!!!! |
एक एकटा एकटाच |
15 |
पाहून घे महात्म्या |
गंगाधर मुटे |
8 |
क्षमा नावाच्या भूमातेस |
देवदत्त परुळेकर |
1 |
फणा |
मित्रहो |
26 |
नाते आपुले तसेच आतून... |
आनंदमयी |
20 |
एका बापाची व्यथा ....... |
चुकलामाकला |
51 |
कर्म माणसाचे, दोष "कर्त्याला"!! |
निमिष सोनार |
2 |
वैश्विक खाज नाही |
गंगाधर मुटे |
8 |
पप्पू माझा लेकुरवाळा |
लॉर्ड फॉकलन्ड |
6 |
माझे शब्द |
Rajvardhan |
0 |
अतिशय फालतु विनोद |
बहुरंगी |
12 |
माझा स्वभाव |
Rajvardhan |
10 |
सैतानाच्या भात्यामधले चार बाण धारदार |
पगला गजोधर |
8 |
स्रीचे अस्तित्व! |
अश्विनि कोल्हे |
170 |
नाऱ्या नाऱ्या |
चुकलामाकला |
6 |
किती सांगू मी सांगू कुणाला - युवराजान्च्या पुनरागमनाच्या आनन्दाप्रीत्यर्थ |
लॉर्ड फॉकलन्ड |
18 |
दूर |
योगेश भालेकर |
4 |
कुक्कुट शर्विलक-विलाप |
चलत मुसाफिर |
18 |
असा मी तसा मी |
Rajvardhan |
4 |
आज मी आहे |
Rajvardhan |
1 |
वळ्ण |
योगेश भालेकर |
3 |
डोळे आमचे आहेत म्हणुनी |
विदेश |
8 |
पुरुशाचे अस्तित्व...! |
संदीप डांगे |
34 |
गनिमी कावा |
विदेश |
4 |
जायचे आहेच तर जावेस आता .. |
drsunilahirrao |
8 |
हरवला जीव तो … |
अनामिक२४१० |
0 |
धोतर आणी डबा २ |
शब्दानुज |
0 |
आसवांच्या प्रतिबिंबात |
शब्दानुज |
1 |
मराठी |
वेल्लाभट |
13 |
रस्ता... |
शब्दबम्बाळ |
2 |
सये भांडतेस कशा.. |
कहर |
15 |
नाटक वाटू नये |
गंगाधर मुटे |
3 |
अशी कशी ग तु........... |
एक एकटा एकटाच |
6 |
संध्याछाया.. |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |