रातराणी

Vimodak's picture
Vimodak in जे न देखे रवी...
24 Apr 2015 - 4:25 am

डोह काळा डोक्यावरी अन् ,
तारकाही भरजरी..
एक चन्द्र वाहता अन्
एक होड़ी धावती.

हिरे माणिक तरंगते,
जणू लक्ष दिव्यांच्या मैफिली,
कुजबुज त्यांची मोकळी..
'ति' राहिली ना आपली.

निखळले कमजोर तारे,
दोष देऊनि मला...
मी मूक राहून पळभरी,
श्रद्धांजलि त्यांस वाहिली.

लोटुनी गुंबज मनोहर,
तिज पापण्या मग श्रांतल्या..
भिस्त मजवर टाकुन सारी,
ती 'रातराणी' झोपली.

कविता

प्रतिक्रिया

प्राची अश्विनी's picture

24 Apr 2015 - 10:41 am | प्राची अश्विनी

सुंदर! आवडली!

पैसा's picture

24 Apr 2015 - 1:54 pm | पैसा

सुरेख कविता!

कविता१९७८'s picture

24 Apr 2015 - 2:11 pm | कविता१९७८

मस्त

एक एकटा एकटाच's picture

24 Apr 2015 - 3:58 pm | एक एकटा एकटाच

फार सुंदर रचलीय.

विवेकपटाईत's picture

26 Apr 2015 - 9:27 am | विवेकपटाईत

आवडली

एक एकटा एकटाच's picture

26 Apr 2015 - 5:54 pm | एक एकटा एकटाच

.

Vimodak's picture

26 Apr 2015 - 7:43 pm | Vimodak

मित्रहो..धन्यवाद : )

एक एकटा एकटाच's picture

26 Apr 2015 - 8:40 pm | एक एकटा एकटाच

पुढिल लेखणास शुभेच्छा

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

27 Apr 2015 - 6:40 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

सुरेख!