डोळे आमचे आहेत म्हणुनी

विदेश's picture
विदेश in जे न देखे रवी...
25 Mar 2015 - 11:48 pm

नकोस टाकू
कटाक्ष तिरपा
मोहकसा ग
पुन्हा पुन्हा -

नकोस करू
गर्व रुपाचा
ठुमकत मिरवत
पुन्हा पुन्हा -

घमेंड तुजला
रूपगर्विते
दाखवी आरसा
पुन्हा पुन्हा -

नित्य आवडे
आत्मस्तुती
मनास कशी
पुन्हा पुन्हा -

डोळे अमुचे
आहेत म्हणुनी
रुपडे बघतो
पुन्हा पुन्हा -

आम्ही नसतो
डोळेही नसते
विचार कर ग
पुन्हा पुन्हा .. !

भावकविताशांतरसकविता

प्रतिक्रिया

रुपी's picture

26 Mar 2015 - 2:21 am | रुपी

आवडली!

विवेकपटाईत's picture

30 Mar 2015 - 5:23 pm | विवेकपटाईत

आम्ही नसतो
डोळेही नसते
विचार कर ग
पुन्हा पुन्हा .. !
अहाहा, आवडली.

पॉइंट ब्लँक's picture

30 Mar 2015 - 7:35 pm | पॉइंट ब्लँक

छान!

अत्रुप्त आत्मा's picture

31 Mar 2015 - 6:35 am | अत्रुप्त आत्मा

भारीच!

मदनबाण's picture

1 Apr 2015 - 10:40 am | मदनबाण

छान !

मदनबाण.....

आजची स्वाक्षरी :- मेरा कुछ सामान..

विदेश's picture

14 Apr 2015 - 1:28 pm | विदेश

रुपी, विवेकपटाईत, पॉइंट ब्लँक, अत्रुप्त, मदनबाण -
प्रतिसादासाठी आपणा सर्वांचे आभार !

वेल्लाभट's picture

15 Apr 2015 - 3:11 pm | वेल्लाभट

मै खिलाडी तू अनाडी या ऐतिहासिक गाण्याच्या सुरुवातीच्या ओळी....
हम दोनो है
अलग अलग
हम दोनो है
जुदा जुदा....

ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ
ओ ओ ओ
ओ ओ ओ !

या नुसार कडव्यांना चाली लावून दोन कडव्यांच्या मधे ओ ओ ओ ओ... चा आलाप (सॉरी ओलाप) म्हणायचा

काय सही वाटतेय कविता आता. उडत्या चालीची एकदम.
पुन्हा पुन्हा... सिंक्स विथ जुदा जुदा.... खफा खफा

टवाळ कार्टा's picture

15 Apr 2015 - 3:45 pm | टवाळ कार्टा

व्वा...मान गये :)