अजुनी बसून आहे |
विदेश |
13 |
तुझी सोबत....... |
माझं आभाळ |
12 |
दर्शनता! |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
शब्द |
पाषाणभेद |
7 |
.....रिप रिप रिप ! ! |
फिझा |
3 |
गुलाम |
सुर्या गार्डी |
14 |
xxवी झाली तेंव्हा |
सन्जोप राव |
18 |
दहाजणीत! |
सन्जोप राव |
41 |
वात्रटिका- अभियान स्वच्छता |
विवेकपटाईत |
9 |
( ओळखलत का साहेब मला?) |
अमोल केळकर |
13 |
बरळप्रहरी.. |
गवि |
20 |
धर्मामिटर |
अत्रुप्त आत्मा |
22 |
गजरा |
सुर्या गार्डी |
9 |
चांदणी |
सुर्या गार्डी |
12 |
एक उदास कंटाळवाना चेहरा |
प्रकाश१११ |
1 |
पंचप्राण |
चलत मुसाफिर |
10 |
(दोन दिवस मुंबईत गेले,दोन दिल्लीत गेले) |
अमोल केळकर |
7 |
तसे देव मोकळेच असतात..!! |
प्रकाश१११ |
7 |
पोकळी |
बेसनलाडू |
22 |
एक शृंगारीक कविता |
रामदास |
44 |
आजोबा...!! |
प्रकाश१११ |
1 |
कारुण्य टंकन |
निराकार गाढव |
49 |
ताज्या क्षणिका – सत्तेचा आनंद, नागपुरी संत्रा आणि टोल |
विवेकपटाईत |
8 |
घेऊन जा |
सह्यमित्र |
7 |
दिवाळी - वैचारिक क्षणिका |
विवेकपटाईत |
2 |
दिवाळीच्या फुलझड्या |
विवेकपटाईत |
1 |
मित्रा |
तुषार जोशी |
7 |
शब्दांशी दोस्ती |
प्रकाश१११ |
3 |
दिवाळी |
स्वाती दिनेश |
27 |
लागली कुणाला कुणाची उचकी; ह्याला का त्याला ? लाजू नको, लाजू नको ! |
माहितगार |
5 |
"आज म्हणलं माती व्हावं" |
वैभवकुमारन |
10 |
ज्याचे त्याला कळले |
वेल्लाभट |
3 |
त्या गेंड्याची दोन पावले - (विडंबन) |
विदेश |
10 |
प्रेमही जरुरीपुरतंच करावं... |
अजब |
10 |
विंचू चावला |
फुंटी |
4 |
<पतंग> |
राजेश घासकडवी |
16 |
<दबंग> |
वेल्लाभट |
9 |
<लवंग> |
अनुप ढेरे |
14 |
कोवळीक |
पाषाणभेद |
4 |
तवंग |
बेसनलाडू |
10 |
प्रवाही |
आतिवास |
13 |
पत्र |
अजब |
7 |
माझ्या शेल्फवरची पुस्तके...!! |
प्रकाश१११ |
10 |
मी लोकलयात्री |
वेल्लाभट |
4 |
ते काळे अभद्र आभाळ …। |
प्रकाश१११ |
5 |
(डोसा इथला संपत नाही) |
धन्या |
49 |
AN ODE TO मिसळपाव ! द्वितीय पुष्प |
माम्लेदारचा पन्खा |
16 |
बोटावर न मोजता येतील इतके दिवस असतात ..!! |
प्रकाश१११ |
10 |
कांदा |
विवेकपटाईत |
19 |
शुभ दसरा !!! |
फटू |
13 |
AN ODE TO मिसळपाव ! प्रथम पुष्प |
मारवा |
26 |
क्षितीज चांदणी...... |
माझं आभाळ |
4 |
काय रे देवा… (संदीप खरे यांची माफी मागून ) |
माम्लेदारचा पन्खा |
9 |
दसरा |
लाडू |
0 |
दर्पण, सर्पण, अर्पण, तर्पण, आकर्षण, प्रोक्षण, लवण, कर्तन |
अत्रुप्त आत्मा |
108 |
तिला नेहमी वाटतं |
खटपट्या |
36 |
इरेला पेटला आहे पिसारा (गझल) |
अजय जोशी |
9 |
बंद दरवाजा |
विवेकपटाईत |
4 |
ह्रुदया मध्ये घर बांधु या,अशा घराला दार कशाला? |
खुशि |
9 |
देर न हो जाये |
भावना कल्लोळ |
4 |
गाढव ऐकेना, गाढव समजेना |
संजय क्षीरसागर |
87 |
तू गेल्यानंतर... तू येईपर्यंत... |
माधुरी विनायक |
7 |
आयुष्य म्हणजे.... |
चेतन677 |
6 |
ह्ये वागनं बरं नव्हं |
निराकार गाढव |
38 |
मिस यू बाप्पा ... |
फुंटी |
3 |
प्रार्थना प्रिमियर लीग विजयाची |
वेल्लाभट |
4 |
वेदना |
निरन्जन वहालेकर |
2 |
ह्रुदयामध्ये घर बांधु या!अशा घराला दार कशाला!! |
खुशि |
2 |
"माझी गझल निराळी" दुसरी आवृत्ती प्रकाशन सोहळा |
गंगाधर मुटे |
4 |
फेसबुक मानिया |
फुंटी |
3 |