| जटील जटील जटील किती | अरुण मनोहर | 2 | 
          
                  | ..मैफिल.. | कानडाऊ योगेशु | 4 | 
          
                  | हळू हळू...चालव तुझी फटफटी | पाषाणभेद | 2 | 
          
                  | ४ चारोळ्या | sur_nair | 10 | 
          
                  | वार्यावरती भुरभुरती केस | पाषाणभेद | 7 | 
          
                  | आज अचानक उदास का वाटे | पाषाणभेद | 10 | 
          
                  | हे मराठी ? ? ? ? | निरन्जन वहालेकर | 5 | 
          
                  | नको मारू खडा रे सख्या | फटू | 1 | 
          
                  | प्रेम | विवेकवि | 1 | 
          
                  | ओढ | विशाल कुलकर्णी | 10 | 
          
                  | आभास | वर्षा म्हसकर-नायर | 6 | 
          
                  | कामगार आम्ही कामगार असतो | पाषाणभेद | 3 | 
          
                  | (ऐक माझ्या मुला) | राजेश घासकडवी | 26 | 
          
                  | धनी माझं कसं येईना अजून | पाषाणभेद | 6 | 
          
                  | माझा चारोळी संग्रह (२२ चारोळ्या) | निमिष सोनार | 3 | 
          
                  | जखम! | स्पंदना | 2 | 
          
                  | तू असं यावस...... | स्पंदना | 5 | 
          
                  | पहिला    पाऊस | बरखा | 2 | 
          
                  | गंध ओला.. | प्राजु | 29 | 
          
                  | मी मराठी बोलतेय... | निमिष सोनार | 4 | 
          
                  | वेडेपणा.... | स्पंदन | 5 | 
          
                  | ऐक माझ्या मुला | सन्जोप राव | 22 | 
          
                  | मन..... | स्पंदन | 0 | 
          
                  | आरसा तिच्या शयन गृहाचा ! | निरन्जन वहालेकर | 5 | 
          
                  | प्रिया माझी "शहाजहान" ! ! ! | निरन्जन वहालेकर | 2 | 
          
                  | (निजवून बारक्यांना..) | चतुरंग | 20 | 
          
                  | स्पर्शून तारकांना.. | प्राजु | 24 | 
          
                  | यादवी  किंवा (ती झाली तेव्हा...) | राजेश घासकडवी | 15 | 
          
                  | आरसा अथ ते इथी | झुम्बर | 4 | 
          
                  | (फसलेला लेख) | चेतन | 12 | 
          
                  | सवय झाली आहे | पाषाणभेद | 4 | 
          
                  | असाच व्हावा शेवट माझा...... | झुम्बर | 15 | 
          
                  | दमलेले ढग | फ्रॅक्चर बंड्या | 10 | 
          
                  | जाऊन  जराशी  येते | sur_nair | 6 | 
          
                  | !! चारोळ्या !! | मराठमोळा | 4 | 
          
                  | थंडीतली सकाळ | सहज | 48 | 
          
                  | !! चोराळ्या!! | आंबोळी | 6 | 
          
                  | “ चंद्र हवा मज “ ! ! ! | निरन्जन वहालेकर | 0 | 
          
                  | समोर आता येते कशाला | पाषाणभेद | 0 | 
          
                  | शुद्ध दाद दे !! | बाळअमोघ | 5 | 
          
                  | भांडवलशाही | इनोबा म्हणे | 17 | 
          
                  | (भक्ता! तू सुद्धा ???) | राजेश घासकडवी | 3 | 
          
                  | आठवण | स्वप्निल मन | 1 | 
          
                  | स्वामीं  !  तुम्ही सुद्धा ? ? ? | निरन्जन वहालेकर | 1 | 
          
                  | तिरडी बांध | आंबोळी | 11 | 
          
                  | कारणे....! | विशाल कुलकर्णी | 7 | 
          
                  | राम... | विशाल कुलकर्णी | 4 | 
          
                  | युगलगित: रानातले खेळ जरा खेळू | पाषाणभेद | 0 | 
          
                  | (भांडणशब्द २) | राजेश घासकडवी | 13 | 
          
                  | मागणं | चिर्कुट | 7 | 
          
                  | (भांडणशब्द) | ३_१४ विक्षिप्त अदिती | 4 | 
          
                  | वैकुंठ | बाबुराव | 19 | 
          
                  | मस्तानी  भाग २ | झुम्बर | 1 | 
          
                  | मस्तानी | झुम्बर | 9 | 
          
                  | अरे  ! अरे  s s s  रे ! ! ! | निरन्जन वहालेकर | 1 | 
          
                  | .....घडावे असे काही..... | कानडाऊ योगेशु | 5 | 
          
                  | मित्रा ... | स्वप्निल मन | 5 | 
          
                  | एक गिअर मेला | पाषाणभेद | 4 | 
          
                  | ..विश्वामित्र.. | कानडाऊ योगेशु | 17 | 
          
                  | मरे एक त्याचा दुजा शोक वाहे ....... | झुम्बर | 8 | 
          
                  | चांदण्याचे ओठ तुझे | अरुंधती | 10 | 
          
                  | कान्हा रे कान्हा असे काय करी | पाषाणभेद | 1 | 
          
                  | लावणी: आणा मला येवला पैठणी | पाषाणभेद | 8 | 
          
                  | वेड | स्पंदना | 8 | 
          
                  | (या कंपूची दोन माणसे फिरतिल तुमच्या भवती) | राजेश घासकडवी | 26 | 
          
                  | विसंगती.. | राघव | 2 | 
          
                  | सावल्या | विशाल कुलकर्णी | 3 | 
          
                  | प्रवास  (न) अन्ताचा   ! ! ! | निरन्जन वहालेकर | 0 | 
          
                  | एकही अक्षर... | पुष्कर | 7 | 
          
                  | लावणी: मोबाईल चार्ज करा तुमचा | पाषाणभेद | 2 |