| गीत : सूर आज माझे का अबोल झाले | पाषाणभेद | 2 | 
          
                  | पाउस आनि निसर्ग | अनिरुद्धशेटे | 1 | 
          
                  | कोणत्या शब्दात दम त्याला भरू ? | केशवसुमार | 9 | 
          
                  | कोणत्या मापात मी पेला भरू? | केशवसुमार | 11 | 
          
                  | वारी | राजेश घासकडवी | 20 | 
          
                  | आज अचानक तुझी आठवण का यावी | अनिरुद्ध अभ्यंकर | 6 | 
          
                  | विकांताची करमणूक . | रामदास | 14 | 
          
                  | एका स्थळात लिहिली, वीडंबने हि दोन | राजेश घासकडवी | 21 | 
          
                  | एका स्थळात लिहिली, जी धोरणे सुरेख | केसुरंगा | 21 | 
          
                  | एका स्थळात लिहिली, जी धोरणे अनेक | केशवसुमार | 9 | 
          
                  | शून्य | sur_nair | 6 | 
          
                  | नाव सुचत नाही. | स्पंदना | 6 | 
          
                  | मी न माझा……… | निरन्जन वहालेकर | 0 | 
          
                  | कव्वाली : अशी ग कशी सोडूनी जाते तू मला | पाषाणभेद | 0 | 
          
                  | स्वप्नी माझ्या आलीस तू | पाषाणभेद | 0 | 
          
                  | सीमालढागीतः भिऊ नको मराठी जना | पाषाणभेद | 5 | 
          
                  | गाणी | क्रान्ति | 14 | 
          
                  | काही राहीलेले | पंचम | 5 | 
          
                  | सद्गुरू माउली | सागरलहरी | 6 | 
          
                  | पुन्हा एकदा | jaypal | 9 | 
          
                  | देवा ढळो नेदी | माझी चित्त वृत्ती | | सागरलहरी | 6 | 
          
                  | एक जुना मित्र भेटला .. | सागरलहरी | 7 | 
          
                  | गे कविते | सागरलहरी | 12 | 
          
                  | टंकेल वीडंबक जैं न काहीं | धनंजय | 27 | 
          
                  | अतरंग ... | विशाल कुलकर्णी | 3 | 
          
                  | निवडुंग........ | निरन्जन वहालेकर | 1 | 
          
                  | मीरा म्हणे ........... | झुम्बर | 2 | 
          
                  | (हळूहळू हा तापच झाला स्वैपाक अन्) | राजेश घासकडवी | 7 | 
          
                  | महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावादावरील गीत : उठ रे मराठी गड्या तू चल सीमेवर | पाषाणभेद | 24 | 
          
                  | कृष्णपिसे | झुम्बर | 3 | 
          
                  | जीवन-मृत्यू! | राघव | 4 | 
          
                  | अंतरंग | jaypal | 14 | 
          
                  | हाच आपला ढंगु आहे... | घाटावरचे भट | 21 | 
          
                  | हळूहळू हा तापच झाले संपादन... | केशवसुमार | 7 | 
          
                  | हळूहळू हा व्यापच झाले संपादन... | केशवसुमार | 11 | 
          
                  | शिशिर ऋतू का आला हेमंत सरून | पाषाणभेद | 1 | 
          
                  | (अत्रंग) | अडगळ | 1 | 
          
                  | शेतकरी गीत :  काळ्या काळ्या मातीमधी पिकलंया सोनं | पाषाणभेद | 4 | 
          
                  | बीज... | शैलेन्द्र | 22 | 
          
                  | गाणे : असेच असते जीवन कुणाचे, नच तयाला कोणी गणती | पाषाणभेद | 4 | 
          
                  | काय बोलणे | सागरलहरी | 3 | 
          
                  | माते अंबे भवानी नमितो जिजा-बाई (राजमाता जिजाउंचे पुण्य स्मरण ) | सागरलहरी | 2 | 
          
                  | ही ही तिची गाथा | आनंद घारे | 11 | 
          
                  | शॄंगार | राजेश घासकडवी | 19 | 
          
                  | एकदा होवोनी पक्षी | पाषाणभेद | 1 | 
          
                  | संदेश | राजेश घासकडवी | 15 | 
          
                  | तिचे अभंग, तिची गाथा | नंदन | 54 | 
          
                  | असच काहीसं | नेहमी आनंदी | 2 | 
          
                  | उगाच काहितरी | शिल्पा ब | 6 | 
          
                  | प्रलय | निरन्जन वहालेकर | 2 | 
          
                  | देखावे.. | विसोबा खेचर | 41 | 
          
                  | छंद | नेहमी आनंदी | 5 | 
          
                  | <अनावर> | सहज | 10 | 
          
                  | (पारध) | अवलिया | 9 | 
          
                  | गाणे : पायी चालतोया पंढरीची वारी | पाषाणभेद | 4 | 
          
                  | कितीदा..! | विसोबा खेचर | 15 | 
          
                  | (कित्तीदा) | llपुण्याचे पेशवेll | 7 | 
          
                  | ..रस्ता.. | कानडाऊ योगेशु | 2 | 
          
                  | कुंभारवाडा | राजेश घासकडवी | 22 | 
          
                  | (अनावर) | अडगळ | 7 | 
          
                  | दक्षिणायन.. | विसोबा खेचर | 25 | 
          
                  | वस्ती..! | विसोबा खेचर | 11 | 
          
                  | पारध | सहज | 24 | 
          
                  | सहज सुचल म्हणुन | jaypal | 13 | 
          
                  | हाती माझ्या शुन्यच उरले | पाषाणभेद | 2 | 
          
                  | कालू कौआ | सहज | 25 | 
          
                  | गीत: वाटे मज अपार सुख | पाषाणभेद | 0 | 
          
                  | आस  “ नाविन्याची “ | निरन्जन वहालेकर | 1 | 
          
                  | ??? | प्रमोद देव | 27 | 
          
                  | घो(स)ळ | आंबोळी | 21 |