शायरी - भाग २ |
चिनार |
0 |
इमारत.. |
vaibhav deshmukh |
2 |
घर कसं बाळमुठीत कोंदणात सजणार ----------------- |
डॉ. दत्ता फाटक |
2 |
ओकांची ठकी - एका काव्य कट्ट्याचा अहवाल |
शशिकांत ओक |
5 |
श्रद्धा म्हणजे... |
अत्रुप्त आत्मा |
52 |
शोधयात्रा (भावानुवाद) |
मूकवाचक |
9 |
कैफ़ियत.. |
vaibhav deshmukh |
4 |
शायरी ... |
चिनार |
2 |
चांदोबाचा दिवा- (बालकविता) |
विदेश |
11 |
ना केले |
वैभवकुमारन |
9 |
दाखला |
बेसनलाडू |
15 |
उत्तर सापडेना आज? |
विवेकपटाईत |
1 |
संवेदना वगैरे |
चाणक्य |
16 |
मी रिक्त हस्त आहे -------------- एक गझल |
डॉ. दत्ता फाटक |
6 |
आठवणीनो…………. |
माम्लेदारचा पन्खा |
1 |
कृष्ण |
आनंदमयी |
20 |
मराठी कविता : नया दिन ! |
निमिष सोनार |
3 |
यमराजाचे मनोगत....! |
आयुर्हित |
0 |
पडद्या मागची व्यथा |
विवेकपटाईत |
0 |
तिला समुद्र आवडतो... |
माधुरी विनायक |
6 |
तिहारी लावणी |
पिवळा डांबिस |
45 |
महाभारत |
निलरंजन |
14 |
तू मला वगळून उरणे शक्य नाही |
drsunilahirrao |
3 |
फ़िर तेरी कहानी याद आयी....! |
वटवट |
7 |
तू गेलीस तेव्हा... |
आनंदमयी |
7 |
पार्वतीची व्यथा |
कहर |
10 |
वेडा बाबा |
ज्ञानोबाचे पैजार |
7 |
लटके आरोप ताठ मान !! |
माहितगार |
12 |
स्पंदन |
सार्थबोध |
1 |
जेल मधी जाऊ या, दिल्लीची बिल्ली |
विवेकपटाईत |
7 |
तीन शहाणे |
विवेकपटाईत |
11 |
शब्दाबाहेर |
चाणक्य |
10 |
इमारत |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
समाधानाचा शोध |
चैतू |
5 |
आई |
कहर |
9 |
चार बोतल वोडका |
वेल्लाभट |
17 |
तुला भेटलो |
उपटसुंभ |
5 |
मतदानाच्या यादीमधुनी गायब राजा राणी |
विदेश |
17 |
आज पाहुणे घरात घुसले, तुझ्यामुळे - |
विदेश |
7 |
लाटणे सोबती सोडीना ती पाठ - |
विदेश |
4 |
नाते अग्निशी |
शब्दानुज |
18 |
मिठीत तुझ्या असताना... |
जेनी... |
85 |
पाऊस नेहेमीच असा अवेळी यावा ...!! |
जेनी... |
28 |
टग्यामहाराज बारामतीकर |
मंदार दिलीप जोशी |
34 |
पोरका |
शब्दानुज |
2 |
<<<हलकेच सुरसुरी मग नाकातून खाली येते>>> |
प्यारे१ |
75 |
फेक |
फुंटी |
1 |
पांढर धुकं काळ धुकं |
विवेकपटाईत |
19 |
पराचा पारवा होतो |
drsunilahirrao |
9 |
हलकेच शिरशिरी मग ओठावरुन जाते |
drsunilahirrao |
12 |
पुष्पराज |
शब्दानुज |
2 |
पाणी |
शब्दानुज |
16 |
अतृप्ती-एक जीवन संघर्ष! |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
सये... |
चिनार |
4 |
तू |
पद्मश्री चित्रे |
15 |
विसर |
आनंदमयी |
5 |
नॉस्टॅल्जिआ |
ऋषिकेश |
16 |
विलक्षण कविता - असाध्य वीणा |
शुचि |
17 |
आई-बाप; आई-बाप, म्हणजे नक्की काय असतं? |
सार्थबोध |
2 |
एक काहीतरी…… |
चिनार |
4 |
पाऊस म्हणाला |
मालविका |
2 |
वरुणदेवाने फालतू त्याची जात दावू नये |
गंगाधर मुटे |
83 |
बघ जरा बघ जरा, |
माहितगार |
5 |
पिठ पाडण्या साठी कोणी जातं वापरु नये...... |
ज्ञानोबाचे पैजार |
3 |
कविता क्रमांक एक |
सुशेगाद |
8 |
विखुरल्या वेदना येथे सुगंधासारख्या राणी |
drsunilahirrao |
4 |
तू |
चाणक्य |
12 |
.......! |
स्पंदना |
36 |
फैसला |
drsunilahirrao |
6 |
संशय |
जातवेद |
2 |