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गन्धाल्पबलरागीयम् | Gandalf and the Balrog. |
बॅटमॅन |
32 |
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झोका |
मी-दिपाली |
14 |
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तो चावला मघाशी ह्यांना अशा ठिकाणी |
बेसनलाडू |
18 |
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नजर.. |
मन्या ऽ |
8 |
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(मन भूत भूत ओरडते..) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
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<<म्हण दादा दादा खोटे>> |
कानडाऊ योगेशु |
6 |
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घाव.....गजलेमधून |
तिरकीट |
6 |
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आषाढाच्या एक दिनी |
नूतन |
5 |
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शेतकरी आमचा बाप कधी राहिल टिपटाप ? |
अनिल चव्हाण राम... |
74 |
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पाखरांचे बोल |
चांदणशेला |
3 |
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दडपे पोहे..... |
माम्लेदारचा पन्खा |
6 |
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युग प्रवाहीणी |
Pradip kale |
10 |
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तुझी वाट |
चांदणशेला |
3 |
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सोहळा |
मी-दिपाली |
8 |
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येत नाही... |
अजब |
7 |
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अन् मग |
अनन्त्_यात्री |
7 |
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जीवघेणा फास |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
28 |
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अस्त |
सुमित_सौन्देकर |
3 |
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त्या पोराने |
मनोज |
9 |
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क्षमा प्रार्थना |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |
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कोरोना अमिताभ बच्चनलाही का छळत असतो ? |
माहितगार |
1 |
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विठूचा रंग काळा, आगळा |
शेखरमोघे |
2 |
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वारी नाही ... |
मनोज |
1 |
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चुकलेली वारी.. |
मी-दिपाली |
17 |
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सखे..फुलांसवेच आज माळ चांदवा! |
सत्यजित... |
24 |
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मी अभंगाची तुक्याच्या एक पंक्ती जाहलो! |
सत्यजित... |
12 |
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(सकाळी सकाळी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
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((मित्र घरी जायला निघतो तेव्हा)) |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
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ती आली तर |
मनोज |
1 |
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फुलपाखरू |
मन्या ऽ |
6 |
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( जेव्हा खूप खूप पाऊस पडेल ना ) |
रातराणी |
17 |
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सुशांत |
अनन्त्_यात्री |
6 |
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सकाळी सकाळी |
मनोज |
6 |
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शब्द |
पाटिल |
5 |
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जेव्हा खूप खूप पाऊस पडेल ना, |
प्राची अश्विनी |
20 |
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आई घरी जायला निघते तेव्हा... |
प्राची अश्विनी |
22 |
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तू गेल्यावर |
मनोज |
8 |
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अस्पर्शिता.. |
सस्नेह |
6 |
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(दिवस तुझे हे फुगायचे) |
गणेशा |
11 |
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(मुलगी घरी जायला निघते तेव्हा...) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
15 |
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वाटले की ती,अशी...जवळूृृृऽन गेली! |
सत्यजित... |
14 |
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माैन |
मी-दिपाली |
12 |
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अनादी .....अनंत..... |
Vivekraje |
1 |
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रूटीनाच्या रेट्यातही |
अनन्त्_यात्री |
4 |
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असा भास होतो |
मनोज |
5 |
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ती कळ्या देऊन गेली.. |
प्राची अश्विनी |
21 |
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भावंडं |
मायमराठी |
2 |
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दोघांत सांडलेला अंधार मी गिळालो. |
कौस्तुभ भोसले |
1 |
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कळ्या.. |
मनोज |
1 |
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आमंत्रण |
अनन्त्_यात्री |
11 |
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पाहता वळून मागे |
मनोज |
1 |
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(धागा धागा.....) |
अनन्त्_यात्री |
6 |
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आयुष्याच्या वाटेवर.. |
मन्या ऽ |
3 |
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प्रेम.. |
मन्या ऽ |
15 |
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पाऊस |
प्रमोद देर्देकर |
10 |
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गाण्यास पावसाच्या... |
सत्यजित... |
18 |
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आणि आत एक पाऊस.. |
पाटिल |
8 |
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आनंद शोधतांना..! |
राघव |
12 |
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कशास मग ते मोठे व्हावे? |
मनोज |
18 |
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गणित.. |
प्राची अश्विनी |
21 |
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जुना वाडा |
मनोज |
11 |
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वादळ |
पाषाणभेद |
2 |
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भेट ..... |
फिझा |
12 |
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प्रवासी |
अनुस्वार |
2 |
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मरण |
कौस्तुभ भोसले |
1 |
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पन्नाशीचा टप्पा |
मनोज |
17 |
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अंताक्षरी |
बाजीगर |
2 |
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झेन काव्य |
मूकवाचक |
15 |
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चक्र |
अनन्त्_यात्री |
11 |
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क्षितिजावरती पहाट होता..... !!! |
अमोल_००३ |
1 |