तुलाही,मलाही |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
कोरोना गो, गो कोरोना; साहेब म्हटले कोरोनाला |
पाषाणभेद |
4 |
का चाफा म्लान पडला |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
अपुर्ण |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
COVID19 च्या नावानं बो बो बो बो |
अनन्त्_यात्री |
3 |
वुई मीस 'यू'! |
माहितगार |
3 |
होळी |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
तारुण्य पुन्हा जगताना |
माहितगार |
5 |
ज्ञानोबांस नंब्र विनंती |
अनन्त्_यात्री |
12 |
अंबानींची फणी |
खिलजि |
2 |
राधाकृष्ण प्रणय प्रितीचे गीत |
माहितगार |
2 |
ती संध्याकाळ |
माहितगार |
2 |
एक चांदणी माझ्या घरात डोकावते |
चांदणे संदीप |
7 |
धर्म इथे बेताल झाला |
खिलजि |
2 |
(कितनी राते....) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
4 |
मानव प्रगल्भ अनसुय कधीच होणार नाही ? |
माहितगार |
2 |
आजि मराठीचा दिनु! |
Sumant Juvekar |
2 |
भादरायला हवे वाढलेले, भादरायला गेलो |
खिलजि |
9 |
कांताला सुरु झाल्या वांत्या |
खिलजि |
2 |
ग चांदण्यांनो |
चांदणे संदीप |
6 |
माय-(मराठीची) पोएम |
अनन्त्_यात्री |
0 |
मिलिंदमिलन |
मायमराठी |
8 |
बघुनी तुझी ती रंगीत अम्ब्रेला |
खिलजि |
2 |
केयलफिड्डी! |
चलत मुसाफिर |
4 |
एकदा प्रेमी राधा कृष्ण होऊन पहावे. |
माहितगार |
4 |
मिळालं का तुला माझं प्रेमाचं फूल सेंट केलेलं ? |
खिलजि |
5 |
रोमांचक भूल ! |
अविनाशकुलकर्णी |
6 |
मंत्रालयात 'आग'-बाई |
माहितगार |
7 |
परकीमिलन |
माहितगार |
2 |
(डबा) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
कोण कुठली रोहिणी |
Rohini Mansukh |
4 |
डबा |
Rohini Mansukh |
7 |
एका उदास संध्याकाळी |
पाषाणभेद |
0 |
'इमॅजिन' (कल्पना कर...) |
कुमार जावडेकर |
2 |
अनामिक |
Rohini Mansukh |
1 |
एकदा तरी माती व्हावे |
पाषाणभेद |
1 |
"शर" |
परशु |
1 |
मास्तरा- जाशिल कधि परतून? |
Sumant Juvekar |
3 |
वास्तव |
Rohini Mansukh |
2 |
मास्तरा- जाशिल कधि परतून? |
Sumant Juvekar |
3 |
वणवा |
चांदणशेला |
0 |
कुणी स्पेस देता का रे स्पेस? |
अबोलघेवडा |
1 |
द्वारकाधीश |
आनंदमयी |
8 |
हातचं राखून |
Rohini Mansukh |
4 |
मला कुठे शोधशील ? |
Rohini Mansukh |
2 |
चांदणं चाहूल |
चांदणशेला |
0 |
अनुवादित मंकु तिम्मन कग्ग - १ |
रोहित रामचंद्रय्या |
3 |
फिटेल का हे ऋण माझे |
खिलजि |
8 |
तो, ती आणि ते |
Rohini Mansukh |
5 |
दिल की बाते |
अनाहूत |
0 |
वृक्षतोड... |
गणेशा |
7 |
(प्रच्छन्न) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
2 |
प्रसन्न |
अनन्त्_यात्री |
2 |
(गंमत केली" म्हणालास तू) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
9 |
कविता: शब्द |
bhagwatblog |
0 |
<मंजूर नाही> |
उत्खनक |
1 |
मंजूर नाही |
क्रान्ति |
37 |
गझल |
क्रान्ति |
18 |
(पप्पूबाळा) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
9 |
"गंमत केली" म्हणालास तू... |
प्राची अश्विनी |
21 |
स्वामीराया |
शब्दांगी |
5 |
जयदेव जयदेव जय श्री ख्रिसमसट्री देवा |
माहितगार |
4 |
कविकल्पना |
Rohini Mansukh |
1 |
बापाचे मुलीस पत्र.. |
प्रियाभि.. |
7 |
अन रात झाली शाम्भवी |
खिलजि |
15 |
उडता मुका, जरी असला सुका |
खिलजि |
6 |
(सूरनळीचे उपयोग) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
दूष्काळ झळा... |
गणेशा |
12 |
माहेर, सासर |
पाषाणभेद |
1 |
बटाट्याचे उपयोग |
पाषाणभेद |
3 |