चुकलेली वारी.. |
मी-दिपाली |
17 |
सखे..फुलांसवेच आज माळ चांदवा! |
सत्यजित... |
24 |
मी अभंगाची तुक्याच्या एक पंक्ती जाहलो! |
सत्यजित... |
12 |
(सकाळी सकाळी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
((मित्र घरी जायला निघतो तेव्हा)) |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
ती आली तर |
मनोज |
1 |
फुलपाखरू |
मन्या ऽ |
6 |
( जेव्हा खूप खूप पाऊस पडेल ना ) |
रातराणी |
17 |
सुशांत |
अनन्त्_यात्री |
6 |
सकाळी सकाळी |
मनोज |
6 |
शब्द |
पाटिल |
5 |
जेव्हा खूप खूप पाऊस पडेल ना, |
प्राची अश्विनी |
20 |
आई घरी जायला निघते तेव्हा... |
प्राची अश्विनी |
22 |
तू गेल्यावर |
मनोज |
8 |
अस्पर्शिता.. |
सस्नेह |
6 |
(दिवस तुझे हे फुगायचे) |
गणेशा |
11 |
(मुलगी घरी जायला निघते तेव्हा...) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
15 |
वाटले की ती,अशी...जवळूृृृऽन गेली! |
सत्यजित... |
14 |
माैन |
मी-दिपाली |
12 |
अनादी .....अनंत..... |
Vivekraje |
1 |
रूटीनाच्या रेट्यातही |
अनन्त्_यात्री |
4 |
असा भास होतो |
मनोज |
5 |
ती कळ्या देऊन गेली.. |
प्राची अश्विनी |
21 |
भावंडं |
मायमराठी |
2 |
दोघांत सांडलेला अंधार मी गिळालो. |
कौस्तुभ भोसले |
1 |
कळ्या.. |
मनोज |
1 |
आमंत्रण |
अनन्त्_यात्री |
11 |
पाहता वळून मागे |
मनोज |
1 |
(धागा धागा.....) |
अनन्त्_यात्री |
6 |
आयुष्याच्या वाटेवर.. |
मन्या ऽ |
3 |
प्रेम.. |
मन्या ऽ |
15 |
पाऊस |
प्रमोद देर्देकर |
10 |
गाण्यास पावसाच्या... |
सत्यजित... |
18 |
आणि आत एक पाऊस.. |
पाटिल |
8 |
आनंद शोधतांना..! |
राघव |
12 |
कशास मग ते मोठे व्हावे? |
मनोज |
18 |
गणित.. |
प्राची अश्विनी |
21 |
जुना वाडा |
मनोज |
11 |
वादळ |
पाषाणभेद |
2 |
भेट ..... |
फिझा |
12 |
प्रवासी |
अनुस्वार |
2 |
मरण |
कौस्तुभ भोसले |
1 |
पन्नाशीचा टप्पा |
मनोज |
17 |
अंताक्षरी |
बाजीगर |
2 |
झेन काव्य |
मूकवाचक |
15 |
चक्र |
अनन्त्_यात्री |
11 |
क्षितिजावरती पहाट होता..... !!! |
अमोल_००३ |
1 |
कोंकणची वेदना.. |
अभिबाबा |
3 |
।। मातृदशक ।। |
अमोल_००३ |
7 |
"सद्गुरू"वाचोनी सापडली सोय |
अनन्त्_यात्री |
16 |
का न व्हावे मी स्वतःच सूर्य !!! |
अमोल_००३ |
2 |
आणि अश्या वेळी |
कौस्तुभ भोसले |
6 |
आत्तापर्यंत काय केलं? |
मनिष |
10 |
राहून गेले.. |
मन्या ऽ |
4 |
ढासळला वाडा |
पाषाणभेद |
3 |
बायका... |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
54 |
स्वप्नांचे पान मुंबई |
गणेशा |
12 |
यंत्र |
निखिल आनंद चिकाटे |
2 |
त्याचं दु:ख… |
मनिष |
9 |
उप्पीट मात्र बरे झाले |
मनस्विता |
8 |
पहिलीच माझी कविता... |
कादंबरी... |
13 |
वळण |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
13 |
कोण जमूरा कोण मदारी.. |
सेफ्टीपिन |
6 |
पाऊसवेळा |
कौस्तुभ भोसले |
2 |
गणितं.. |
मन्या ऽ |
5 |
मागे वळुन पाहताना.. |
मन्या ऽ |
5 |
हसण्या उसंत नाही |
कौस्तुभ भोसले |
11 |
ती अन् पाऊस.. |
मन्या ऽ |
3 |
त्या स्वप्नांना.. |
मन्या ऽ |
5 |
प्राक्तनवेळा |
कौस्तुभ भोसले |
2 |