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खिडकी |
अनन्त्_यात्री |
4 |
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ते तुझ्याचपाशी होते |
अनन्त्_यात्री |
2 |
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कविता - कृष्णधून |
VRINDA MOGHE |
4 |
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स्त्रीत्वाचा सन्मान |
ज्योति अळवणी |
3 |
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रे गझलाकारा, आवर तुझे दुकान... |
मोदक |
45 |
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तुझे चालणे दरवळून जाते....... |
किरण कुमार |
7 |
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डेस्टिनेशन ∞ |
अनन्त्_यात्री |
5 |
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ऊन्हाचा तुकडा |
प्रसाद साळवी |
1 |
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काय पाठवू पोस्ट? |
बाजीगर |
9 |
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ती |
आर्णव |
2 |
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ठिपके |
अनन्त्_यात्री |
9 |
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थोतांडवादी |
आनन्दा |
6 |
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गुरुघंटाल |
कर्नलतपस्वी |
4 |
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तू कितीसा उजेड पाडलास? |
उपयोजक |
6 |
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भगवंत.... |
Jayagandha Bhat... |
6 |
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मन |
पद्मश्री चित्रे |
14 |
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(ठिपसे) |
खेडूत |
2 |
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मुर्ख |
कर्नलतपस्वी |
4 |
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तोरण मरणाचे |
गणेशा |
9 |
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आतल्या आत |
अनन्त्_यात्री |
5 |
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असंही व्हॅलेंटाइनचं सेलिब्रेशन... |
मनस्विता |
4 |
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मरण... |
Jayagandha Bhat... |
8 |
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(आतल्या आत) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
5 |
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प्रवासी |
आर्णव |
6 |
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वार्याने पेटते रान आता हे .. |
गणेशा |
10 |
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मुक्त |
सरीवर सरी |
7 |
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जेव्हा अदम्य ऐसी |
अनन्त्_यात्री |
7 |
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'असेल घडले' आज काही इतिहासात :( |
उपयोजक |
7 |
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कविता - कविराज |
Arun V.Deshpande |
1 |
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उभा मी वाटेवरती |
चांदणे संदीप |
2 |
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कधीतरी |
अनन्त्_यात्री |
5 |
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हर दिन नया था हर |
कर्नलतपस्वी |
7 |
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हाक आभाळाची येता |
अनन्त्_यात्री |
7 |
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माझ काय चुकलं |
कर्नलतपस्वी |
2 |
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संकल्प |
कर्नलतपस्वी |
6 |
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पाऊस |
रामदास |
21 |
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लेखणीने लढाईस सज्ज व्हावे! |
गंगाधर मुटे |
27 |
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ताळेबंद |
रामदास |
10 |
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एक मुक्तक |
रामदास |
8 |
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चकवा |
रामदास |
11 |
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मी आणि पुस्तकं |
रामदास |
4 |
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तू ठरव... |
सत्यजित... |
13 |
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ये जेवण है, इस जेवण का.... |
बाजीगर |
14 |
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हाय काय अन् नाय काय! |
प्राची अश्विनी |
7 |
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काय आहे तुझ्या ...माझ्यात ??? |
प्रज्ञादीप |
2 |
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नुसतं हो म्हटलं म्हणून जुळत नसतं नातं.. |
प्राची अश्विनी |
9 |
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यमकं बिमकं, कविता बिविता.. |
प्राची अश्विनी |
30 |
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जलाशय |
अन्या बुद्धे |
2 |
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काही शब्द |
Bhakti |
5 |
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निळ्या टिक दाखवा हो।। |
उपयोजक |
7 |
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लाल बदामी प्रेम |
प्रज्ञादीप |
7 |
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अवघे भरून आले.. |
राघव |
7 |
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चंद्रायण..! |
सत्यजित... |
16 |
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लाख चुका असतील केल्या... |
अनन्त्_यात्री |
6 |
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मन तुझे-माझे |
मन्या ऽ |
3 |
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योगेश्वर... |
Jayagandha Bhat... |
9 |
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कुणीतरी... |
Jayagandha Bhat... |
7 |
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चालचलाऊ गीता |
क्रान्ति |
57 |
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सामान्य माणूस.... |
Jayagandha Bhat... |
2 |
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कविता |
VRINDA MOGHE |
1 |
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शायरी.. |
अत्रुप्त आत्मा |
7 |
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एकमुखाने बोला बोला नमो जयजयगान |
Anonymous (not verified) |
20 |
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मजसी भेटवा... |
Jayagandha Bhat... |
4 |
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मुसाफिर.. |
Jayagandha Bhat... |
2 |
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म सा वी |
चामुंडराय |
7 |
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'अरूणाचल पंचरत्नम' (भावानुवाद) |
मूकवाचक |
5 |
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मी पाहिलंय... |
आर्णव |
1 |
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आरसा |
आर्णव |
1 |
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पाऊस |
मका म्हणे |
2 |
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व्यथा |
अन्या बुद्धे |
4 |