ऋणत्रय आणि चातुर्वर्णाश्रम
# सनातनी मनुवादी लेखन
# स्वान्तःसुखाय
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"प्रसाद भाई , अरे भाई मैने अभी अभी पढा कि हर हिंदु जन्मसेही ३ कर्जे मे होता है , देव रिण, ऋषी रिण और पितृ रिण . क्या है भै ये ?"
"भाई तु क्या पढ रहा है और कहां से पढ रहा है ? ती जिस स्पीडसे पढ रहा है, समझ रहा है , तु तो एक दिन मुझसेभी जादा सनातनी हो जायेगा !"
"ख्या ख्या ख्या "
"ख्या ख्या ख्या "