आईचं छप्पर. |
गंगाधर मुटे |
6 |
कर…!!! |
वटवट |
6 |
सरी.. |
कविता१९७८ |
5 |
खट्याळ रसातली आध्यात्मिक गझल |
गंगाधर मुटे |
3 |
अश्याच एका पावसाळ्या रात्री ......... |
एक एकटा एकटाच |
12 |
तुझी वाट बघता बघता........ |
एक एकटा एकटाच |
9 |
झोका... |
दिनेश५७ |
2 |
आठवतेय का? |
रातराणी |
38 |
लटकलेली समीकरणं |
चाणक्य |
8 |
त्याची आठवण, |
ज्ञानोबाचे पैजार |
11 |
हायकू (?) |
दिनेश५७ |
3 |
माझ्या मना.... |
दिनेश५७ |
3 |
ती आणि मी.... |
एक एकटा एकटाच |
3 |
लढा |
शार्दुल_हातोळकर |
5 |
पाऊसगाणे... |
दिनेश५७ |
13 |
आईच्या कविता-१ |
दिनेश५७ |
9 |
आरास... |
दिनेश५७ |
3 |
तेरा नाम ( हिंदी ऊर्दू कविता व भावानुवाद) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
3 |
सुरज (हिंदी-उर्दू रचना आणि तिचा अनुवाद) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
13 |
हायकू – एक काव्य प्रकार |
उल्का |
36 |
तुझे नाव |
माहितगार |
0 |
एक उर्दू गझल - जो ठिकाना हैं हमारा |
पथिक |
5 |
वात्रटिका - पे कमिशन |
विवेकपटाईत |
4 |
माऊली उत्सव |
कवि मनाचा |
2 |
सार्थक जन्म-समर्पण अर्थात नर्मदाख्यान लोककथा. |
खुशि |
34 |
वणवा |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
जग हे मधुशाला |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
पाऊस... |
दिनेश५७ |
1 |
.....माझा शेतकरी राजा..... |
Bhagyashri sati... |
3 |
वाट! |
जव्हेरगंज |
7 |
मनातले माझ्या |
Bhagyashri sati... |
5 |
स्वप्नातली शामली |
दिनु गवळी |
27 |
तुझ्या नकळत |
अविनाशकुलकर्णी |
7 |
बंद पडलं.. |
अत्रुप्त आत्मा |
41 |
आपली तर काय..... |
वपाडाव |
73 |
( एका पावसात सगळ्यानी अडकायचं ) |
अमोल केळकर |
3 |
समाधान ! |
खेडूत |
9 |
तुला देव कसं म्हणायचं? |
वेल्लाभट |
6 |
मनातले माइ्या |
Bhagyashri sati... |
7 |
मला ना तुझ्या प्रेमाचं गणितच कळत नाही, |
जगप्रवासी |
23 |
तो नुसता ह्ंसायचा |
तिमा |
19 |
गारवा |
अविनाशकुलकर्णी |
12 |
.मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
कविता |
आ युष्कामी |
0 |
राहून गेलेलं |
पिशी अबोली |
34 |
वाट पहात आहे..... |
शिव कन्या |
2 |
आळस |
जव्हेरगंज |
2 |
..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. |
कानडाऊ योगेशु |
17 |
उन्हाळ्यातले थेंब (हायकू) |
धनंजय |
32 |
देव गाभाऱ्याबाहेर निघाला! |
DEADPOOL |
30 |
(किती लौकर आज उजाडलं बाई)............निकोलोडिऑन व्हर्शन |
अभ्या.. |
32 |
भूतकाळ सुरु होतो... |
|
1 |
मार्कर |
ए ए वाघमारे |
3 |
..तुझे टाळतो मी अताशा शहर.. |
कानडाऊ योगेशु |
5 |
गझल :- जंगलातले नियम इथे लावायचे |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
हमारी... अधुरी...... नव्वदोत्तरी.............................. |
मारवा |
5 |
सुंदरी काय आहे तुझ्या मनांत? |
अविनाशकुलकर्णी |
6 |
वात्रटिका - झिंगाट प्रेम |
विवेकपटाईत |
1 |
"व्वा…क्या बात है…!" |
अश्विनी वैद्य |
2 |
पावसामधल भंकस इंद्रधनुष्य |
सुशेगाद |
3 |
(या क्वार्टरवेळी) |
चतुरंग |
20 |
निशाण |
म्हसोबा |
2 |
विस्तारभयास्तव |
स्वामी संकेतानंद |
16 |
व्हिडीओ शूट |
चाणक्य |
8 |
मायीवाली ग्लोबल कविता |
स्वामी संकेतानंद |
24 |
समुद्र |
विश्वेश |
5 |
बारा अमावास्यांचे अंधार |
पालीचा खंडोबा १ |
8 |
हिरवीन |
चांदणे संदीप |
28 |
जेव्हा माझ्या कर्जांना (एका बँकरचे गार्हाणे) - विडंबन |
मंदार दिलीप जोशी |
12 |
जीवनाच्या डावपेचांची नसे पत्रास आता .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |