(बाटा रुते कुणाला) |
स्वामी संकेतानंद |
38 |
(अशी कबुतरे येती) |
स्वामी संकेतानंद |
7 |
काटा हालेना, काटा चालेना |
बाजीप्रभू |
14 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
13 |
मोहब्बत.. |
विनायक पन्त |
15 |
(महवांची गाळ फुले) |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
मेहबूब मेरे... |
विनायक पन्त |
18 |
भिंतीपल्याड जग असतं... |
वेल्लाभट |
9 |
कातरवेळ...... |
एक एकटा एकटाच |
4 |
तृप्ती |
स्वामी संकेतानंद |
7 |
खेकडा |
सुरवंट |
1 |
आपल्याकडे बुवा असलेच काही तरी असते.. |
पिके से पिके तक.. |
3 |
चाफा |
शिव कन्या |
18 |
सांज वेडी रंगताना |
माहीराज |
14 |
(एक विडंबन_व्हॅलेंटाईन डे) |
तर्राट जोकर |
12 |
रात्र |
आनंदमयी |
14 |
शब्दकोश |
सुचिकांत |
1 |
अपूर्ण कविता ..... |
मयुरMK |
1 |
मिपात जरा ऊदासच वाटलं... |
अभिदेश |
10 |
अस्तित्वाची बोंब |
संदीप डांगे |
11 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
गुजरान |
हरिदास |
4 |
धर्मासाठी........... |
एकप्रवासी |
9 |
सावली |
राघव |
14 |
पुण्यात जरा ऊदासच वाटलं |
जव्हेरगंज |
33 |
नको वाटते.. |
प्राची अश्विनी |
33 |
माझी पोर |
|
0 |
तहान |
|
12 |
अहो मानवी बाईजी, अहो मानवी रावजी |
माहितगार |
5 |
स्त्री - काल आणि आज |
विवेकपटाईत |
13 |
पत्रं |
मनीषा |
22 |
चारोळी: गैरसमजांशी वैर! |
निमिष सोनार |
1 |
विरजनातली साय |
पालीचा खंडोबा १ |
2 |
आवाज वाढव राहुल.... |
डॉ. एस. पी. दोरुगडे |
3 |
काम दाखव फेकू... |
तर्राट जोकर |
15 |
फ़ॆंटसी |
एक एकटा एकटाच |
3 |
हायकु (कायकु)-२ |
नाखु |
10 |
इडंबन की जय हो...! |
अत्रुप्त आत्मा |
48 |
बायको म्हणजे बायको म्हणजे बायकोचं असतें |
पगला गजोधर |
15 |
राहील कुठे आता ही चिमणी? |
खेडूत |
12 |
"बुवा....." |
टवाळ कार्टा |
20 |
प्रतीक्षा |
मयुरMK |
2 |
देवा... |
कविता१९७८ |
1 |
काळरात्र....!!!!! |
एक एकटा एकटाच |
25 |
हुंकार वेदनेचे |
पालीचा खंडोबा १ |
1 |
आपण किती हसतो! |
सुमेध रानडे |
2 |
Mobile |
अविनाश लोंढे. |
8 |
सोने की चिड़ियां |
संदीप डांगे |
7 |
डॉलर |
अविनाश लोंढे. |
2 |
तेच ते |
मित्रहो |
3 |
एकटेपणाच्या कविता |
पालीचा खंडोबा १ |
7 |
बुधवारच्या कविता |
llपुण्याचे पेशवेll |
68 |
ऋण |
यशोधरा |
33 |
दुलई |
सुमेध रानडे |
11 |
प्रपोजल् |
बेसनलाडू |
23 |
Celebration |
पालीचा खंडोबा १ |
10 |
तुझे मजवरी भाळणे ते अवेळी |
विशाल कुलकर्णी |
36 |
(तुझे पाशवी बोलणे ते अवेळी) |
चतुरंग |
29 |
'माझा' 'मी' 'मी' 'मी' चा पाढा, आजपण तू ऐकशील का..? |
मोदक |
165 |
खिशात किती नोटा आहेत जमा ? |
मयुरMK |
10 |
निवले तुफान आता |
गंगाधर मुटे |
18 |
वऱ्हाडी लोकगीत -उचाट नागोबुढा |
श्रीरंग_जोशी |
12 |
पाहीलं मी तुला |
माहीराज |
0 |
कविता |
शैलेन्द्र |
29 |
लकेरी |
पालीचा खंडोबा १ |
1 |
पाऊस कालचा |
gsjendra |
0 |
कुंपणापलीकडली हुरहूर |
पालीचा खंडोबा १ |
5 |
.बनलेही असते राधा, मज कृष्ण भेटला नाही .. |
प्राची अश्विनी |
91 |