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नाचरी गाय - २ (आधारित) |
चित्रा |
8 |
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प्रीत खुळी |
अज्ञातकुल |
4 |
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माझी मिठि अद्याप खुली आहे.......... |
पंडित मयुरेश ना... |
41 |
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पंजा माझा |
मंदार दिलीप जोशी |
20 |
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अपेक्षा |
मि मिपाचा मित्रच |
1 |
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विडंबनाची भेळपुरी |
घाटावरचे भट |
62 |
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क्षण |
चाणक्य |
9 |
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काळजातली धग विझु देउ नकोस....... |
पंडित मयुरेश ना... |
7 |
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जपू एकट्याने घडी जीवनाची... |
आनंदमयी |
28 |
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लेले.. |
गवि |
18 |
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युगलगीतः नको नको नको नको नको |
पाषाणभेद |
7 |
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सावळ्या तुझ्याविना... |
आनंदमयी |
31 |
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सामान्य |
डॉ सुहास म्हात्रे |
19 |
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अजून आहे मी वनवासी |
आनंदमयी |
9 |
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इतकेच मला जाताना... |
चिन्मय खंडागळे |
4 |
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नवे देव आणि त्यान्चे नवे भाव |
शेखरमोघे |
1 |
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भरारी |
अज्ञातकुल |
5 |
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मिपाकरलक्षणे समास द्वितीय |
सस्नेह |
50 |
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कारण जीवन हे लोणचं आहे... |
भिकापाटील |
13 |
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अंथर |
अज्ञातकुल |
1 |
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हॅपी न्यू यर रे बाबांनो... |
वेल्लाभट |
1 |
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झिंगूनी गुत्त्यात सार्या... |
धन्या |
27 |
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२०१४ चा आशावादी आढावा !! |
निमिष सोनार |
8 |
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एक चारोळी ... ! |
psajid |
0 |
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बाप माणुस |
jaypal |
7 |
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बिंब आणि प्रतिबिंब |
शेखरमोघे |
0 |
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तेंव्हा |
psajid |
4 |
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अनुप्रीती |
अज्ञातकुल |
4 |
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तू रे पल्याड गोविंदा! |
आतिवास |
23 |
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का रे बा विठ्ठ्ला का न भेटी मला? |
पाषाणभेद |
8 |
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अशाच एका सांज वेळी |
पंडित मयुरेश ना... |
3 |
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दिवस आठवले आपल्या जुन्या मैफिलीचे..... |
पंडित मयुरेश ना... |
6 |
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कवडसे |
उपटसुंभ |
5 |
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थोडं थोडं जगून घे |
वैभवकुमारन |
3 |
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झुळुक वादळी |
अज्ञातकुल |
3 |
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आयुष्य |
हेमान्गी |
2 |
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नाही चाखली चव 'लाडू'ची- (विडंबन) |
विदेश |
8 |
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व्युत्क्रमी परिकर्म |
निनाद |
19 |
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चिर अनंत |
अज्ञातकुल |
0 |
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दॅट्स व्हाय इंडिया महान है : नागपुरी तडका |
गंगाधर मुटे |
12 |
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बसा की एकदा खुर्ची वरती |
विवेकपटाईत |
2 |
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लेखकु |
मंदार दिलीप जोशी |
5 |
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झुक्या तुझ्या फेसबुकला |
विनय_६६७ |
4 |
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आलेख |
अज्ञातकुल |
3 |
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~झालंया सगळ येगळ~ |
वैभवकुमारन |
0 |
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फुकुशिमानो तोत्तोचान |
नगरीनिरंजन |
3 |
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प्रौढखणी |
अज्ञातकुल |
1 |
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"पाऊस येईल" |
अमेय६३७७ |
22 |
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दिवा आणि ती |
अमेय६३७७ |
14 |
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कविता : घरची मैफल !! |
बाळअमोघ |
2 |
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गूढ भाषा नयनांच्या !! |
बाळअमोघ |
0 |
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"घन आज तो कठोर आहे" |
वैभवकुमारन |
7 |
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असे होणारच |
वैभवकुमारन |
1 |
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बोकुल्या ये ना |
विनय_६६७ |
17 |
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जत्रा |
विनय_६६७ |
0 |
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~देवा आता हार मान तू~ |
वैभवकुमारन |
2 |
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प्रेम-एक काव्यगुण |
अत्रुप्त आत्मा |
24 |
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जे न देखे आम्ही... |
हैयो हैयैयो |
13 |
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सये शीकलो आहे तुझ्यावाचून जगण्याची मी गोडी |
वैभवकुमारन |
8 |
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ऐश्वर्य |
सार्थबोध |
1 |
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"यमाची वरात" |
वैभवकुमारन |
11 |
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परिपूर्ण गीता |
अज्ञातकुल |
0 |
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'हरवलेलं गाव' |
वैभवकुमारन |
8 |
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वसा संस्कृतीचा |
BONGALE SANTOSH... |
5 |
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जगणं |
psajid |
1 |
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मन म्हणते आहे !! |
psajid |
10 |
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~आज मला शब्द व्हायचय~ |
वैभवकुमारन |
5 |
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हात |
विवेकपटाईत |
30 |
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बेधुंद मनीचे बोल... |
आनंदमयी |
5 |
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पगडी |
मनीषा |
10 |