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इमारत |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
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समाधानाचा शोध |
चैतू |
5 |
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आई |
कहर |
9 |
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चार बोतल वोडका |
वेल्लाभट |
17 |
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तुला भेटलो |
उपटसुंभ |
5 |
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मतदानाच्या यादीमधुनी गायब राजा राणी |
विदेश |
17 |
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आज पाहुणे घरात घुसले, तुझ्यामुळे - |
विदेश |
7 |
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लाटणे सोबती सोडीना ती पाठ - |
विदेश |
4 |
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नाते अग्निशी |
शब्दानुज |
18 |
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मिठीत तुझ्या असताना... |
जेनी... |
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पाऊस नेहेमीच असा अवेळी यावा ...!! |
जेनी... |
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टग्यामहाराज बारामतीकर |
मंदार दिलीप जोशी |
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पोरका |
शब्दानुज |
2 |
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<<<हलकेच सुरसुरी मग नाकातून खाली येते>>> |
प्यारे१ |
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फेक |
फुंटी |
1 |
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पांढर धुकं काळ धुकं |
विवेकपटाईत |
19 |
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पराचा पारवा होतो |
drsunilahirrao |
9 |
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हलकेच शिरशिरी मग ओठावरुन जाते |
drsunilahirrao |
12 |
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पुष्पराज |
शब्दानुज |
2 |
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पाणी |
शब्दानुज |
16 |
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अतृप्ती-एक जीवन संघर्ष! |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
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सये... |
चिनार |
4 |
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तू |
पद्मश्री चित्रे |
15 |
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विसर |
आनंदमयी |
5 |
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नॉस्टॅल्जिआ |
ऋषिकेश |
16 |
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विलक्षण कविता - असाध्य वीणा |
शुचि |
17 |
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आई-बाप; आई-बाप, म्हणजे नक्की काय असतं? |
सार्थबोध |
2 |
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एक काहीतरी…… |
चिनार |
4 |
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पाऊस म्हणाला |
मालविका |
2 |
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वरुणदेवाने फालतू त्याची जात दावू नये |
गंगाधर मुटे |
83 |
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बघ जरा बघ जरा, |
माहितगार |
5 |
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पिठ पाडण्या साठी कोणी जातं वापरु नये...... |
ज्ञानोबाचे पैजार |
3 |
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कविता क्रमांक एक |
सुशेगाद |
8 |
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विखुरल्या वेदना येथे सुगंधासारख्या राणी |
drsunilahirrao |
4 |
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तू |
चाणक्य |
12 |
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.......! |
स्पंदना |
36 |
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फैसला |
drsunilahirrao |
6 |
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संशय |
जातवेद |
2 |
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आयुष्याचे सात वार |
sunrise |
5 |
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मरणे कठीण झाले |
गंगाधर मुटे |
27 |
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पाप आणि पुण्य |
sunrise |
3 |
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कचरा |
विवेकपटाईत |
7 |
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माझं मत कुणाला..... |
निलरंजन |
2 |
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रूमानी |
अनाम |
18 |
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प्रीतीची पारंबी |
गंगाधर मुटे |
1 |
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निवडणुकीचा बिगुल . . . |
संचित प्रमोद कु... |
0 |
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एकटा जगी मी उरलो |
निलरंजन |
2 |
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राधा |
चिनार |
5 |
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मी तुझ्या ऐन्यात होतो नेहमी |
drsunilahirrao |
0 |
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सदिच्छा : शुद्धी, वृद्धी, शुद्धी !! |
निमिष सोनार |
3 |
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लोकशाहीचा सांगावा |
गंगाधर मुटे |
1 |
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तुझे युद्ध हे छान समृद्ध झाले |
drsunilahirrao |
17 |
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तुझ्याशिवाय.............. |
विवेकवि |
1 |
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डर्बी लाजिरवाणी (मॅन्चेस्टर युनायटेड च्या पराभवाचं गीत) |
वेल्लाभट |
17 |
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सूर्य थकला आहे |
गंगाधर मुटे |
1 |
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देव पाहिलेला माणूस |
ज्ञानोबाचे पैजार |
1 |
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ही अता विद्रोह करते कातडी |
drsunilahirrao |
3 |
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रंग आणखी मळतो आहे |
गंगाधर मुटे |
3 |
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तुझ्या गुन्ह्याचे अजून कोठेच नाव नाही |
drsunilahirrao |
10 |
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कंपासपेटी |
मंदार दिलीप जोशी |
3 |
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भिऊ नकोस मी आहे तुझ्यापाठी |
आयुर्हित |
5 |
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भजन - महागाई |
वेल्लाभट |
4 |
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मी परदेशी |
अज्ञातकुल |
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नसतील शब्द जिवंत जर का |
वैभवकुमारन |
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आयचाघोरसचा सिद्धांत |
मंदार दिलीप जोशी |
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ओळख पाहू -होळीमय चारोळ्या |
विवेकपटाईत |
1 |
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सुराई |
drsunilahirrao |
3 |
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'बाळाची शर्यत-' (बालकविता) |
विदेश |
3 |
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चला, असाही एक वाढदिवस... |
अजय जोशी |
1 |
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क्षितिज |
सार्थबोध |
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