पुष्पराज |
शब्दानुज |
2 |
पाणी |
शब्दानुज |
16 |
अतृप्ती-एक जीवन संघर्ष! |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
सये... |
चिनार |
4 |
तू |
पद्मश्री चित्रे |
15 |
विसर |
आनंदमयी |
5 |
नॉस्टॅल्जिआ |
ऋषिकेश |
16 |
विलक्षण कविता - असाध्य वीणा |
शुचि |
17 |
आई-बाप; आई-बाप, म्हणजे नक्की काय असतं? |
सार्थबोध |
2 |
एक काहीतरी…… |
चिनार |
4 |
पाऊस म्हणाला |
मालविका |
2 |
वरुणदेवाने फालतू त्याची जात दावू नये |
गंगाधर मुटे |
83 |
बघ जरा बघ जरा, |
माहितगार |
5 |
पिठ पाडण्या साठी कोणी जातं वापरु नये...... |
ज्ञानोबाचे पैजार |
3 |
कविता क्रमांक एक |
सुशेगाद |
8 |
विखुरल्या वेदना येथे सुगंधासारख्या राणी |
drsunilahirrao |
4 |
तू |
चाणक्य |
12 |
.......! |
स्पंदना |
36 |
फैसला |
drsunilahirrao |
6 |
संशय |
जातवेद |
2 |
आयुष्याचे सात वार |
sunrise |
5 |
मरणे कठीण झाले |
गंगाधर मुटे |
27 |
पाप आणि पुण्य |
sunrise |
3 |
कचरा |
विवेकपटाईत |
7 |
माझं मत कुणाला..... |
निलरंजन |
2 |
रूमानी |
अनाम |
18 |
प्रीतीची पारंबी |
गंगाधर मुटे |
1 |
निवडणुकीचा बिगुल . . . |
संचित प्रमोद कु... |
0 |
एकटा जगी मी उरलो |
निलरंजन |
2 |
राधा |
चिनार |
5 |
मी तुझ्या ऐन्यात होतो नेहमी |
drsunilahirrao |
0 |
सदिच्छा : शुद्धी, वृद्धी, शुद्धी !! |
निमिष सोनार |
3 |
लोकशाहीचा सांगावा |
गंगाधर मुटे |
1 |
तुझे युद्ध हे छान समृद्ध झाले |
drsunilahirrao |
17 |
तुझ्याशिवाय.............. |
विवेकवि |
1 |
डर्बी लाजिरवाणी (मॅन्चेस्टर युनायटेड च्या पराभवाचं गीत) |
वेल्लाभट |
17 |
सूर्य थकला आहे |
गंगाधर मुटे |
1 |
देव पाहिलेला माणूस |
ज्ञानोबाचे पैजार |
1 |
ही अता विद्रोह करते कातडी |
drsunilahirrao |
3 |
रंग आणखी मळतो आहे |
गंगाधर मुटे |
3 |
तुझ्या गुन्ह्याचे अजून कोठेच नाव नाही |
drsunilahirrao |
10 |
कंपासपेटी |
मंदार दिलीप जोशी |
3 |
भिऊ नकोस मी आहे तुझ्यापाठी |
आयुर्हित |
5 |
भजन - महागाई |
वेल्लाभट |
4 |
मी परदेशी |
अज्ञातकुल |
0 |
नसतील शब्द जिवंत जर का |
वैभवकुमारन |
0 |
आयचाघोरसचा सिद्धांत |
मंदार दिलीप जोशी |
27 |
ओळख पाहू -होळीमय चारोळ्या |
विवेकपटाईत |
1 |
सुराई |
drsunilahirrao |
3 |
'बाळाची शर्यत-' (बालकविता) |
विदेश |
3 |
चला, असाही एक वाढदिवस... |
अजय जोशी |
1 |
क्षितिज |
सार्थबोध |
0 |
तू अता ये याच रस्त्याने तुझ्यापाशी ... |
drsunilahirrao |
0 |
२०१४ इलेक्शन स्पेशल - चार ओळी |
अमोल केळकर |
2 |
सावित्रीच्या लेकी - महिला दिना निमित्त |
नेत्रा वैद्य |
2 |
मटका भरके सूरज उल्टा |
चाणक्य |
14 |
आदिशक्ती.... |
स्मिता श्रीपाद |
6 |
बायको ही सायको असते..डरकाळ्या आणि म्यांव..म्यांव |
कानडाऊ योगेशु |
24 |
बघता बघता देवा - |
विदेश |
8 |
चालत राहणार |
विवेकपटाईत |
1 |
मदिरा स्तोत्र |
नेत्रा वैद्य |
11 |
मी तुझा चंद्र झालो |
मंदार दिलीप जोशी |
1 |
खिचडी बिघडली - विडंबन |
नेत्रा वैद्य |
3 |
निवडणूका जवळ आल्या सारखे वाटतंय |
निलरंजन |
0 |
मराठी भाषा |
Bhagwanta Wayal |
1 |
माय मराठीचे श्लोक...!! (ध्वनीफ़ित) |
गंगाधर मुटे |
2 |
मायमराठी |
सार्थबोध |
1 |
श्वास लय |
अज्ञातकुल |
0 |
स्विकार... |
अत्रुप्त आत्मा |
32 |
वसुधैव कुटुंबकम |
आयुर्हित |
0 |