देवा तुला नक्की काय करायचं होतं ? |
अभिषेक पांचाळ |
0 |
अश्वत्थामा |
अनन्त्_यात्री |
11 |
देवाचे स्थान कुठे ।। |
माहीराज |
12 |
निळावन्ती |
अनन्त्_यात्री |
12 |
शतजन्म शोधिताना..... |
पराग देशमुख |
12 |
"पॅलेस ऑन व्हील्स " |
पदकि |
0 |
एक हिंस्र कविता (?)... (१८+ only) |
अस्वस्थामा |
30 |
दुस्तर हा घाट |
अनन्त्_यात्री |
5 |
भेट |
चांदणशेला |
0 |
जखमात यौवनाच्या |
शार्दुल_हातोळकर |
19 |
स्पर्श वेडे |
चांदणशेला |
0 |
भिजू दे निशा |
अनिल इन्गले |
0 |
भिजू दे निशा |
अनिल इन्गले |
0 |
आई |
ज्योति अळवणी |
1 |
दूर पर्यंत जाईल तो विषय निघाला तर |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
ती एक वेडी |
निओ |
1 |
खंत वेड्या मनाची (गझल) |
शार्दुल_हातोळकर |
14 |
स्वतःला ओळखायचं असत! |
ज्योति अळवणी |
1 |
बाप फितूर झाला......... |
किरण कुमार |
12 |
अव्यक्त भावना ही, शब्दांविनाच बोले |
खग्या |
7 |
चिमणी |
तिरकीट |
6 |
बोलू नकोस काही |
किरण कुमार |
10 |
वडील |
वृंदा१ |
1 |
वडील |
वृंदा१ |
11 |
वडील |
वृंदा१ |
3 |
शिव शिव |
कर्रोफर नमुरा |
1 |
(कुणाच्या फांदीवर कुणाची आर्ची) |
स्वामी संकेतानंद |
11 |
(डोलकरांचे मनोगत) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
21 |
घरट्याची ओढ |
चांदणे संदीप |
21 |
कसा फुलताना दिसू? |
चांदणे संदीप |
15 |
सावरकरांचे मनोगत |
कवि मानव |
10 |
पहाट धुके २ |
Pradip kale |
0 |
राग (अर्थातच सान्गितिक) |
खग्या |
10 |
भक्ष (भयकविता) |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
10 |
एका लग्नाची ऐकीव गोष्ट. |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
प्रीत भेटेल का गं... |
सुर्यान्श |
0 |
घर |
चाणक्य |
3 |
ती माझी होती |
दिनु गवळी |
15 |
भिकारी |
शार्दुल_हातोळकर |
24 |
Naate (इडंबन) |
दमामि |
3 |
नोटबंदीचे अभंग |
भारी समर्थ |
11 |
Naate |
Savnil |
1 |
शोर |
अबोली२१५ |
2 |
तुम्ही |
वृंदा१ |
0 |
वडील |
वृंदा१ |
0 |
वडील |
वृंदा१ |
5 |
(नाक गळतंय माझं..) |
खेडूत |
6 |
स्मरणातल्या बाप्पा |
वृंदा१ |
1 |
घर गळतंय माझं..... |
अबोली२१५ |
12 |
अंतरंग |
अमिता राउत |
2 |
कस्सा राव थांबू... |
अत्रुप्त आत्मा |
130 |
(आम्हां न कळे नज़्म) |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
अमिट लक्ष्मणरेखा |
विवेकपटाईत |
0 |
सय संद्याकाय |
ऊध्दव गावंडे |
11 |
(बंदीपायी जीवा लागलीसे वाट) |
स्वामी संकेतानंद |
13 |
कदंब |
प्राजु |
36 |
काय तुझे होणार... मानवा |
कवि मानव |
0 |
(कोरडी भाकर) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
12 |
रस - रस - रसायन |
हर_हुन्नरी |
2 |
कोरडा स्वर |
प्राजु |
5 |
नितंब (विडंबन) |
दमामि |
11 |
सय संद्याकाय |
ऊध्दव गावंडे |
0 |
स्वार्थाच्या बाजारी, मैत्री अशी रंगली |
विवेकपटाईत |
1 |
नायक क्रमांक एक |
ज्ञानोबाचे पैजार |
28 |
वास्तव |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
माणुसकी |
वेल्लाभट |
15 |
जुन्या मराठी कविता |
विवान |
4 |
तत्वा, तुझी किंमत बघ! |
वेल्लाभट |
17 |
चोरले जाणार नाही 'ते' |
भारी समर्थ |
10 |
(लिहितो विडंबन स्वतःच साठी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |