पानगळती |
ज्ञानदेव पोळ |
2 |
वसंत केला आयुष्याचा,बहर वेचले पानझडीचे! |
सत्यजित... |
8 |
शब्दतुला |
विशाल कुलकर्णी |
6 |
नाद मेघांचाच दर्जेदार होता... |
सत्यजित... |
2 |
वणवा |
पद्म |
2 |
चारू-वाक १ |
माहितगार |
1 |
नाही; माझा प्रॉब्लेमच आहे |
वेल्लाभट |
21 |
एक कप तिचा.... |
अत्रुप्त आत्मा |
18 |
उधळायचे तर उधळून घे माधळून घे |
माहितगार |
1 |
" ळ " च्या करामती |
ऋतु हिरवा |
4 |
पाण्यात हसरी राधा रुक्मिणी सवे |
माहितगार |
2 |
म्हणूनच तर मी घोरत होते |
माहितगार |
3 |
केवळ माझीया विवेका संगे |
माहितगार |
0 |
वाहताना-जगताना |
पिशी अबोली |
0 |
----- |
मितान |
25 |
फुलपाखरु मनाचे हळुवार होत आहे! |
सत्यजित... |
16 |
दाही दिशांस जेंव्हा... |
सत्यजित... |
4 |
आज तु आठवलीस... |
Pradip kale |
0 |
हे फक्त माणसातच ! |
शिव कन्या |
8 |
आई |
अक्षय दुधाळ |
3 |
नको तेवढे सत्य..... सत्यानाश ! |
अरुण मनोहर |
2 |
माझ्या कवितेची शाई |
अनन्त्_यात्री |
9 |
शब्दतुला |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
शब्दतुला |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
त्या सुऱ्याची चालही लयदार आहे! |
सत्यजित... |
9 |
निघाला (गजल) |
संदीप-लेले |
16 |
रिक्त प्याल्याच्या तळाशी... |
सत्यजित... |
11 |
कविता |
संदीप-लेले |
0 |
एक बेवारस प्रेत - माझा बाप |
परशु सोंडगे |
12 |
स्पेशल महापुरूष |
परशु सोंडगे |
3 |
अडवाटेवरच देऊळ |
ओ |
1 |
हळव्या खुणा |
चांदणशेला |
0 |
( वरपरीक्षा ) |
रातराणी |
14 |
चेटकीण |
ओ |
7 |
निळाई ... |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
जीवात्मा |
संदीप-लेले |
4 |
सुखाच्या शोधात... |
उपेक्षित |
3 |
अस्पृश्य |
ओ |
6 |
बोललो नाही कधी पण... |
सत्यजित... |
4 |
वधूपरीक्षा |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
निशीगंधाचे उखाणे |
परशु सोंडगे |
0 |
?? नाव सुचले नाही ?? |
इना |
0 |
वायाच एमबी चालली |
फुंटी |
0 |
ढग, पाउस, आठवणी आणि भावना... |
सतिश गावडे |
32 |
कवितेवरची कविता |
चुकलामाकला |
13 |
छळ |
संदीप-लेले |
2 |
विमान |
संदीप-लेले |
6 |
तूच तू... |
ज्योति अळवणी |
7 |
पुन्हा भोन्डला (भोन्डल्याची गाणी ) |
मूखदूर्बळ |
1 |
राधा |
शैलेन्द्र |
16 |
इंद्रजाल |
चांदणशेला |
1 |
ग़ज़ल - म्हटलेच होते |
वेल्लाभट |
18 |
पेटुनी आरक्त संध्या... |
सत्यजित... |
28 |
पात्रामध्ये नदीच्या प्रेते सडूनी गेली ... |
विशाल कुलकर्णी |
18 |
(ग़ज़ल - म्हटलेच होते) |
चतुरंग |
4 |
चलच्चित्र |
संदीप-लेले |
1 |
प्रकाशवाट |
ओ |
1 |
वेदना.. |
राघव |
4 |
मन... जीवन... |
ज्योति अळवणी |
0 |
तो मी नव्हेच |
अनन्त्_यात्री |
4 |
एक 'मळमळ-झल' |
स्वामी संकेतानंद |
2 |
घे भरारी..मन म्हणाले... |
सत्यजित... |
6 |
नकळत |
निनाव |
0 |
शांत समय अन्... |
Pradip kale |
6 |
होऊन आज सूर्य (गझल) |
शार्दुल_हातोळकर |
14 |
तिचे हासणे चांदण्याचा चुरा... |
सत्यजित... |
22 |
तू नभीचा चंद्रमा हो... |
सत्यजित... |
0 |
समांतर |
ओ |
0 |
एकच अमृत घोट मिळावे |
निनाव |
2 |
आदिप्रश्न |
अनन्त्_यात्री |
15 |