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पुन्हा भोन्डला (भोन्डल्याची गाणी ) |
मूखदूर्बळ |
1 |
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राधा |
शैलेन्द्र |
16 |
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इंद्रजाल |
चांदणशेला |
1 |
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ग़ज़ल - म्हटलेच होते |
वेल्लाभट |
18 |
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पेटुनी आरक्त संध्या... |
सत्यजित... |
28 |
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पात्रामध्ये नदीच्या प्रेते सडूनी गेली ... |
विशाल कुलकर्णी |
18 |
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(ग़ज़ल - म्हटलेच होते) |
चतुरंग |
4 |
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चलच्चित्र |
संदीप-लेले |
1 |
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प्रकाशवाट |
ओ |
1 |
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वेदना.. |
राघव |
4 |
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मन... जीवन... |
ज्योति अळवणी |
0 |
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तो मी नव्हेच |
अनन्त्_यात्री |
4 |
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एक 'मळमळ-झल' |
स्वामी संकेतानंद |
2 |
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घे भरारी..मन म्हणाले... |
सत्यजित... |
6 |
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नकळत |
निनाव |
0 |
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शांत समय अन्... |
Pradip kale |
6 |
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होऊन आज सूर्य (गझल) |
शार्दुल_हातोळकर |
14 |
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तिचे हासणे चांदण्याचा चुरा... |
सत्यजित... |
22 |
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तू नभीचा चंद्रमा हो... |
सत्यजित... |
0 |
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समांतर |
ओ |
0 |
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एकच अमृत घोट मिळावे |
निनाव |
2 |
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आदिप्रश्न |
अनन्त्_यात्री |
15 |
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दृष्टीकोन |
संदीप-लेले |
0 |
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काँग्रेसची आरती-अर्थात काँग्रेसचा बेंडबाजा |
अत्रुप्त आत्मा |
24 |
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तुझे रंग |
परशु सोंडगे |
4 |
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शून्य.... |
ओ |
0 |
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मंद थोडासा तुझा आभास किणकिणतो .. |
drsunilahirrao |
17 |
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किमया |
संदीप-लेले |
0 |
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रंग |
परशु सोंडगे |
2 |
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चंद्र नको , तारे नको |
अभिषेक पांचाळ |
10 |
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मिसळपाव |
इरसाल कार्टं |
13 |
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मान |
संदीप-लेले |
3 |
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झेप |
aanandinee |
1 |
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कैद तिच्या डोळ्यात दिगंतर असते .. |
drsunilahirrao |
6 |
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आरसा हरवेल तेव्हा ये .. |
drsunilahirrao |
34 |
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जसजसे जगणे सुखासिन होत आहे.. |
drsunilahirrao |
4 |
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सावल्यांची सरमिसळ होते .. |
drsunilahirrao |
19 |
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दु:ख अवघा धृवतारा मागते |
drsunilahirrao |
12 |
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अष्टावधानी |
भटकीभिंगरी |
0 |
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पागोळ्या |
निराकार गाढव |
9 |
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राउळी या मनाच्या |
वेल्लाभट |
38 |
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गैरसमज |
संदीप-लेले |
4 |
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मी ....अब्जशीर्ष |
अनन्त्_यात्री |
0 |
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...त्या वेळी कळले नाही |
अनन्त्_यात्री |
8 |
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मन |
अमिता राउत |
0 |
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ती वाचत असता कविता |
अनन्त्_यात्री |
1 |
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अर्धा घाव |
चांदणशेला |
0 |
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कातरवेळी |
चांदणशेला |
2 |
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प्रणय रात्र |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
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:( ? |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
10 |
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आज मला समजलं |
अभिषेक पांचाळ |
0 |
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इथेच जमवा कंपू, इथेच टाका तंबू ! |
लीना कनाटा |
7 |
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मला ती आवडायची...... - कवि: राजू पवार |
माहितगार |
35 |
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कुणीतरी असावे, कवि:समाधान कदम |
माहितगार |
5 |
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कदाचित (भयगुढ कविता) |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
11 |
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एवढं करंच... |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
13 |
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कुणास ठावूक कशी पण जेलात गेली शशी |
मूखदूर्बळ |
2 |
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ट्रिंग ट्रिंग !!!!! |
बटाटा चिवडा |
0 |
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पाऊस असा रडतो |
चांदणशेला |
1 |
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!!! ....सभा "Social Networking " ची.... !!! |
बटाटा चिवडा |
2 |
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माझी एक गोची होते |
अनन्त्_यात्री |
16 |
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प्रश्नत्रयी |
अनन्त्_यात्री |
8 |
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आम्ही कोण?-निवडणूक उमेदवाराचे मनोगत (कविश्रेष्ठ केशवसुता॓ची क्षमा मागून) |
अनन्त्_यात्री |
6 |
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मंद मंद पहाट |
चांदणशेला |
8 |
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संतापाचा रीटेक |
वेल्लाभट |
11 |
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होतकरू नगरसेवकानची भरली होती सभा, |
मूखदूर्बळ |
3 |
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१०० नंबरी प्रेम |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
14 |
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गजलांकित प्रतिष्ठान |
माहितगार |
0 |
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प्रेम |
पराग देशमुख |
0 |
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त्या आतल्या द्युतीला |
अनन्त्_यात्री |
5 |