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देवाचे मनोगत |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
0 |
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मन माझं गोगलगाय ! |
मितान |
27 |
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ताणे-बाणे स्थल-कालाचे.. |
अनन्त्_यात्री |
5 |
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मुलगा |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
1 |
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प्राजक्त |
पिशी अबोली |
5 |
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लाल दिवा . . . . . . |
माम्लेदारचा पन्खा |
1 |
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चारोळी: हिरवा"गार" पाऊस! |
निमिष सोनार |
6 |
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माराल काय तुम्ही तयांना ...... |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
0 |
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जपुन टाक पाउल |
Vinayak sable |
5 |
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मग्न तळ्याकाठी |
अनन्त्_यात्री |
14 |
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हळद |
माधुरी विनायक |
5 |
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अध्यात्माची महती |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
12 |
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सांज मुकी |
चांदणशेला |
3 |
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अण्णारती- विरहखंड भाग १ |
माम्लेदारचा पन्खा |
8 |
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जरतारी |
शिवोऽहम् |
6 |
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" तू " |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
4 |
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सांगा |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
2 |
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जगायास कारण ईतकेच आहे... |
सत्यजित... |
7 |
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सर एक श्रावणाची बरसून काय गेली! |
सत्यजित... |
18 |
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जिंदगी या बायकांची,राळ आहे का? |
सत्यजित... |
10 |
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या गुलाबाच्या फुलाला... |
सत्यजित... |
2 |
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गंधभारल्या रात्री होत्या... |
सत्यजित... |
16 |
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वादळ उगा निमाले.. |
राघव |
8 |
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(ही पहा पाडली गजल) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
16 |
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'आयटी'तल्या मोरूची कवने |
मूकवाचक |
21 |
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अभिमन्यु तुझा |
दिनु गवळी |
4 |
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छन्दोरचना |
माहितगार |
8 |
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(दे कुटाणे सोडुनी...) |
खेडूत |
10 |
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( ते पहा पब्लिक हसंल ) |
माम्लेदारचा पन्खा |
8 |
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शब्द. .. |
अत्रुप्त आत्मा |
13 |
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(ती पहा पडली गझल) |
वेल्लाभट |
7 |
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(ती पहा पडली गझल) |
सूड |
15 |
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प्रेमाचं गणित |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
5 |
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कसे या मनाला कसे जोजवावे? |
सत्यजित... |
4 |
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काळाचे गीत |
चांदणे संदीप |
4 |
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माय |
Dr prajakta joshi |
2 |
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धुंद पाऊस |
चांदणशेला |
4 |
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चांदण्याला चांदणे समजू नये |
drsunilahirrao |
21 |
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आता तुझ्यावर लिहायचं म्हटलं... |
वटवट |
21 |
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खुळ्या सांजवेळा... |
प्राजु |
21 |
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ख्रिस्त |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
0 |
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मी.... |
ओ |
0 |
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कोसला |
संदीप-लेले |
3 |
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तो खुला बाजार होता! |
सत्यजित... |
16 |
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दगड! |
वेल्लाभट |
33 |
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भटकत होतो |
जव्हेरगंज |
1 |
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'नाते' म्हणून आहे! |
सत्यजित... |
19 |
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तडा गेलाच आहे तर... |
सत्यजित... |
16 |
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ती एकदाच दिसली... |
सत्यजित... |
14 |
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ओंजळीने ती जसा,झाकून घेते चेहरा... |
सत्यजित... |
43 |
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रेडा कायें (म्हणोन) लपविता... ??? |
बॅटमॅन |
53 |
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जीवन एक अर्थ! |
ज्योति अळवणी |
7 |
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कधी किनारा लिहितो,किंवा... |
सत्यजित... |
20 |
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कंडोम |
अविनाशकुलकर्णी |
16 |
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दे बहाणे सोडुनी ... |
संदीप-लेले |
17 |
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जन पळभर करतिल हाय हाय |
मूखदूर्बळ |
8 |
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विडंबनकाव्यमाला-भाग-२ |
अत्रुप्त आत्मा |
16 |
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विडंबनकाव्यमाला-भाग-३ |
अत्रुप्त आत्मा |
15 |
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गेले प्यायचे राहूनी.. |
अत्रुप्त आत्मा |
115 |
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<पहिली धार> |
प्यारे१ |
21 |
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शांत अता या गाजा होणे नाही .. |
drsunilahirrao |
6 |
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(ओंजळीने ती जरी झाकून घेते चेहरा...) |
चतुरंग |
10 |
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रामदेव बाबा हो रामदेव बाबा |
अत्रुप्त आत्मा |
5 |
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अता ही भेट टळणे शक्य आहे .. |
drsunilahirrao |
7 |
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गझल - आणि हा खेळ झाला |
वेल्लाभट |
20 |
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झिंग बोचर्या अहंपणाचे चगिन्यांचेदा चकानदु |
सूड |
140 |
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स्वप्नांचे कवडसे |
शिवोऽहम् |
15 |
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मैत्रि... |
DTPS |
4 |
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ऐसी काये केली करणी काय जाणो |
सागरलहरी |
4 |
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जीत्याची खोड |
संदीप-लेले |
5 |