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[काल रात्री ] |
निनाद |
3 |
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प्रेम करायचे राहून गेले... |
बन्या बापु |
9 |
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बोल ना रे बाबा काही ..४ ( समाप्त ) |
गणेशा |
7 |
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अशोक वर्णेकर - एक झपाटलेले व्यक्तित्व |
विश्वास कल्याणकर |
8 |
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बस स्टँड |
पाषाणभेद |
6 |
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चष्मा असुनी दिसले नाही - |
विदेश |
0 |
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झाड आठवणींचे |
निनाव |
5 |
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गवसला एक पाहुणा : लावणी |
गंगाधर मुटे |
3 |
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असेलही कुठे कुठे |
bhaktipargaonkar |
4 |
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नको येवुस कविते( ३) |
गणेशा |
15 |
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प्रेरणा (शिर्षक बदल). |
निनाव |
10 |
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date |
अभिषेक९ |
13 |
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... निरंतर ... |
अभिषेक९ |
2 |
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[पेग घ्यायची ओढ लागली] |
निनाद |
9 |
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वासंतिका |
स्पंदना |
12 |
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नवा खेळ |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
5 |
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पत्राचे दिवस ..!! |
प्रकाश१११ |
7 |
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भातुकलीचा खेळ ... |
विश्वेश |
7 |
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पावसात भिजतांना |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
14 |
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मी? - एक मासा! |
निनाव |
8 |
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भेट घ्यायची ओढ लागली |
पाषाणभेद |
5 |
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कळले नाही .... |
विश्वेश |
5 |
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पाऊस माझा |
नगरीनिरंजन |
13 |
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सावकारी ही अशी की... |
बन्या बापु |
6 |
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.... प्रेम कर!! |
प्राजु |
26 |
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शेतकरी गीत: शेतात आंतरपीक आपण करू |
पाषाणभेद |
4 |
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जिंदगी क्या राज ही ? |
बन्या बापु |
3 |
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एकलाच (ओवी-गीत-गझल-कविता) |
गणेशा |
7 |
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काय वाटल असेल माझ्या जीवाला........... |
शिल्पा कांबळे |
7 |
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(एका अपरिमेयाचे मुक्तसुनीत) |
चतुरंग |
41 |
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गारूड्याचा नागूबा मस्ती करतोय रं |
पाषाणभेद |
18 |
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दूर वाट अशी ही छळणारी |
निनाव |
2 |
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कविता माझी |
निनाव |
7 |
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समुद्र भरल्या डोळ्यांनी |
तीन फुल्या तीन बदाम |
4 |
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कठीण आहे कधी कधी |
निनाव |
4 |
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फोडली तिजोरी - लुटला सर्व ठेवा - |
विदेश |
2 |
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आकुंचन |
निनाव |
4 |
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धंद्याची स्वप्ने बघणारा ..!! |
प्रकाश१११ |
15 |
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न्याय तुमचा खास आहे |
डॉ अशोक कुलकर्णी |
12 |
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चांदण्यांस मिठी मारतांना |
निनाव |
10 |
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पुनर्जन्म |
ajay wankhede |
5 |
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काजव्यांचा जणू सूर्यास शाप आहे |
गणेशा |
7 |
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विझले आज दिवे सारे |
निनाव |
4 |
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दूर दूर जातानां |
निनाव |
2 |
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बहकलेले दिवस |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
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वावर |
पेशवा |
8 |
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(का केली दाढी ही अशी...?) |
पक्का इडियट |
9 |
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भिऊ नकोस ... |
नगरीनिरंजन |
8 |
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का केली मैत्री ही अशी...? |
हर्षद प्रभुदेसाई |
3 |
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नारो शंकराची घंटा ...!! |
प्रकाश१११ |
5 |
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सरसरणारे यौवन तुझे ते |
निनाव |
10 |
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तुझ्या सावलीस लपता लपता |
निनाव |
1 |
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अक्षय पात्र |
ajay wankhede |
4 |
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तुझ्यासारखी माणसे |
पेशवा |
3 |
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वाच वाचुनी अति मी दमले - |
विदेश |
3 |
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संकल्प सिद्धी |
बाळासाहेब तानवडे |
2 |
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आज ही गेले |
निनाव |
1 |
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<पेयनिष्ठ पेताडाचा कर्मदरिद्री बाटलीभंग> |
लंबूटांग |
22 |
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मोज्-माप किती... |
निनाव |
2 |
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आसमंतात तारे सर्व निळेच , नाहि का? |
निनाव |
2 |
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व्हायब्रेटर रिंगटोन पाठवाना |
पाषाणभेद |
13 |
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रस्त्यानं रेतीवाला तो आला |
पाषाणभेद |
2 |
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जा हसत दूर जा |
गणेशा |
7 |
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झेन काव्य |
मूकवाचक |
12 |
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एक त्रागा सुनेचा |
विदेश |
2 |
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आश्वस्त |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
2 |
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तुझ्या सावलीस लपता लपता |
निनाव |
0 |
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पाखरे निघालीत देशांतराला ...!! |
प्रकाश१११ |
3 |
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नववर्षाचा सण हा पहिला आनंदाने साजरा करू |
पाषाणभेद |
2 |
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पुन्हा रात्र (२) |
निनाव |
1 |