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            बाटलीचखणा घेऊन पिण्यासाठी या : नवसागरी भडका           | 
                  
            सतिश गावडे           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            दिशाहीन           | 
                  
            Vimodak           | 
                  
            7            | 
              
          
                  | 
            लेकीसूना घेऊन नाचासाठी या : नागपुरी तडका           | 
                  
            गंगाधर मुटे           | 
                  
            4            | 
              
          
                  | 
            नकळत …            | 
                  
            अनामिक२४१०           | 
                  
            7            | 
              
          
                  | 
            अजूनही तळपते आहे माझी लेखणी , माझा कुंचला !!!           | 
                  
            Rajvardhan           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            रात्र...!!!!!           | 
                  
            एक एकटा एकटाच           | 
                  
            15            | 
              
          
                  | 
            पाहून घे महात्म्या           | 
                  
            गंगाधर मुटे           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            क्षमा नावाच्या भूमातेस           | 
                  
            देवदत्त परुळेकर           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            फणा           | 
                  
            मित्रहो           | 
                  
            26            | 
              
          
                  | 
            नाते आपुले तसेच आतून...           | 
                  
            आनंदमयी           | 
                  
            20            | 
              
          
                  | 
            एका बापाची व्यथा .......           | 
                  
            चुकलामाकला           | 
                  
            51            | 
              
          
                  | 
            कर्म माणसाचे, दोष "कर्त्याला"!!           | 
                  
            निमिष सोनार           | 
                  
            2            | 
              
          
                  | 
            वैश्विक खाज नाही           | 
                  
            गंगाधर मुटे           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            पप्पू माझा लेकुरवाळा           | 
                  
            लॉर्ड फॉकलन्ड           | 
                  
            6            | 
              
          
                  | 
            माझे शब्द           | 
                  
            Rajvardhan           | 
                  
            0            | 
              
          
                  | 
            अतिशय फालतु विनोद           | 
                  
            बहुरंगी           | 
                  
            12            | 
              
          
                  | 
            माझा स्वभाव            | 
                  
            Rajvardhan           | 
                  
            10            | 
              
          
                  | 
            सैतानाच्या भात्यामधले चार बाण धारदार            | 
                  
            पगला गजोधर           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            स्रीचे अस्तित्व!           | 
                  
            अश्विनि कोल्हे           | 
                  
            170            | 
              
          
                  | 
            नाऱ्या नाऱ्या           | 
                  
            चुकलामाकला           | 
                  
            6            | 
              
          
                  | 
            किती सांगू मी सांगू कुणाला - युवराजान्च्या पुनरागमनाच्या आनन्दाप्रीत्यर्थ           | 
                  
            लॉर्ड फॉकलन्ड           | 
                  
            18            | 
              
          
                  | 
            दूर           | 
                  
            योगेश भालेकर           | 
                  
            4            | 
              
          
                  | 
            कुक्कुट शर्विलक-विलाप           | 
                  
            चलत मुसाफिर           | 
                  
            18            | 
              
          
                  | 
            असा मी तसा मी            | 
                  
            Rajvardhan           | 
                  
            4            | 
              
          
                  | 
            आज मी आहे           | 
                  
            Rajvardhan           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            वळ्ण           | 
                  
            योगेश भालेकर           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            डोळे आमचे आहेत म्हणुनी           | 
                  
            विदेश           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            पुरुशाचे अस्तित्व...!           | 
                  
            संदीप डांगे           | 
                  
            34            | 
              
          
                  | 
            गनिमी कावा            | 
                  
            विदेश           | 
                  
            4            | 
              
          
                  | 
            जायचे आहेच तर जावेस आता ..           | 
                  
            drsunilahirrao           | 
                  
            8            | 
              
          
                  | 
            हरवला जीव तो  …             | 
                  
            अनामिक२४१०           | 
                  
            0            | 
              
          
                  | 
            धोतर आणी डबा २           | 
                  
            शब्दानुज           | 
                  
            0            | 
              
          
                  | 
            आसवांच्या प्रतिबिंबात           | 
                  
            शब्दानुज           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            मराठी           | 
                  
            वेल्लाभट           | 
                  
            13            | 
              
          
                  | 
            रस्ता...            | 
                  
            शब्दबम्बाळ           | 
                  
            2            | 
              
          
                  | 
            सये भांडतेस कशा..           | 
                  
            कहर           | 
                  
            15            | 
              
          
                  | 
            नाटक वाटू नये           | 
                  
            गंगाधर मुटे           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            अशी कशी ग तु...........           | 
                  
            एक एकटा एकटाच           | 
                  
            6            | 
              
          
                  | 
            संध्याछाया..             | 
                  
            अत्रुप्त आत्मा           | 
                  
            10            | 
              
          
                  | 
            मि.पा. येते.... आणिक जाते           | 
                  
            अत्रुप्त आत्मा           | 
                  
            32            | 
              
          
                  | 
            एक जिलबी पाडायचीच           | 
                  
            वेल्लाभट           | 
                  
            54            | 
              
          
                  | 
            बडबड गीत            | 
                  
            भिंगरी           | 
                  
            22            | 
              
          
                  | 
            गवसणी.(चारोळ्या)           | 
                  
            प्रल्हाद दुधाळ.           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            आभास           | 
                  
            सुमित_सौन्देकर           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            ऋतु आला ऋतु गेला           | 
                  
            सांजसंध्या           | 
                  
            10            | 
              
          
                  | 
            अगर           | 
                  
            नेताजी बोराडे           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            चिद्विलास (स्वैर भावानुवाद)           | 
                  
            मूकवाचक           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            लयास गेले कधीच ते -           | 
                  
            विदेश           | 
                  
            2            | 
              
          
                  | 
            नक्षीची दुसरी बाजू..           | 
                  
            सूड           | 
                  
            91            | 
              
          
                  | 
            लागला मला छंद           | 
                  
            शशिका॑त गराडे           | 
                  
            0            | 
              
          
                  | 
            गोवंशाला अभय द्या : नागपुरी तडका           | 
                  
            गंगाधर मुटे           | 
                  
            13            | 
              
          
                  | 
            मंतरलेली रात्र           | 
                  
            सुमित_सौन्देकर           | 
                  
            0            | 
              
          
                  | 
            स्मशान शांततेची शिकवण           | 
                  
            देवदत्त परुळेकर           | 
                  
            7            | 
              
          
                  | 
            रसज्ञ नरभक्षक            | 
                  
            देवदत्त परुळेकर           | 
                  
            6            | 
              
          
                  | 
            ..नका जाऊ देऊ राया दुपार ही वाया..           | 
                  
            कानडाऊ योगेशु           | 
                  
            15            | 
              
          
                  | 
            सोनुलं           | 
                  
            ऊध्दव गावंडे           | 
                  
            6            | 
              
          
                  | 
            भाव तिथे देव           | 
                  
            निनाद जोशी           | 
                  
            3            | 
              
          
                  | 
            आज अवसेची रात आहे..........           | 
                  
            एक एकटा एकटाच           | 
                  
            7            | 
              
          
                  | 
            कविता- मेसेज...           | 
                  
            प्रितम तोरवने           | 
                  
            26            | 
              
          
                  | 
            भजन - भक्तीचा डिज्जे (विडंबन - फेविकॉल से)           | 
                  
            वेल्लाभट           | 
                  
            14            | 
              
          
                  | 
            बस मी आणि बाळ           | 
                  
            शब्दानुज           | 
                  
            5            | 
              
          
                  | 
            भ्रष्ट झाला कोळसा           | 
                  
            चुकलामाकला           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            घरी जाताना           | 
                  
            शिव कन्या           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            दोन वात्रटिका (मार्च १५)           | 
                  
            विवेकपटाईत           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            शोधू किती बहाणे...           | 
                  
            सांजसंध्या           | 
                  
            31            | 
              
          
                  | 
            मि ही निळा रंग निळा,रंगांच्या बहुत कळा           | 
                  
            अत्रुप्त आत्मा           | 
                  
            20            | 
              
          
                  | 
            मृगजळ...           | 
                  
            एक एकटा एकटाच           | 
                  
            1            | 
              
          
                  | 
            ढ           | 
                  
            वेल्लाभट           | 
                  
            7            | 
              
          
                  | 
            हा दोष ना कुणाचा  (कविता)           | 
                  
            सांजसंध्या           | 
                  
            16            | 
              
          
                  | 
            तरीसुद्धा ...           | 
                  
            पद्मश्री चित्रे           | 
                  
            3            |