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मरायचं नाय बे...!! |
आयुर्हित |
3 |
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खटाटोप |
Yash |
17 |
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साल्याने पेपर टाकलाय....... |
सार्थबोध |
48 |
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बैल |
विजुभाऊ |
27 |
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अभिनंदन |
चुकलामाकला |
33 |
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....... इथले संपत नाही |
मित्रहो |
11 |
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टेक्श्चर |
वेल्लाभट |
8 |
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ओंजळ (देवद्वार छंद) |
पद्मश्री चित्रे |
17 |
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कट्ट्यावरी |
लीलाधर |
37 |
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युरेका |
चुकलामाकला |
11 |
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नजर |
सुर्या गार्डी |
2 |
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हाबिणंदण |
टवाळ कार्टा |
8 |
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बाटली आणि ग्लास |
प्रमोद देर्देकर |
6 |
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मोठ्ठे आरसे |
शब्दानुज |
6 |
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राधा |
दिपक विठ्ठल ठुबे |
16 |
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जमला मेळा संतसज्जनांचा |
पाषाणभेद |
5 |
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"अर्थ" |
दिपक विठ्ठल ठुबे |
7 |
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कधी तू..... (वाहनवेड्याचं व्हर्जन) |
वेल्लाभट |
6 |
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आम्ही अस्पृश्याची पोरे |
देवदत्त परुळेकर |
5 |
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धोतर आणि तांब्या |
शब्दानुज |
68 |
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सांगा असतो का कधी मी माझा? |
निमिष सोनार |
14 |
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भेटेन पुन्हा एकदा... नव्याने पुन्हा... |
जाई अस्सल कोल्हापुरी |
4 |
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कधी कधी |
वेल्लाभट |
6 |
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सोनसाखळी |
मारवा |
5 |
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क्षण तो..... |
psajid |
2 |
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पाण्यासारखी... |
माधुरी विनायक |
3 |
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सीट |
मित्रहो |
13 |
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सकाळी सकाळी कोठे वेळ असतो ....!! |
प्रकाश१११ |
4 |
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मॅटिनी |
अविनाशकुलकर्णी |
25 |
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सगळीकडे नुसती चर्चा ब्रँड आणि फक्त....... ब्रँडची |
सार्थबोध |
10 |
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माणुसकी |
माम्लेदारचा पन्खा |
7 |
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एका विचारवंताचा सल्ला... |
चंद्रनील मुल्हेरकर |
12 |
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स्वर तुझा |
प्रकाश१११ |
3 |
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एकांत |
सार्थबोध |
3 |
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(पडुन आहे सार्त्र अजुनी) |
स्वामी संकेतानंद |
24 |
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नको .. |
गवि |
18 |
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स्वप्नांचे पान मुंबई |
गणेशा |
12 |
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(पाठ शिवा हो पाठ शिवा) |
सूड |
19 |
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अजुनी बसून आहे |
विदेश |
13 |
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तुझी सोबत....... |
माझं आभाळ |
12 |
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दर्शनता! |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
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शब्द |
पाषाणभेद |
7 |
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.....रिप रिप रिप ! ! |
फिझा |
3 |
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गुलाम |
सुर्या गार्डी |
14 |
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xxवी झाली तेंव्हा |
सन्जोप राव |
18 |
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दहाजणीत! |
सन्जोप राव |
41 |
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वात्रटिका- अभियान स्वच्छता |
विवेकपटाईत |
9 |
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( ओळखलत का साहेब मला?) |
अमोल केळकर |
13 |
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बरळप्रहरी.. |
गवि |
20 |
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धर्मामिटर |
अत्रुप्त आत्मा |
22 |
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गजरा |
सुर्या गार्डी |
9 |
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चांदणी |
सुर्या गार्डी |
12 |
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एक उदास कंटाळवाना चेहरा |
प्रकाश१११ |
1 |
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पंचप्राण |
चलत मुसाफिर |
10 |
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(दोन दिवस मुंबईत गेले,दोन दिल्लीत गेले) |
अमोल केळकर |
7 |
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तसे देव मोकळेच असतात..!! |
प्रकाश१११ |
7 |
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पोकळी |
बेसनलाडू |
22 |
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एक शृंगारीक कविता |
रामदास |
44 |
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आजोबा...!! |
प्रकाश१११ |
1 |
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कारुण्य टंकन |
निराकार गाढव |
49 |
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ताज्या क्षणिका – सत्तेचा आनंद, नागपुरी संत्रा आणि टोल |
विवेकपटाईत |
8 |
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घेऊन जा |
सह्यमित्र |
7 |
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दिवाळी - वैचारिक क्षणिका |
विवेकपटाईत |
2 |
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दिवाळीच्या फुलझड्या |
विवेकपटाईत |
1 |
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मित्रा |
तुषार जोशी |
7 |
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शब्दांशी दोस्ती |
प्रकाश१११ |
3 |
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दिवाळी |
स्वाती दिनेश |
27 |
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लागली कुणाला कुणाची उचकी; ह्याला का त्याला ? लाजू नको, लाजू नको ! |
माहितगार |
5 |
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"आज म्हणलं माती व्हावं" |
वैभवकुमारन |
10 |
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ज्याचे त्याला कळले |
वेल्लाभट |
3 |