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(लेखणीने) |
सूड |
27 |
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|| गुरु महिमा || |
गबाळ्या |
25 |
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कवि बिल्हणाची 'चौरपंचाशिका' - एक शृंगाररसपूर्ण काव्य. |
अरविंद कोल्हटकर |
22 |
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एक कविता |
रामदास |
4 |
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(तिखले) |
सूड |
4 |
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ते... |
ऊध्दव गावंडे |
15 |
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(धुतले...) |
टवाळ कार्टा |
12 |
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नवा कवी |
गबाळ्या |
1 |
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व्यथा |
वैभवदातार |
9 |
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||दत्त स्तुती || |
वैभवदातार |
8 |
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चुकले... |
अजब |
7 |
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खरं खरं सांगा |
चुकलामाकला |
17 |
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शंका/समाधान. |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
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चंद्राचा पाढा |
बेसनलाडू |
13 |
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कविराज |
गबाळ्या |
2 |
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एक माणूस मिशी काढून.............. |
शिव कन्या |
71 |
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|| गीताबोध || |
वैभवदातार |
4 |
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लोक |
शब्दानुज |
0 |
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नजरेतच सारे.. |
समयांत |
0 |
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Foolपाखरा |
ज्ञानोबाचे पैजार |
7 |
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ती त्सुनामी... |
अनन्त्_यात्री |
2 |
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एक कागद |
गबाळ्या |
4 |
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उठ मावळ्या ... |
गबाळ्या |
4 |
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अहेवपण ... |
विशाल कुलकर्णी |
15 |
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फुलपाखरा |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
3 |
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चंद्रमण्यांचे पाझर |
अनन्त्_यात्री |
9 |
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बघ जरा झोळीत माझ्या काय आहे…. |
अनन्त्_यात्री |
5 |
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जपमाळ |
शैलेन्द्र |
32 |
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आता फक्त घासफूस ... |
गबाळ्या |
0 |
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एक सल नेहमीच - भावानुवाद |
चांदणे संदीप |
5 |
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प्रतिभेचे देणे |
अनन्त्_यात्री |
11 |
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||संत ज्ञानेश्वर || |
वैभवदातार |
1 |
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!! बालदीन !! |
नाखु |
5 |
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#एकादशी # |
सतिश गावडे |
10 |
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असतेस घरी तू जेव्हा...(विडंबन काव्य) |
OBAMA80 |
3 |
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*बालदिन * |
वैभवदातार |
6 |
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सांज |
चांदणशेला |
0 |
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॥ कार्तिक कृष्ण पंचमी॥ |
सूड |
26 |
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काही सांगायचे आहे |
संदीप-लेले |
1 |
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नवी मैत्री |
तृप्ति २३ |
8 |
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काळाची उबळ |
माहितगार |
1 |
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नोटबंदी |
वैभवदातार |
8 |
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|| गणेश पूजा || |
वैभवदातार |
12 |
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एक्सपायरी डेट. |
प्राची अश्विनी |
26 |
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नेणिवेला जाणिवेने छेदता... |
अनन्त्_यात्री |
6 |
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सरी |
चांदणशेला |
0 |
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|| अंगारकी || |
ज्ञानोबाचे पैजार |
11 |
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मागे राहिली आवली ...... |
चुकलामाकला |
44 |
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फुतूर (खूळ) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
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काय लिहावे तुझ्याचसाठी... |
शब्दबम्बाळ |
16 |
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काही कविता अशा..तर काही तशा! - भाग २ |
पद्मावति |
13 |
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||तुलसी विवाह || |
वैभवदातार |
13 |
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|| विठ्ठल अभंग || |
वैभवदातार |
4 |
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काही कविता अशा..तर काही तशा! - भाग १ |
पद्मावति |
22 |
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जरी अज्ञात देशाचा |
अनन्त्_यात्री |
9 |
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सख्या, कसे? कुठून रोज, आणतोस चांदणे? |
सत्यजित... |
29 |
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तू! |
OBAMA80 |
0 |
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उजाडताना उल्कांचे व्रण |
अनन्त्_यात्री |
2 |
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तू माझा? |
ज्योति अळवणी |
6 |
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आंबराई |
चांदणशेला |
0 |
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आज पांडव पंचमीच्या निमित्ताने केलेली कविता ... |
वैभवदातार |
5 |
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शिवार |
चांदणशेला |
1 |
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वाटते आज |
shrivallabh Panchpor |
5 |
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नवीन आहे |
आगाऊ म्हादया...... |
5 |
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हे सव्यसाची, |
अनन्त्_यात्री |
2 |
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दिवाळी कविता |
वैभवदातार |
0 |
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मेरे हर दर्द को मेहसूस किया है मैंने.. .. |
Swapnaa |
1 |
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एक पावसातली भेट ... ! |
एकप्रवासी |
5 |
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वसुबारसेनिमित्त मी केलेली कविता... |
वैभवदातार |
10 |
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नशिब |
mr.pandit |
0 |