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(--अन् एकमुखान बोला बोला जयजय मिस्सळपाव ) |
अमोल केळकर |
9 |
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त्यांच्या कवितेतील पाऊस |
अविनाश ओगले |
10 |
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मधु..... |
वर्षा |
5 |
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पहिल्या पावसात भिजायचे? |
श्रीमंतपेशवे |
16 |
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वसंतोस्तव |
शितल |
14 |
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यौवनाची बाग |
पुष्कराज |
8 |
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नाते पावसाचे |
चेतन |
5 |
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शनि गेला मंगळाकडे |
अजय जोशी |
5 |
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गुलाबाचे काटे |
पुष्कराज |
2 |
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अंधार |
अजय जोशी |
2 |
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घर..... |
उदय सप्रे |
4 |
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(रोज वाढते महागाई -) |
अमोल केळकर |
3 |
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पूर आठवणींचा |
जयवी |
13 |
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चटका ! |
उदय सप्रे |
0 |
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फिशपॉन्ड |
शितल |
48 |
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पाऊस - स्पर्श पहिला |
स्वप्निल मन |
5 |
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(येशील येशील येशील___) |
अमोल केळकर |
8 |
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मी गेल्यावर |
पुष्कराज |
7 |
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पृथ्वी वरच्या पाककृती |
अरुण मनोहर |
15 |
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भासा सूद्धी |
विजुभाऊ |
25 |
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सेल मांडीयेला |
अरुण मनोहर |
14 |
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( आयपीएल चा खेळ रे) |
अमोल केळकर |
6 |
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पकलो आता, फार झाला |
चेतन |
2 |
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आसपास |
सन्जोप राव |
54 |
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आल्यावर असा येशील की... |
फटू |
1 |
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पुन्हा आसपास |
आंबोळी |
14 |
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थोडंसं तूही समजून घे... |
फटू |
5 |
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"जीवन-मरण" |
शा॑तेच कारट |
1 |
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होकार |
शा॑तेच कारट |
2 |
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सोडुनी गेलास जिथे.... |
शा॑तेच कारट |
7 |
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प्रियेच्या भेटी |
पुष्कराज |
3 |
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(आसपास) |
चतुरंग |
5 |
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गुलाबाचा सण |
पुष्कराज |
6 |
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गुलाबाचे काटे |
पुष्कराज |
2 |
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(नको) |
चतुरंग |
3 |
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सहज |
चेतन |
9 |
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शिवमानसपूजा - आदि शंकराचार्य! |
चतुरंग |
16 |
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हिमेश बाबाच्या सौजन्याने... |
फटू |
4 |
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पोरखेळ ! |
संदीप चित्रे |
12 |
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(पीस) |
केशवसुमार |
10 |
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(उभी भिंत डागाळलेली मुळाशी) |
चतुरंग |
8 |
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"थेंब" |
चेतन |
6 |
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(........आकाशाशी जडले नाते !!) |
अमोल केळकर |
5 |
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देवा......एवढी दया नको रे दाखवू... |
सागर |
10 |
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संपत असताना सारं काही... |
फटू |
7 |
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मी गेल्यावर |
पुष्कराज |
1 |
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नेहमीच धडकी भरते...! |
बेसनलाडू |
5 |
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एका तळ्यात होते.... |
अरुण मनोहर |
9 |
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लग्न |
आनंदयात्री |
19 |
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चारोळ्या |
यशोधरा |
15 |
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पण काहितरी बदलतयं... |
मनिष |
17 |
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विडंबन |
केशवसुमार |
19 |
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काही चित्र चारोळ्या |
फटू |
16 |
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आता काय करायच॑ ? |
पिस्तुल्या |
0 |
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मधुशाला - एक मुक्तचिंतन आणि भावानुवाद (भाग ८) |
चतुरंग |
10 |
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मनाचिया अंगणात..... |
उदय सप्रे |
3 |
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तगमग |
ॐकार |
9 |
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जीवघेणे-२ |
केशवसुमार |
5 |
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मी माझाच |
विजुभाऊ |
10 |
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कट्टा |
अरुण मनोहर |
5 |
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वाघाची मावशी |
निनाद |
6 |
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(जीवघेणे!) |
चतुरंग |
1 |
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अबोला |
शितल |
11 |
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संगणक उद् बोध |
अरुण मनोहर |
13 |
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समर्पित हो |
काळा_पहाड |
8 |
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तु येशील का ? |
शितल |
17 |
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नाते ना 'ते' राहीले |
भ्रमर |
6 |
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Close encounters of the third kind (एक पद्यकथा) |
अरुण मनोहर |
8 |
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एक कोड्न |
मुन्गी |
22 |
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स्वप्नातलं गाव ... ! |
संदीप चित्रे |
14 |