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विरहगान |
namdev narkar |
3 |
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(ऍडमिशन मिळे आता, डोनेशन घेता ) |
अमोल केळकर |
8 |
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पहिली भेट |
अनंतसागर |
2 |
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बंड्याचा शि. सा.न.वि.वि. |
कियोस्का |
0 |
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"केश्या" मेल्याचे तारे.. |
केशवसुमार |
8 |
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ठसे |
स्वाती फडणीस |
12 |
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मैत्री |
अनंतसागर |
7 |
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(स्वप्न) |
केशवसुमार |
13 |
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एका सागरात.... |
अनंतसागर |
0 |
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पाऊस पडून गेल्यावर..... |
उदय सप्रे |
3 |
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(--हात नका लावुं कोणी फंडाला ) |
अमोल केळकर |
4 |
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दृष्टिक्षेप |
बेसनलाडू |
2 |
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दर्शन -- भक्तिगीत |
कौस्तुभ |
0 |
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पावसाची परी |
विजुभाऊ |
6 |
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TAROT भविष्याची चाहुल घेणे |
अमोल केळकर |
11 |
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कवितेच्या झाडावर... |
अशोक गोडबोले |
7 |
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सारखे शिंकीत जाशी ... |
केशवसुमार |
10 |
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पावसा! |
ऋषिकेश |
13 |
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अशी गुमसुम आवडतेस मला |
धनंजय |
10 |
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मरण मला पाहून हंसले |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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आयुष्यावर प्रेम करावे-- |
पुष्कराज |
7 |
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सोने |
सुवर्णमयी |
7 |
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विवाहाची पद्यातली आमंत्रण पत्रिका |
उदय सप्रे |
1 |
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ही केशरी संध्याकाळ |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
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पाहिले मी ! |
कौस्तुभ |
11 |
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गणेशस्तोत्र (संस्कृत रचना) |
अशोक गोडबोले |
12 |
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द्विधा मनाचि |
namdev narkar |
0 |
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मामाच्या गावाला |
अरुण मनोहर |
16 |
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पारिजात |
मृत्युन्जय |
3 |
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kai aahe tuzya manat........???? |
स्नेहश्री |
0 |
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कुणास ठाऊक..? |
स्नेहश्री |
4 |
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विराणी |
यशोधरा |
12 |
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घेतली मिठीत आम्ही--- |
पुष्कराज |
6 |
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सांभाळा हो! मला कुणीतरी |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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( जाता दुरदेशी सुख वाटे जीवा -) |
अमोल केळकर |
8 |
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पोचलो का आपण? |
धनंजय |
22 |
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मोनालीसा |
कौस्तुभ |
6 |
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(छंदात छंद तो प्रवासछंद --) |
अमोल केळकर |
0 |
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(...मी खरा की तू खरा?) |
चतुरंग |
4 |
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उद्वेग विसरून कसं चालेल? |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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(आता कशाला उड्याची बात!) |
चतुरंग |
12 |
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रासलीला |
पुष्कराज |
10 |
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भुंगा |
आनंदयात्री |
27 |
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तुझ्या घरासमोरचा रस्ता... |
अविनाश ओगले |
24 |
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पडक्या घरास माझ्या |
suralesandip |
2 |
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खुषी न मिळता मिळते रुसणे |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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आता कशाला उद्दयाची बात |
श्रीकृष्ण सामंत |
9 |
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खणले रे पथ |
हेरंब |
6 |
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चिंब पावसात तू न्हात असशील... |
फटू |
6 |
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दोष होता केला मी तो चुकून |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
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लावणी - प्रणयरातीला कुठे चालला |
पुष्कराज |
11 |
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परतुनी येईन मी.... |
अजिंक्य |
1 |
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नको म्हणू रे मनुजा! |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
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लळा जिव्हाळा शब्दच मोठे |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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तारीफ करू का त्याची |
श्रीकृष्ण सामंत |
7 |
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उघड्या खांद्यावरती सखये-- |
पुष्कराज |
12 |
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तत्व माझे सोडणार नाही |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
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अळकुळी तनु |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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संता आणी बंता |
अमोल केळकर |
1 |
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जखम मनाची ताजी असता |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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तुझी याद.. |
पद्मश्री चित्रे |
7 |
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तो आणि त्याचा 'मी' |
काळा_पहाड |
3 |
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धमुचे केळवण (जेव्हा पुरी नि भाजी - ) |
अमोल केळकर |
2 |
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लग्नाआधी नि लग्नानंतर ! |
संदीप चित्रे |
3 |
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काय करावे कळत नव्हते |
कौस्तुभ |
6 |
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(सख्या रे, घामट मी तरुणी!) |
चतुरंग |
14 |
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सुखाचा शोध |
काळा_पहाड |
3 |
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परि तुज सम आहेस तूच |
श्रीकृष्ण सामंत |
10 |
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शादी से पहले और शादी के बाद ! |
संदीप चित्रे |
8 |
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अरे संस्कार,संस्कार |
श्रीकृष्ण सामंत |
7 |