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(सांगा ढेकुण कुणी हा पाहिला ) |
अमोल केळकर |
8 |
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खेळी. |
स्वाती फडणीस |
16 |
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"किती धटिंगण किती भयंकर"... ई डंबन... |
बेचवसुमार |
1 |
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मोजणी |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
37 |
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अगागागागाऽऽगाऽऽऽगा!!!!! |
पिवळा डांबिस |
28 |
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मालवुन टाक दीप... ई -डंबन |
बेचवसुमार |
4 |
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भेळपुरीच्या गाड्या |
केशवसुमार |
15 |
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कविकिरडुंची साठमारी ... (विडंबनाची भेळपुरी) |
केशवटुकार |
10 |
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(जिज्ञासू) |
चतुरंग |
12 |
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पाउस..! |
उपटसुंभ |
14 |
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नव्हतो ग! मी सजणे असा |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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श्रावणातील सण |
अथांग सागर |
5 |
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(चाहूल) |
चतुरंग |
6 |
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त्याला जरा रागवा ना बाई ! |
संदीप चित्रे |
6 |
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..ढोसुनि गुत्त्यात सार्या ब्रँड माझा वेगळा..ई-डंबन |
बेचवसुमार |
4 |
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म्हणून म्हणतो ऐका माझे ... |
अंकुश चव्हाण |
1 |
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आज कल प्रेम फार स्वस्त झालंय..... |
भुषण भोले |
1 |
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स्वप्न |
विष्णु |
0 |
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नेहमीच ... तुझ्यामुळे |
बेसनलाडू |
17 |
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कालनिर्णय... |
खादाड_बोका |
0 |
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रानात वनात |
सुवर्णमयी |
0 |
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(एक पेग संपून गेला..) |
केसुरंगा |
6 |
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असूनी दोस्त करितो दुष्मनी |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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(जत्रा) |
केशवटुकार |
8 |
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(नेहमीच ... तुझ्यामुळे) |
केशवटुकार |
18 |
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( अटी मान्य केला सर्व ह्या, ) |
अमोल केळकर |
1 |
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एक क्षण निसटू गेला.. |
स्वाती फडणीस |
10 |
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(एक कवी संपून गेला ..) |
चतुरंग |
11 |
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नको बागेत येऊस |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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((नेहेमीच...तुझ्यामुळे)) |
चतुरंग |
6 |
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श्रावणमासी, विरस मानसी,हळहळ दाटे चोहिकडे |
अविनाश ओगले |
13 |
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(सारक) |
केसुरंगा |
6 |
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आला आला हा श्रावण... |
अथांग सागर |
0 |
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जीवनगाणे |
घाटावरचे भट |
16 |
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खरचं तु हवी होतीस .. |
पंचम |
8 |
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(नूर) |
चतुरंग |
8 |
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बंधने |
स्नेहश्री |
0 |
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सहजीवन |
शितल |
11 |
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जागतिक मैत्री दिनाच्या शुभेच्छा !!! |
फटू |
2 |
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अस्तित्व |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
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भानगड |
अमोल केळकर |
11 |
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चैन |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
27 |
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दिल्लीच्या दरबारामधली राजा आणिक राणी. |
उपटसुंभ |
8 |
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(चैन) |
केशवटुकार |
17 |
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(बेचैन) |
चतुरंग |
14 |
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दूरदेशी... |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
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विरह |
ल्ल्या |
0 |
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(दूर आहे डेडलाईन अजूनि) |
संदीप चित्रे |
5 |
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कविता कसली करू तुजवरती |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
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तुझे नि माझे मिटू दे अंतर |
पुष्कराज |
6 |
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माझी पाखरे |
पुष्कराज |
6 |
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ओळखा पाहूं! |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
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आमची 'चैन' आहे! |
मिसळपाव |
3 |
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स्वप्नपरी |
पुष्कराज |
7 |
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तुझ्या गळा, माझ्या गळा..! |
उपटसुंभ |
3 |
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एक शून्य ...... |
अरुण मनोहर |
6 |
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विडंबन - विश्वासदर्शक ठरावाच्या निमित्ताने |
उपटसुंभ |
1 |
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"कवडसा" |
मनीषा |
1 |
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बुश:काल होता होता, `लाल'रात्र झाली... |
अविनाश ओगले |
24 |
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पहाट |
पंचम |
9 |
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सार्याच आठवणी आहेत अजून मनात ताज्या |
फटू |
3 |
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देवाची मुलाखत |
अरुण मनोहर |
2 |
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माझी सुंदर आई |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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ठपका! |
चतुरंग |
13 |
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घरात भरल्या घुसले उंदीर... |
अविनाश ओगले |
15 |
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(माउस) |
बेसनलाडू |
15 |
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ठिपका |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
22 |
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कार्यालय |
विनोद इन्गळे |
2 |
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निवॄती |
केशवसुमार |
30 |
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माधुरी..... |
उदय सप्रे |
28 |