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(आपण...) |
केशवसुमार |
3 |
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संध्याखंत - २ |
आजानुकर्ण |
17 |
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कोल्हे वाण्याला कोकणी सल्ला |
धनंजय |
2 |
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मला कसा हा म्हणतो मेला.... |
केशवसुमार |
8 |
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माझी चिंतनिका |
युयुत्सु |
1 |
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मद्यमैफलीस प्रारंभ करण्यापूर्वी म्हणायचा श्लोक. |
अविनाश ओगले |
7 |
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संथ चालते मालिका ही... |
अविनाश ओगले |
8 |
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झांज.. |
ऋषिकेश |
12 |
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तू असता तर...! |
प्राजु |
5 |
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"मैञीण" |
विवेकवि |
14 |
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आपलं माणूस |
संगीता |
7 |
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विडंबनः चाळीमधल्या खोलीमधली राजा आणिक राणी |
अविनाश ओगले |
22 |
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भास |
गिरीशमित्र |
0 |
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सुभाषित |
धोंडोपंत |
11 |
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वाच पुस्तके |
अविनाश ओगले |
10 |
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अपेक्षा |
अनिला |
6 |
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कुणी मत देता का मत? |
विसोबा खेचर |
15 |
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मिस्सळ मी चापतो, तर्रीची, मिस्सळ मी चापतो... |
अविनाश ओगले |
17 |
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चेहर्याभोवती दाढी उमलत आहे ! |
केशवसुमार |
6 |
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आई, तुला एकदाच हाक दिली तरी अब्जांनी धावून येशील |
सनिल पांगे |
5 |
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आनंदयात्री.. |
प्राजु |
7 |
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विरोप |
अनिला |
7 |
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गद्य्-काव्य |
वेडा |
0 |
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(झुलवा) |
केशवसुमार |
14 |
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श्वासालाही उघाणं आलं. |
raje1981 |
0 |
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धागा धागा जोडित्..(धागा-४) |
प्राजु |
46 |
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" एकान्त " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
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" निरंतर " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
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किनारा.. |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
8 |
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" सखी " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
5 |
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असंही प्रेम असतं!! |
तुमचा आनंद |
5 |
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सुखाच्या शोधात.... (दु:ख)!!! |
छत्रपति |
5 |
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पुण्याचे ट्रॅफिक...नाम॑जूर |
धमाल मुलगा |
22 |
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मी शब्द ओठि रोखले... |
छत्रपति |
4 |
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हे स्वप्ना तु स्वप्नात माझ्या येऊ नको......... |
छत्रपति |
0 |
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आजच्या मुली |
छत्रपति |
5 |
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शिघ्रकविता |
बहुरंगी |
8 |
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सुंदर तलम रेशीम.. (धागा -३) |
प्राजु |
51 |
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जाळण्या पूर्वी किंतींदा तुम्हीचं तर जाळलं होतं |
सनिल पांगे |
2 |
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पुन्हा गंध आला...(गझल) |
बहुरंगी |
5 |
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वीणीचा नवा धागा.... |
प्राजु |
69 |
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आयुष्य तेच आहे |
सनिल पांगे |
22 |
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ओळखलं तिने मला जागच्या जागी ती स्तब्द झाली |
सनिल पांगे |
3 |
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शब्द! |
ऋषिकेश |
11 |
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एक दिवा |
मनोज |
16 |
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मधुशाला |
धोंडोपंत |
2 |
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उड्डाण पूल |
इनोबा म्हणे |
1 |
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शिक्षक दिन |
इनोबा म्हणे |
1 |
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(कातरवेळी) |
केशवसुमार |
3 |
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तूच नव्याने घडशील काय |
ऋषिकेश |
7 |
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काय सांगू नवलाई |
इनोबा म्हणे |
1 |
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मन... |
शब्दवेडा |
4 |
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फुलराणी... |
प्राजु |
6 |
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पाखरु : भाग १ (कविता) |
सागर |
4 |
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विरूपिका (२) : भविष्य |
ॐकार |
1 |
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तुझ्या एका शब्दासाठी |
सुवर्णमयी |
24 |
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हात तुझा हातात...... |
अगस्ती |
11 |
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विंदा करंदीकरांच्या विरूपिका - (१) २८ जानेवारी १९८० |
ॐकार |
5 |
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समुद्रपक्षी |
स्वाती दिनेश |
7 |
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नळ आणि सुंदरी |
ऋषिकेश |
10 |
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गोफ - २ |
ऋषिकेश |
19 |
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यातना |
सहज |
17 |
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आपण यांना पाहिलंय का? |
ऋषिकेश |
4 |
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भा.रा.तांबे यांच्या निवडक कविता -२. कळा ज्या लागल्या जीवा |
धोंडोपंत |
9 |
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एडीपस आणि कूटप्रश्न |
धनंजय |
5 |
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भा.रा.तांबे यांच्या निवडक कविता - १. रिकामे मधुघट |
धोंडोपंत |
22 |
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एक दिवस... |
दिनेश५७ |
3 |
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विसरून जायचे तुला |
मनोज |
11 |
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सोडुन गाव मी माझा ... |
मनोज |
10 |
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गोफ |
ऋषिकेश |
52 |