माझ्या कवितेची शाई |
अनन्त्_यात्री |
9 |
शब्दतुला |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
शब्दतुला |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
त्या सुऱ्याची चालही लयदार आहे! |
सत्यजित... |
9 |
निघाला (गजल) |
संदीप-लेले |
16 |
रिक्त प्याल्याच्या तळाशी... |
सत्यजित... |
11 |
कविता |
संदीप-लेले |
0 |
एक बेवारस प्रेत - माझा बाप |
परशु सोंडगे |
12 |
स्पेशल महापुरूष |
परशु सोंडगे |
3 |
अडवाटेवरच देऊळ |
ओ |
1 |
हळव्या खुणा |
चांदणशेला |
0 |
( वरपरीक्षा ) |
रातराणी |
14 |
चेटकीण |
ओ |
7 |
निळाई ... |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
जीवात्मा |
संदीप-लेले |
4 |
सुखाच्या शोधात... |
उपेक्षित |
3 |
अस्पृश्य |
ओ |
6 |
बोललो नाही कधी पण... |
सत्यजित... |
4 |
वधूपरीक्षा |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
निशीगंधाचे उखाणे |
परशु सोंडगे |
0 |
?? नाव सुचले नाही ?? |
इना |
0 |
वायाच एमबी चालली |
फुंटी |
0 |
ढग, पाउस, आठवणी आणि भावना... |
सतिश गावडे |
32 |
कवितेवरची कविता |
चुकलामाकला |
13 |
छळ |
संदीप-लेले |
2 |
विमान |
संदीप-लेले |
6 |
तूच तू... |
ज्योति अळवणी |
7 |
पुन्हा भोन्डला (भोन्डल्याची गाणी ) |
मूखदूर्बळ |
1 |
राधा |
शैलेन्द्र |
16 |
इंद्रजाल |
चांदणशेला |
1 |
ग़ज़ल - म्हटलेच होते |
वेल्लाभट |
18 |
पेटुनी आरक्त संध्या... |
सत्यजित... |
28 |
पात्रामध्ये नदीच्या प्रेते सडूनी गेली ... |
विशाल कुलकर्णी |
18 |
(ग़ज़ल - म्हटलेच होते) |
चतुरंग |
4 |
चलच्चित्र |
संदीप-लेले |
1 |
प्रकाशवाट |
ओ |
1 |
वेदना.. |
राघव |
4 |
मन... जीवन... |
ज्योति अळवणी |
0 |
तो मी नव्हेच |
अनन्त्_यात्री |
4 |
एक 'मळमळ-झल' |
स्वामी संकेतानंद |
2 |
घे भरारी..मन म्हणाले... |
सत्यजित... |
6 |
नकळत |
निनाव |
0 |
शांत समय अन्... |
Pradip kale |
6 |
होऊन आज सूर्य (गझल) |
शार्दुल_हातोळकर |
14 |
तिचे हासणे चांदण्याचा चुरा... |
सत्यजित... |
22 |
तू नभीचा चंद्रमा हो... |
सत्यजित... |
0 |
समांतर |
ओ |
0 |
एकच अमृत घोट मिळावे |
निनाव |
2 |
आदिप्रश्न |
अनन्त्_यात्री |
15 |
दृष्टीकोन |
संदीप-लेले |
0 |
काँग्रेसची आरती-अर्थात काँग्रेसचा बेंडबाजा |
अत्रुप्त आत्मा |
24 |
तुझे रंग |
परशु सोंडगे |
4 |
शून्य.... |
ओ |
0 |
मंद थोडासा तुझा आभास किणकिणतो .. |
drsunilahirrao |
17 |
किमया |
संदीप-लेले |
0 |
रंग |
परशु सोंडगे |
2 |
चंद्र नको , तारे नको |
अभिषेक पांचाळ |
10 |
मिसळपाव |
इरसाल कार्टं |
13 |
मान |
संदीप-लेले |
3 |
झेप |
aanandinee |
1 |
कैद तिच्या डोळ्यात दिगंतर असते .. |
drsunilahirrao |
6 |
आरसा हरवेल तेव्हा ये .. |
drsunilahirrao |
34 |
जसजसे जगणे सुखासिन होत आहे.. |
drsunilahirrao |
4 |
सावल्यांची सरमिसळ होते .. |
drsunilahirrao |
19 |
दु:ख अवघा धृवतारा मागते |
drsunilahirrao |
12 |
अष्टावधानी |
भटकीभिंगरी |
0 |
पागोळ्या |
निराकार गाढव |
9 |
राउळी या मनाच्या |
वेल्लाभट |
38 |
गैरसमज |
संदीप-लेले |
4 |
मी ....अब्जशीर्ष |
अनन्त्_यात्री |
0 |