एक रुबाई किंवा चारोळी |
दत्ता काळे |
13 |
घायाळ हरिणी |
राजा |
0 |
पुढार्यांचे देशभक्ती गीत |
चन्द्रशेखर गोखले |
5 |
...मला आठवण आहे ! |
केशवसुमार |
8 |
जागतिक मंदी |
राजा |
1 |
असचं वाटलं म्हणुन| |
केदार केसकर |
10 |
एक रात्र.. |
प्राजु |
21 |
सांगून जा ... |
मनीषा |
11 |
हिची चाल |
भिडू |
7 |
`अण्णा'न्न दशा! |
आपला अभिजित |
5 |
सोनियाच्या तालावर महाराष्ट्र वारयावर |
कपिल काळे |
4 |
लव लेटर |
कशिद |
6 |
बापू.. |
उपटसुंभ |
10 |
आसाराम बापु |
rahulkransubhe |
8 |
पतंग |
अरुण मनोहर |
7 |
पुन्हा पहिल्या सारखं |
rahulkransubhe |
0 |
आई कसे म्हणु मी... |
rahulkransubhe |
0 |
(भणंग २) |
चतुरंग |
2 |
खेळ खुर्चिचा |
मनोज |
3 |
झुंज त्याची व्यर्थ गेली |
पुष्कराज |
4 |
एक जुनी कविता: सहज आठवली म्हणून |
अविनाश ओगले |
4 |
अरे पुन्हा आयुष्याच्या.. |
बहुगुणी |
1 |
पुरे झाले चंद्र सूर्य! |
केदार केसकर |
1 |
आठवण |
पद्मश्री चित्रे |
14 |
पुन्हा जिवंत परत आले तर |
सुवर्णमयी |
5 |
अजुन मी... |
राघव |
4 |
काही कविता. |
रामदास |
31 |
असेच काहीतरी |
चेतन |
2 |
सुट्टी..! |
संदीप चित्रे |
11 |
पाहिजे एकांत थोडा |
पुष्कराज |
1 |
तू दिलेल्या वेदना |
जयवी |
7 |
बोलायाचे कितीक आहे पण.... |
पुष्कर |
13 |
"तो"- जागतिक एड्स दिना निमित |
sanjubaba |
2 |
कसं काय पाटील बरं हाय का |
उपटसुंभ |
1 |
गोंधळ |
ऋषिकेश |
9 |
(काही कविता) |
चतुरंग |
9 |
सलाम त्या शुराना .....शहिद झालेल्या विराना |
ग्रीष्म |
3 |
(काही कविता का प्रश्न ?) |
चेतन |
0 |
फेसाळत्या सागरतीरी सांज घेते ठाव |
कवटी |
1 |
साजणी आली बघ बहार |
कवटी |
8 |
(कधीच का नाही?) |
चेतन |
1 |
जगायचे जगायचे ! |
पल्लवी |
4 |
जागो मतदार प्यारे |
अनिरुध्द |
0 |
स्वागत |
मुक्तसुनीत |
4 |
हे नाक तुंबलेले (विडंबन) |
सागरलहरी |
1 |
आकार |
द्विज |
7 |
झोपले हे जग |
कवटी |
7 |
पाठीराखा (ही नवीन कविता आहे) |
द्विज |
11 |
लवंगलता एक प्रयत्न |
चेतन |
0 |
खळाळत्या नदीतीरी सांज घेते ठाव |
श्रीकृष्ण सामंत |
6 |
बळी राजा.... |
ग्रीष्म |
1 |
रात्ररंग.. |
प्राजु |
17 |
कष्ट करणार्या " तिला " |
दत्ता काळे |
2 |
कंटाळा..... |
विवेकवि |
8 |
ओढ वादळी ...(लवंगलता छंद) |
मनीषा |
3 |
--- ओढ वादळी ...(सवंगलता छंद) --- |
केशवटुकार |
5 |
हि कार! |
केसुरंगा |
1 |
कधीच नाही |
जयवी |
14 |
काही माणसं |
ग्रीष्म |
9 |
समस्यापूर्ती |
सागरलहरी |
4 |
भुक |
जयेश माधव |
1 |
संक्रांतीच्या शुभेच्छा |
नंदन |
17 |
सासुरवाशीण |
अनंत छंदी |
3 |
रितेपण |
जयवी |
7 |
डोरियन ग्रे |
सुवर्णमयी |
18 |
खेळ दोन ओळींचा - २ |
राघव |
20 |
आठवण.... |
सौरभ वैशंपायन |
8 |
शाक्त पंथीय साधक साधिकांची शक्ति उपासना |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
उद्वेग विसरून कसं चालेल? |
श्रीकृष्ण सामंत |
25 |
हिशोब |
उपटसुंभ |
6 |