चारोळी |
जयेश माधव |
13 |
(अंमळ) |
केशवसुमार |
5 |
मला इश्वर दिसतो आहे ! |
चन्द्रशेखर गोखले |
0 |
सूर्यास्त |
जयवी |
7 |
ओढ |
कौतुक शिरोडकर |
0 |
घनगंध |
सागरलहरी |
2 |
श्री शिवस्तुती |
पुष्कराज |
10 |
तहान |
सागरलहरी |
0 |
तुझा सूर्य मला उसना दे ! |
सागरलहरी |
0 |
अंतीच्या कळान्चे | जिवाला लागीर | |
सागरलहरी |
0 |
महाराज.., शिवछत्रपती अवतरले त्राते | |
सागरलहरी |
8 |
सावर ग स्वतःला ..... |
मितालि |
7 |
( मी लिहिल्यावर पळुनी जातील -- ) |
अमोल केळकर |
9 |
निराकारी रंगारी |
तिमा |
0 |
कशी कोण जाणे |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
काव्यप्रसववेदना |
आपला अभिजित |
4 |
शेवटची रात्र ! |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
(काव्यप्रसववेदना) |
अनामिक |
5 |
पहाट |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
ते पण एक वय असतं |
ashwin joshi |
4 |
te pan ek vay asta |
ashwin joshi |
12 |
मी गेल्यावर वि़झुनी जातील-- |
पुष्कराज |
12 |
मागवेन व्हिस्की, मागवेन ब्रॅंडी..! |
उपटसुंभ |
6 |
आतुर |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
वेणू |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
श्रावण शृंगार (गझल) |
संदीप चित्रे |
12 |
राधा ही बावरी |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
(आड गल्लीतल्या काही कविता) |
चतुरंग |
17 |
तो बेत कालचा मुळीच ठरला नव्हता |
केशवसुमार |
5 |
मी कोण ...... |
चिंतामणराव |
0 |
क्षण |
झेल्या |
0 |
एक भावगीत |
रामदास |
25 |
मराठी शाळेचे भारुड |
विनायक प्रभू |
18 |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
9 |
तिची रुणूझुणू चाल--- |
पुष्कराज |
2 |
व्हॅलेंटाईनच्या निमीत्ताने |
मूखदूर्बळ |
7 |
आई |
ज्याक ऑफ ऑल |
3 |
उन्मुक्त |
जयवी |
21 |
कुणाच्या ह्या वेणा |
नीधप |
28 |
या पाखरांस आता--- |
पुष्कराज |
2 |
प्रेमदिनाची पूर्वसंध्या |
जयवी |
11 |
-गणेश स्तवन- |
अनिरुद्धशेटे |
2 |
कशी येशील कोंदणी??...(व्हॅलेंटाईन डे स्पेशल) |
चतुरंग |
24 |
दुधवाच्या जंगलात मी एक जिवंत वाघ पाहिला |
माझी दुनिया |
9 |
अमृतराय झोपडीत का गेला? |
चतुरंग |
19 |
कधी रे येशील तू... अनामिका.... |
मृगनयनी |
9 |
सजनासाठी... |
अंकुश चव्हाण |
0 |
सुख पुढे वाटे.... |
संध्यानंदन |
0 |
असा ही एक भावानुवाद "हो ना गं आई" |
श्रीकृष्ण सामंत |
13 |
(गंधांच्या उलाढाली) |
चतुरंग |
2 |
अटी शर्थी लागु |
सुचेता |
5 |
एक वेडी आशा |
ज्ञानदा कुलकर्णी |
2 |
मी बोचले म्हणालो |
केशवसुमार |
5 |
कधी असे ... |
मनीषा |
10 |
कोणास ठाऊक कसा पण्...विडंबनात उतरला पिडा... |
शितल |
7 |
अ |
पुष्कराज |
0 |
तुझे सब है पता... चा भावानुवाद |
आचरट कार्टा |
10 |
<म्हणजे...> |
पिवळा डांबिस |
24 |
रासलीला |
पुष्कराज |
3 |
बाम |
केशवसुमार |
6 |
प्रवाह..आणि उत्तर |
प्राजु |
39 |
पण तू मात्र - 2 |
sanjubaba |
6 |
<प्रवाह....आणि उत्तर> |
पिवळा डांबिस |
10 |
((प्रवाह..आणि उत्तर)) |
चतुरंग |
18 |
(चिकट सकाळ) |
बिपिन कार्यकर्ते |
24 |
बिकट सकाळ |
केशवसुमार |
9 |
सोबतीला पाव आहे |
केशवसुमार |
18 |
आलो शरण तुला... |
अंकुश चव्हाण |
1 |
म्हणजे-२ |
केशवसुमार |
13 |
कवनासाठी कोण बरे विहंगाचा कवी |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |