| .....माझा शेतकरी राजा..... | Bhagyashri sati... | 3 | 
          
                  | वाट! | जव्हेरगंज | 7 | 
          
                  | मनातले माझ्या | Bhagyashri sati... | 5 | 
          
                  | स्वप्नातली शामली | दिनु गवळी | 27 | 
          
                  | तुझ्या नकळत | अविनाशकुलकर्णी | 7 | 
          
                  | बंद पडलं.. | अत्रुप्त आत्मा | 41 | 
          
                  | आपली तर काय..... | वपाडाव | 73 | 
          
                  | ( एका पावसात सगळ्यानी अडकायचं ) | अमोल केळकर | 3 | 
          
                  | समाधान ! | खेडूत | 9 | 
          
                  | तुला देव कसं म्हणायचं? | वेल्लाभट | 6 | 
          
                  | मनातले माइ्या | Bhagyashri sati... | 7 | 
          
                  | मला ना तुझ्या प्रेमाचं गणितच कळत नाही, | जगप्रवासी | 23 | 
          
                  | तो नुसता ह्ंसायचा | तिमा | 19 | 
          
                  | गारवा | अविनाशकुलकर्णी | 12 | 
          
                  | .मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. | कानडाऊ योगेशु | 8 | 
          
                  | कविता | आ युष्कामी | 0 | 
          
                  | राहून गेलेलं | पिशी अबोली | 34 | 
          
                  | वाट पहात आहे..... | शिव कन्या | 2 | 
          
                  | आळस | जव्हेरगंज | 2 | 
          
                  | ..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. | कानडाऊ योगेशु | 17 | 
          
                  | उन्हाळ्यातले थेंब (हायकू) | धनंजय | 32 | 
          
                  | देव गाभाऱ्याबाहेर निघाला! | DEADPOOL | 30 | 
          
                  | (किती लौकर आज उजाडलं बाई)............निकोलोडिऑन व्हर्शन | अभ्या.. | 32 | 
          
                  | भूतकाळ सुरु होतो... |  | 1 | 
          
                  | मार्कर | ए ए वाघमारे | 3 | 
          
                  | ..तुझे टाळतो मी अताशा शहर.. | कानडाऊ योगेशु | 5 | 
          
                  | गझल :- जंगलातले नियम इथे लावायचे | स्वामी संकेतानंद | 6 | 
          
                  | हमारी...  अधुरी...... नव्वदोत्तरी.............................. | मारवा | 5 | 
          
                  | सुंदरी काय आहे तुझ्या मनांत? | अविनाशकुलकर्णी | 6 | 
          
                  | वात्रटिका - झिंगाट प्रेम | विवेकपटाईत | 1 | 
          
                  | "व्वा…क्या बात है…!" | अश्विनी वैद्य | 2 | 
          
                  | पावसामधल भंकस  इंद्रधनुष्य | सुशेगाद | 3 | 
          
                  | (या क्वार्टरवेळी) | चतुरंग | 20 | 
          
                  | निशाण | म्हसोबा | 2 | 
          
                  | विस्तारभयास्तव | स्वामी संकेतानंद | 16 | 
          
                  | व्हिडीओ शूट | चाणक्य | 8 | 
          
                  | मायीवाली ग्लोबल कविता | स्वामी संकेतानंद | 24 | 
          
                  | समुद्र | विश्वेश | 5 | 
          
                  | बारा अमावास्यांचे अंधार | पालीचा खंडोबा १ | 8 | 
          
                  | हिरवीन | चांदणे संदीप | 28 | 
          
                  | जेव्हा माझ्या कर्जांना (एका बँकरचे गार्हाणे) - विडंबन | मंदार दिलीप जोशी | 12 | 
          
                  | जीवनाच्या डावपेचांची नसे पत्रास आता .... | विशाल कुलकर्णी | 2 | 
          
                  | निषेध! | जव्हेरगंज | 16 | 
          
                  | ....तेव्हा तू मला फार फार आवडतेस....प्रवास ५ | कानडाऊ योगेशु | 18 | 
          
                  | गेले मोदी कुणीकडे | anilchembur | 22 | 
          
                  | तर्राट झालं जी... | सायकलस्वार | 14 | 
          
                  | ....थांबले ट्राफीक आता... | कानडाऊ योगेशु | 3 | 
          
                  | वेदनेचा गाव | रातराणी | 24 | 
          
                  | निषेध! | जव्हेरगंज | 0 | 
          
                  | निषेध! | जव्हेरगंज | 0 | 
          
                  | चालवायचंच म्हटलं तर... | जव्हेरगंज | 5 | 
          
                  | जीव नांगरटीला आलाय | जव्हेरगंज | 36 | 
          
                  | ..तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस..प्रवास ४ | कानडाऊ योगेशु | 20 | 
          
                  | <मी टाकलेल्या एकूण (धागा)पिंका> | नाखु | 9 | 
          
                  | फक्त तुझ्यामुळेच | bond | 3 | 
          
                  | ..किती लौकरच आज उजाडलं बाई.. | कानडाऊ योगेशु | 11 | 
          
                  | इतक्या सहज नसतं शक्य... | वटवट | 4 | 
          
                  | ..कोणी कसाब झाले,कोणी कलाम झाले.. | कानडाऊ योगेशु | 15 | 
          
                  | <<<माजबुरी है>>> | नाखु | 9 | 
          
                  | < < < मजबूरी है > > > | रातराणी | 10 | 
          
                  | < < मजबुरी है > > | ज्ञानोबाचे पैजार | 39 | 
          
                  | अनुवादः तू भेटतेस अशी.  मूळ कविता: जरूरी है | मिसळलेला काव्यप्रेमी | 38 | 
          
                  | मोबदला | पथिक | 3 | 
          
                  | बायको कोण असते... | निओ | 4 | 
          
                  | ..विचारेन त्यालाच कॉफी चहा.. | कानडाऊ योगेशु | 8 | 
          
                  | < < < < मजबूरी हय > > > > | चांदणे संदीप | 11 | 
          
                  | तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस...! | कानडाऊ योगेशु | 84 | 
          
                  | एक पावसाळी कविता | पथिक | 15 | 
          
                  | नंगा नाचेन मी एक दिवस | पथिक | 56 | 
          
                  | माझा गाव | निलम बुचडे | 9 |