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मौनाला फुटली वाणी!.. |
स्वाती फडणीस |
3 |
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नाच नाच मोरा.. |
स्वाती फडणीस |
5 |
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मैत्रीचं नातं |
सन्दिपरे |
0 |
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सरफरोशी की तमन्ना |
अनिरुद्धशेटे |
3 |
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नाचत गाजत येईल तिचा भाऊराया |
श्रीकृष्ण सामंत |
3 |
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(खायचे आहे कुठे?) |
चतुरंग |
7 |
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प्राजुच्या कल्पनेचा विस्तार ! |
संदीप चित्रे |
10 |
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मी नाही अभ्यास केला |
देवदत्त |
12 |
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(सदैव माणसा, पुढेच जायचे ) |
अमोल केळकर |
0 |
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(टाळतो) |
चतुरंग |
8 |
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पुरस्कार (लघुकथा ) |
अमोल केळकर |
27 |
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जाम कोणी देइ |
धनंजय |
19 |
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पाऊस - बालगीत |
भास्कर केन्डे |
1 |
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मधुशाला - एक मुक्तचिंतन आणि भावानुवाद (भाग १०) |
चतुरंग |
14 |
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मराठी भाषा एक चिरन्तन जीवनप्रवाह |
अनिरुद्धशेटे |
9 |
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आत्मक्लेश२ |
नंदकिशोर साळ्वे |
4 |
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मन |
दत्ता काळे |
3 |
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तुझ्या माझ्यासवे कधी गायचा दाऊदही...! |
उपटसुंभ |
5 |
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आत्मक्लेश |
नंदकिशोर साळ्वे |
1 |
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ते आणि आम्ही |
अजय जोशी |
1 |
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एका सुन्दर मुलीसाठी |
अनिरुद्धशेटे |
4 |
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वाटले की शेवटी होकार झाला |
धनंजय |
20 |
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काटा रुते कुणाला |
अरुण मनोहर |
3 |
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बिहारी कणा .. (कुसुमाग्रजांची क्षमा मागून) |
उपटसुंभ |
6 |
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पटकन एक छोटीशी |
मुक्तसुनीत |
21 |
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चारोळ्यांचा चखणा |
अरुण मनोहर |
8 |
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तू अशी स्वप्नात माझ्या |
अमोल केळकर |
0 |
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आकाश-जमीन |
अमोल केळकर |
5 |
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निरर्थक... |
अजय जोशी |
11 |
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सार काही क्षम्य असतं |
विजुभाऊ |
26 |
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कुणी बेभान म्हणतं मला... |
फटू |
2 |
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(प्रवाह) |
बिनडोक बनी |
8 |
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कका ची बाराखडी (भारूड) |
अरुण मनोहर |
2 |
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ऋण मातीचे.. |
राघव |
13 |
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प्रवाह |
आर्यचाणक्य |
3 |
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(करमणूक) |
चतुरंग |
15 |
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मीही एक मृगजळ |
गिरीराज |
3 |
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आत्मक्लेश |
नंदकिशोर साळ्वे |
2 |
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तूझे येणे....... |
नीता |
2 |
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राख..... |
किरण मल्लाव |
2 |
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राधा |
पद्मश्री चित्रे |
20 |
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दूर पळ दूर पळ |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
11 |
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श्यामसखा. |
सौरभ वैशंपायन |
5 |
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डाव वेळेने साधला |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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विराणी |
यशोधरा |
20 |
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बाप्पा मोरया.. |
स्वाती फडणीस |
1 |
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वाढदिवस म्हणजे |
दिप्ती |
2 |
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(...बोकडाचे खूर काही!) |
चतुरंग |
9 |
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एक छोटी कविता (तक्रारवजा) |
पांथस्थ |
13 |
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एका (पेक्षा एक) कवीं चे मनोगत----! |
मनीषा |
4 |
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कळी संगे निर्दय भोंवरा मधूर गुंजन करतो कसे? |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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जराशी खिडकी उघडा राव..! |
उपटसुंभ |
15 |
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तेंव्हा एक कर! (विडंबन) |
दिप्ती |
3 |
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एक सुरवात व शेवट नसलेली कविता |
दत्ता काळे |
2 |
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भातुकलीच्या खेळामधले, राजा आणिक राणी..... |
मृगनयनी |
6 |
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मन कातर कातर... |
मृगनयनी |
16 |
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ओंडका |
स्वाती फडणीस |
5 |
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आमची मुंबई |
वृषाली |
5 |
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भास |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
42 |
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आमची ही-"मुंबई" |
पद्मश्री चित्रे |
7 |
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सप्तर्षि |
सौरभ वैशंपायन |
10 |
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मातृदिनाच्या निमित्ताने |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
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फांसे |
हेरंब |
1 |
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...आदिम ध्यास... |
स्वाती फडणीस |
4 |
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छायाचित्र क्र. ४ चे परिक्षण |
ऋषिकेश |
6 |
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(लावू कशी पाटी मी दुकानला हो ) |
अमोल केळकर |
0 |
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फोड रे मटका... |
ऋषिकेश |
21 |
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कधी सांगु शकलो नाही तुम्हाला...... |
चिंतामणराव |
1 |
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(...आदिम घास...) |
चतुरंग |
4 |
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झाडाच्या मुळांना मला एकदा विचारायचंय... |
अविनाश ओगले |
3 |