|
बाजारभाव (४-११-२००९) |
Bhagwanta Wayal |
0 |
|
एकटा |
राजा सोव्नी |
4 |
|
दुपट्टा घसरणे वगैरे वगैरे |
गंगाधर मुटे |
54 |
|
दोन माता |
राजा सोव्नी |
14 |
|
वेदना |
रेशा |
8 |
|
गाय आणि वासरु |
राजा सोव्नी |
6 |
|
॥ पगाराचा दिवस॥ |
Bhagwanta Wayal |
5 |
|
संकल्प |
राजा सोव्नी |
5 |
|
तू, मी अन…..!!! |
फिझा |
7 |
|
येशील? |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
36 |
|
शोध....... माझा |
ढंप्या |
8 |
|
शेतकर्याची आत्मह्त्या (फाशी) |
Bhagwanta Wayal |
7 |
|
कविता |
इरसाल |
8 |
|
रात्रीच्या पावसाने |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
14 |
|
अशीही आणि तशीही |
इनिगोय |
32 |
|
भान |
आतिवास |
9 |
|
त्रेधा |
अज्ञातकुल |
2 |
|
अश्वत्थामा |
सुयशतात्या |
3 |
|
प्रेमात धड-पडायचंय |
यसवायजी |
16 |
|
एक कप चहा ...!! |
फिझा |
6 |
|
तुझ्यासह.. तुझ्याविना ... |
विदेश |
2 |
|
कदाचित |
जयवी |
3 |
|
लघु वाल्गुदभारत-भाग ३. |
बॅटमॅन |
19 |
|
नजर |
राजा सोव्नी |
1 |
|
झुक झुक गाडी -(बालकविता) |
विदेश |
3 |
|
" यु आर लेट .. यु फुल ! |
जेनी... |
40 |
|
घराच्या उंब-याला सांग फिरुनी |
सांजसंध्या |
8 |
|
भावओली |
अज्ञातकुल |
14 |
|
अर्धा पूल….. |
फिझा |
3 |
|
ग्रेस ... |
शतदाप्रेमकरावे |
4 |
|
मौनखेळ |
पल्लवी |
15 |
|
रंगुनी रंगात मधुर..... |
निरन्जन वहालेकर |
3 |
|
भगोरिया |
राजा सोव्नी |
6 |
|
वना चे श्लोक |
राजा सोव्नी |
2 |
|
बटाटा |
राजा सोव्नी |
12 |
|
रक्तरंग |
निरन्जन वहालेकर |
3 |
|
लेखणी !! |
फिझा |
3 |
|
दुपारच्या कविता. |
रामदास |
23 |
|
(म्हातारचळ म्हातारचळ) |
चतुरंग |
31 |
|
बुर्खा |
drsunilahirrao |
0 |
|
आठवण... |
अत्रुप्त आत्मा |
35 |
|
(होता खमंग, होता चकणाहि खास बाकी) |
चतुरंग |
16 |
|
लघु वाल्गुदभारत- भाग २. |
बॅटमॅन |
13 |
|
" रविवार आज रविवार -" (बालकविता) |
विदेश |
6 |
|
दुष्काळ |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
23 |
|
कवितेचे शिर्षक आहे: मिठी |
जोशमनिष |
5 |
|
दिवे देत नाही |
सांजसंध्या |
13 |
|
वाड्यातील भांडणे-भाग १ |
अत्रुप्त आत्मा |
57 |
|
पावसाला बोलवायला हवे आता |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
39 |
|
घायाळ पापण्यांनी मैफ़ील सोडताना |
उपटसुंभ |
32 |
|
भीषण दुष्काळ... |
निश |
4 |
|
आई शप्पथ सांगतो... |
यसवायजी |
5 |
|
"माझे विमान - " |
विदेश |
2 |
|
शाळा |
अत्रुप्त आत्मा |
3 |
|
" डराव डराव -" |
विदेश |
1 |
|
एक कप चहा - भाग ३ !! |
फिझा |
6 |
|
एक ओळ फक्त.........! |
Piyush mrudung |
66 |
|
अंत |
क्रान्ति |
36 |
|
कुठेतरी दुरवर |
यश पालकर |
5 |
|
अळी मिळी गुपचिळी |
जयवी |
5 |
|
-पाऊस - |
फिझा |
6 |
|
श्रीराम |
अनिल आपटे |
8 |
|
एक भिंत येथे होती |
सांजसंध्या |
10 |
|
सुदीन |
अज्ञातकुल |
3 |
|
अंकुर |
अज्ञातकुल |
8 |
|
संवाद |
अज्ञातकुल |
4 |
|
वळवथेंब |
अज्ञातकुल |
19 |
|
...बेभान... |
चाणक्य |
2 |
|
हा मानवी मनाचा गुंता कसा सुटेना - |
विदेश |
2 |
|
नास्तिक - भाग २ !! |
फिझा |
5 |