मुका मार अनवरत झेलुनी |
अनन्त्_यात्री |
4 |
बाई पलंगावर बसून होती |
खिलजि |
10 |
लाल करा ओ माझी लाल करा |
खिलजि |
19 |
||हुच्चभ्रूंची कैसी लक्षणे || |
अनन्त्_यात्री |
34 |
रानभेदी..!! |
विशुमित |
6 |
सगळीकडे सारखेच |
चांदणे संदीप |
17 |
निनावी कल्लोळ |
नाखु |
11 |
असाही ऊपदेश |
शाली |
0 |
(साहेब असेच) ठोकत राहा |
खिलजि |
2 |
कविची गाडी |
प्रदीप |
6 |
मी स्वप्न पाहत नाही |
खिलजि |
6 |
जे घडलं प्रेमात माझ्या , ते तुला सांगूनही कधी कळलंच नाही |
खिलजि |
0 |
सालं, आज जीव कासावीस झालाय |
खिलजि |
5 |
तप्त झाली धारा सारी , दहाही दिशा त्या पेटल्या |
खिलजि |
3 |
माझ्या महाराष्ट्राचं गाणं |
अनन्त्_यात्री |
3 |
अनघड शब्दांनो.. |
अनन्त्_यात्री |
4 |
मिणमिणता दिवा. |
Jayant Naik |
4 |
हा असा राम की ज्याच्या हजार सीता |
अनन्त्_यात्री |
0 |
सत्वर |
शिव कन्या |
2 |
हो मी अर्जुन आहे.. |
निओ |
3 |
दिवसातून छप्पन वेळा |
अनन्त्_यात्री |
5 |
रक्त त्या डोळ्यातले सांगा पुसावे मी कसे? |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
दोन भिकारी भीक मागती, पुलाखाली करिती वस्ती |
खिलजि |
16 |
तिच्या कपाळावरचा घामाचा थेम्ब , ओघळून हळुवार हनुवटीपर्यंत आला |
खिलजि |
11 |
आत्मताडनाची कविता..... |
शिव कन्या |
1 |
शीर्षक नाही |
मूखदूर्बळ |
0 |
दंतकथा |
अनन्त्_यात्री |
5 |
हळूहळू साऱ्यांनीच प्रेमाचं दुकान मांडून टाकलं |
खिलजि |
4 |
आठवणींचा कप्पा म्हणजे... |
सत्यजित... |
16 |
जोहार परकीयासी फितुरांचा जोहार __/|__ |
माहितगार |
2 |
गणपत वाणी, सतत मागणी |
शिव कन्या |
11 |
संताप |
कुसुमिता१ |
2 |
परत पेटेल मेणबत्ती |
खिलजि |
0 |
ब्यूटी पार्लर अर्थात यौवनफुफाटा |
शरदिनी |
28 |
रातराणीचे सुगंधी फूल आहे ती! |
सत्यजित... |
13 |
देहाचे भाषांतर |
शिव कन्या |
4 |
उकाड्याची रात्र, भिजलेली दुपार |
हणमंतअण्णा शंकर... |
6 |
हे ही खरंय ! |
फिझा |
6 |
...... कशाला ? |
विशाल कुलकर्णी |
10 |
लेक... |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
असेहि एकदा व्हावे |
खिलजि |
14 |
हाॅकिंगे जे प्रेडिक्टले |
अनन्त्_यात्री |
8 |
गुंतवणूक |
हणमंतअण्णा शंकर... |
8 |
जातस त जाय |
स्वामी संकेतानंद |
13 |
असा पिझ्झा बेस द्या मज आणुनि सजविन मी जो चीझ टॉपिंगज् ने |
चामुंडराय |
6 |
II तिने पेन मागितलं, मी हात दिला II |
खिलजि |
19 |
ती जशी जशी जुनी होत गेली |
खिलजि |
0 |
सलमान भाईचे तुरुंगातील गाणे |
मूखदूर्बळ |
4 |
कधी हसणे,कधी रुसणे... |
सत्यजित... |
0 |
सातोरी |
अनन्त्_यात्री |
2 |
ती पहाट ओली(झालेली! ;) ) |
अत्रुप्त आत्मा |
36 |
कोवळे काही ऋतू... |
सत्यजित... |
7 |
रानवारा... |
विशुमित |
2 |
घुंगरू |
Jayant Naik |
3 |
वादळ |
चांदणशेला |
0 |
लग्नाआधी लिटमसची चाचणी करून घ्यावी |
खिलजि |
3 |
(बार हो) |
प्रसाद गोडबोले |
14 |
प्रेमाचा डाव बघता बघता उधळला |
खिलजि |
4 |
तू पहाट ओली |
परशुराम सोंडगे |
8 |
एक गाणे दूरवरुनी |
अनन्त्_यात्री |
10 |
यारहो ... |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
इंद्रधनुष्य |
चुकार |
0 |
शून्याची महती |
खिलजि |
2 |
आणखी अपहरणे |
माहितगार |
2 |
घरी कधी जायचं? |
चांदणे संदीप |
27 |
अपहरण |
माहितगार |
2 |
पुतळा म्हणजे.... |
प्राची अश्विनी |
50 |
निरगाठ गहनाची |
अनन्त्_यात्री |
0 |
प्रेम रंग |
तृप्ति २३ |
16 |
कशी वाटली आमची दहा बाय दहा ? |
खिलजि |
9 |