एक गाणे दूरवरुनी

अनन्त्_यात्री's picture
अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी...
19 Mar 2018 - 11:46 am

एक गाणे दूरवरुनी, निशिदिनी झंकारते
पैलतीरावरुनी काही ऐलतीरी आणते

हृदयस्पंदी ताल त्याचा, राग त्याचा अनवट
भिनत जातो नाद, मग अनुनाद येतो गर्जत

लय अशी अलवार मजवर प्राणफुंकर घालते
रोमरोमातून काही तरल मग ओसंडते

मुक्तछंदी शब्द, त्यांच्या सावल्या धूसर जरी
अर्थ उलगडती नवेसे ऐकले कितिही तरी

मुक्त कविताकविता

प्रतिक्रिया

प्रचेतस's picture

19 Mar 2018 - 7:36 pm | प्रचेतस

सुंदर

अनन्त्_यात्री's picture

21 Mar 2018 - 10:07 am | अनन्त्_यात्री

धन्यवाद!

यशोधरा's picture

21 Mar 2018 - 10:15 am | यशोधरा

सुंदर!

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

21 Mar 2018 - 3:59 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

व्वाह..

चित्रगुप्त's picture

21 Mar 2018 - 7:15 pm | चित्रगुप्त

कविता आवडली, आणि हे आठवले.

प्राची अश्विनी's picture

21 Mar 2018 - 7:36 pm | प्राची अश्विनी

सुंदर

प्राची अश्विनी's picture

21 Mar 2018 - 7:37 pm | प्राची अश्विनी

सुंदर

अनन्त्_यात्री's picture

22 Mar 2018 - 12:14 pm | अनन्त्_यात्री

सर्वांना धन्यवाद.

पुंबा's picture

23 Mar 2018 - 1:42 pm | पुंबा

अतीशय अलवार कविता!

अनन्त्_यात्री's picture

23 Mar 2018 - 5:22 pm | अनन्त्_यात्री

धन्यवाद!