अशी वाहने येती - ( विडंबन ) |
विदेश |
1 |
या साध्या घरात माझ्या |
सार्थबोध |
8 |
शिमगा |
अज्ञातकुल |
2 |
सद्गदीत |
अज्ञातकुल |
4 |
नजर |
राजा सोव्नी |
1 |
वाटते मजला भिती - (गझल) |
विदेश |
3 |
विरंगुळा |
अज्ञातकुल |
6 |
काळा-गोरा |
सार्थबोध |
7 |
(एका तळ्यात होती) |
मूकवाचक |
31 |
मरण झाले स्वस्त |
Bhagwanta Wayal |
3 |
पाणी लाऊन हजामत |
गंगाधर मुटे |
0 |
तान्हुला |
Bhagwanta Wayal |
10 |
रंजनभ्रमरी |
अज्ञातकुल |
1 |
"गूढ" (बेडसे लेणी-एक गूढानुभव!) |
अत्रुप्त आत्मा |
45 |
काही अठवणी...! |
अत्रुप्त आत्मा |
20 |
कुंपणावरच्या मित्रांसाठी.... |
ऋषिकेश |
56 |
रेषा आणि लढाया |
प्रसाद साळवी |
2 |
स्वतःशी मी कधीतरी आडमुठा वागतो |
वैभव कुलकर्नि |
2 |
रात्रीस उखाणा सुचला |
प्रसाद साळवी |
6 |
एक प्रेमपत्र लिहले होते |
वैभव कुलकर्नि |
0 |
बाकी काही नाही.............. माझी ८वन काढतंय कुणीतरी |
वैभव कुलकर्नि |
0 |
" चिऊ चिऊ चिडकी - " (बालगीत) |
विदेश |
1 |
" आरती कंत्राटदाराची - " |
विदेश |
1 |
ऐक स्त्री जन्मा तुझी कहाणी.. |
टक्कू |
3 |
अनेक ज्योती पेटवणारी, एक पणती मालवली होती |
सार्थबोध |
0 |
मोठीशी आरोळी |
वैभव कुलकर्नि |
2 |
पंढरीचा राया : अभंग |
गंगाधर मुटे |
6 |
बाप.....उर्फ़ वडिल ....!!!!! |
DTPS |
3 |
समर्पण |
सार्थबोध |
4 |
पर्णोपर्णी |
सार्थबोध |
0 |
नार्सिससचा स्वप्नदोष |
नगरीनिरंजन |
8 |
राते- हिंदी रचना आणि भावानुवाद |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
10 |
' ठोकळे ' |
drsunilahirrao |
0 |
कृष्ण तो आतला ... |
आतिवास |
29 |
हायकू - |
विदेश |
2 |
अवनी |
अज्ञातकुल |
1 |
१ प्रश्न |
वैभव कुलकर्नि |
4 |
" धन्य आज दर्शनाने तुझ्या -" |
विदेश |
0 |
" हे असे चालायचेच!! " |
निनाव |
2 |
भिंत |
drsunilahirrao |
2 |
कधीतरी |
वेल्लाभट |
6 |
सासर-पण-माहेर |
Bhagwanta Wayal |
4 |
~देवा आता हार मान तू~ |
वैभव कुलकर्नि |
2 |
झालंया सगळ येगळ आता .. |
वैभव कुलकर्नि |
4 |
गजलेचा अनुवाद |
अज्ञातकुल |
6 |
मांजर, हत्ती, कुत्रा कि चिमणी? |
निनाव |
1 |
पाऊस |
पद्मश्री चित्रे |
15 |
शब्द शब्द |
अज्ञातकुल |
4 |
आकाश |
drsunilahirrao |
2 |
एक सूफी गीत ... |
मूकवाचक |
6 |
माया ही पात्तळ-१"बेशर्त स्वीकृती" |
अत्रुप्त आत्मा |
36 |
" बया आज माझी नसे वात द्याया .." |
विदेश |
11 |
ग बाई तुन्ह नाव शे सुपडाबाई |
पाषाणभेद |
16 |
शेवटी कळले आयुष्य न उलघडणारे कोडे आहे........ |
वैभव कुलकर्नि |
7 |
" आम्ही वारकरी, निघालो पंढरपुरी - " |
विदेश |
1 |
चारोळी |
राजा सोव्नी |
2 |
आधीन |
अज्ञातकुल |
14 |
...शब्द काही |
वेल्लाभट |
10 |
दुष्काळाच्या मरणकळा |
वैभव कुलकर्नि |
3 |
देवा आता हार मान तू |
वैभव कुलकर्नि |
1 |
जिंदगी जम चुकी है अब |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
26 |
चारोळी... |
रसिका तिलेकर |
1 |
न ठहरे किसी मंजिल पर शब होने तक |
निनाव |
13 |
साला एक प्याला , साला एक प्याला |
वैभव कुलकर्नि |
1 |
माझी पहिली कविता |
रसिका तिलेकर |
29 |
माझे ऑफिस |
Bhagwanta Wayal |
10 |
शब्दबेवडा |
गंगाधर मुटे |
8 |
प्रतिबिंब |
निनाव |
7 |
नशिब!!! |
अत्रुप्त आत्मा |
21 |
उंदीर मांजराचा खाऊ |
पाषाणभेद |
16 |