विनायक पन्त in जे न देखे रवी... 16 Feb 2016 - 2:43 pm मेरे बिना वो खुश है तो शिकायत कैसी,अब उसको खुश भी ना देख सकु तो मोहब्बत कैसी... फ्री स्टाइलकविता प्रतिक्रिया आवरा 16 Feb 2016 - 2:46 pm | प्रचेतस आवरा +१ 16 Feb 2016 - 2:52 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे आवरा. -दिलीप बिरुटे धन्यवाद सहानुभूती बद्दल... ;) 16 Feb 2016 - 3:03 pm | विनायक पन्त धन्यवाद सहानुभूती बद्दल... ;) इन्सान अपनेआप मे मजबुर है 16 Feb 2016 - 2:58 pm | होबासराव इन्सान अपनेआप मे मजबुर है बहोत कोइ नहि है बेवफा अफसोस मत करो --बशिर बद्र आता आवरा ;) 16 Feb 2016 - 2:58 pm | होबासराव ;) शिकायत भी है, मोहोब्बत भी है 16 Feb 2016 - 3:06 pm | पिके से पिके तक.. शिकायत भी है, मोहोब्बत भी है ,ये सियासत है कैसी.. सब कुछ सेह लिया अब पत चला ये जिन्दगानी हि है ऐसी...PK व्वाह...! 16 Feb 2016 - 3:14 pm | विनायक पन्त PK याला म्हणतात नाकापेक्शा मोती जड... original post पेक्शा तुझी प्रतिक्रियाच छान होती... :) धागा उडण्यासाठी 'अर्ज' करतो! 16 Feb 2016 - 3:17 pm | शब्दबम्बाळ धागा उडण्यासाठी 'अर्ज' करतो! :P अहो मराठी संस्थळ आहे, राहणार नाही धागा.. जरा रसग्रहण वगैरे टाका जर इतकच लिहायचं असेल तर मोहब्बत शब्दावरून हे गाणं नेहमी आठवतं.. 16 Feb 2016 - 3:19 pm | खेडूत आम्हाला हे गाणे आठवले... पण त्या आधी एक शेर.... 16 Feb 2016 - 3:37 pm | ज्ञानोबाचे पैजार उनके सिर्फ आसपास होने के एहसास से बदन मे दौडने लागता है लाव्हा वो भी हमे देख मुस्कुराती है और बडे प्यार से बोलती है, "कसा आहेस भावा?", पैजारबुवा, लोल! 17 Feb 2016 - 2:34 am | आदूबाळ लोल! ट्रकच्या मागे लिहिलेलं? 16 Feb 2016 - 3:33 pm | कंजूस ट्रकच्या मागे लिहिलेलं? =))))) 16 Feb 2016 - 3:48 pm | अजया =))))) मोहब्बत 17 Feb 2016 - 12:10 am | एकप्रवासी मोहब्बत हर चीज से महोब्बत करवाती है खिलते फुलोंसे, बहती हवावोंसे बाते करवाती है तेरी यादों के नशे मेँ........ 17 Feb 2016 - 4:21 pm | प्रसाद को तेरी यादों के नशे मेँ............. अब चूर हो रहा हूँ............. लिखता हूँ तुम्हेँ और.......... मशहूर मै हो रहा हू........
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16 Feb 2016 - 2:46 pm | प्रचेतस
आवरा
16 Feb 2016 - 2:52 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
आवरा.
-दिलीप बिरुटे
16 Feb 2016 - 3:03 pm | विनायक पन्त
धन्यवाद सहानुभूती बद्दल... ;)
16 Feb 2016 - 2:58 pm | होबासराव
इन्सान अपनेआप मे मजबुर है बहोत
कोइ नहि है बेवफा अफसोस मत करो
--बशिर बद्र
16 Feb 2016 - 2:58 pm | होबासराव
;)
16 Feb 2016 - 3:06 pm | पिके से पिके तक..
शिकायत भी है, मोहोब्बत भी है ,ये सियासत है कैसी..
सब कुछ सेह लिया अब पत चला ये जिन्दगानी हि है ऐसी...PK
16 Feb 2016 - 3:14 pm | विनायक पन्त
PK याला म्हणतात नाकापेक्शा मोती जड...
original post पेक्शा तुझी प्रतिक्रियाच छान होती... :)
16 Feb 2016 - 3:17 pm | शब्दबम्बाळ
धागा उडण्यासाठी 'अर्ज' करतो! :P
अहो मराठी संस्थळ आहे, राहणार नाही धागा..
जरा रसग्रहण वगैरे टाका जर इतकच लिहायचं असेल तर
16 Feb 2016 - 3:19 pm | खेडूत
16 Feb 2016 - 3:37 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
उनके सिर्फ आसपास होने के एहसास से बदन मे दौडने लागता है लाव्हा
वो भी हमे देख मुस्कुराती है और बडे प्यार से बोलती है, "कसा आहेस भावा?",
पैजारबुवा,
17 Feb 2016 - 2:34 am | आदूबाळ
लोल!
16 Feb 2016 - 3:33 pm | कंजूस
ट्रकच्या मागे लिहिलेलं?
16 Feb 2016 - 3:48 pm | अजया
=)))))
17 Feb 2016 - 12:10 am | एकप्रवासी
मोहब्बत हर चीज से महोब्बत
करवाती है
खिलते फुलोंसे, बहती हवावोंसे
बाते करवाती है
17 Feb 2016 - 4:21 pm | प्रसाद को
तेरी यादों के नशे मेँ.............
अब चूर हो रहा हूँ.............
लिखता हूँ तुम्हेँ और..........
मशहूर मै हो रहा हू........