बंधन पद स्वीकृति त्वरे त्वरण
परित्याग कर्तव्यार्थ असे शोषण
प्लावन हे सहाधिकारी ते प्रवण
समयसारणी हे निकट हे स्तरण
पोतनिहाय नव्हे संवृत वर्गीकरण
आकाशग मग कुंडल तंतु भारण
पेशीभारण अभ्यंतर सयंत्र रोपण
बंधन हे मूक कुंडलित अनुकूलन
प्रतिपिंड ऋणाग्र भाव का अकरण
ग्राभित विदरण का विरुप निःशोण
रक्त विलयक नि प्रवाह प्रतिरुपण
संमीलनीत स्फुल्लिंग निग रोपण
विद्रधि युद्ध-संरूपणात हो संपादन
वेदन प्रतितलीत बिंदुचे साक्षांकन
कंकोळ असे कंप्रता नियंत्री धारण
अभिनति दे अर्धपद्धति दे दणादण
प्रतिक्रिया
21 Jan 2015 - 6:13 am | जेपी
=))
दणादण प्रतिसादांच्या प्रतिक्षेत. =))
21 Jan 2015 - 6:54 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
खपलो. =))
-दिलीप बिरुटे
21 Jan 2015 - 8:41 am | अत्रुप्त आत्मा
21 Jan 2015 - 11:21 am | सस्नेह
स्मायली लै आवडली !
21 Jan 2015 - 8:52 am | चुकलामाकला
हे उच्च धूम्रपेशी मस्तिष्क व्यक्ती तव महन् बुध्यांक जाणून
वयम बहुसामान्य जन आलो तव् चरण शरण
21 Jan 2015 - 11:24 am | सस्नेह
धाव माउली शब्दार्थासह स्पष्टीकरण रसग्रहण करी त्वरी !
22 Jan 2015 - 7:08 am | मदनबाण
सकाळी सकाळी असे धागे वाचले गेल्यास मला दिवसभर गरगरत !
मदनबाण.....
आजची स्वाक्षरी :- Oi Amma Oi Amma... ;) - { Mawaali }
22 Jan 2015 - 8:21 am | स्पंदना
मर्हाटीत लिवाया काय व्हतय? ऑ?
*dirol*
22 Jan 2015 - 11:12 am | पैसा
व्यष्टीपासून समष्टीपर्यंतच्या प्रवासातला एक परिस्थितीशरण थांबा! याचे निरुपण शब्दात करणं लै कठीण बावा!!
22 Jan 2015 - 12:36 pm | नाखु
आता याचे खंडकाव्य लिहायला घे ! जालीय शिक्षेत वाचायला लावू हा.का.ना.का.
मूळ अवांतर : अचंभीत्/संभ्रमीत (आकाशपाळणा) अवस्थानुभव.
24 Jan 2015 - 3:09 pm | गणेशा
काहिच अर्थभेद झाला नाही