बालकथा -लाडकं पाखरू
बालकथा -लाडकं पाखरू
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दिवस चांगला वर आला होता . दिन्या आळोखे - पिळोखे देत उठला . उठल्याबरोबर त्याने उशापासली गलोल चाचपली .
दिन्याची आई चुलीपाशी बसली होती . उन्हाळ्याचे दिवस होते . गरम होत होतं अन चुलीपाशी तर जास्तच .तिने दिन्याला पाहिलं व ती म्हणाली , “ दिनू , लवकर आवर बाळा . मला शेतात जायाचं .बा गेलाय ना फुडं .”