थेंब

पद्मश्री चित्रे's picture
पद्मश्री चित्रे in जे न देखे रवी...
20 Jul 2014 - 4:00 pm

संथ पाउस पडतो
झाडे,कौले भिजवीत
जणू स्वप्न उतरते
जडावल्या पापणीत....
झाडे चिंब शहारली
पक्षी मिटत पंखात
शांत दुपार पेंगते
थेंब थेंब न्याहळत...
ओल्या लाल कौलांवर
मंद पावसाचा सूर
हिरव्या कंच शेतावर
संथ थेंबांचा पदर...
ओला वास रानीवनी
ढग पाण्यात वाहात
भोवताल सारे स्तब्ध
थेंब एकटे गातात....

शांतरसकविता

प्रतिक्रिया

अत्रुप्त आत्मा's picture

20 Jul 2014 - 4:46 pm | अत्रुप्त आत्मा

शेवटाला...जोरदार सरी नंतरची..शांतता अनुभवाला आली.

बाकी ठीक!

एस's picture

21 Jul 2014 - 11:29 am | एस

छान आहे कविता. शेवटच्या दोन ओळी खासच.

कवितानागेश's picture

21 Jul 2014 - 12:49 pm | कवितानागेश

सुंदर शब्दचित्र.

स्पंदना's picture

22 Jul 2014 - 1:13 pm | स्पंदना

येस्स! शब्दचित्र!

मंदार दिलीप जोशी's picture

22 Jul 2014 - 12:40 pm | मंदार दिलीप जोशी

वाह

सूड's picture

22 Jul 2014 - 6:31 pm | सूड

>>ओला वास रानीवनी
ढग पाण्यात वाहात
भोवताल सारे स्तब्ध
थेंब एकटे गातात....

भीमाशंकरला आलेल्या अनुभवाचं चित्रण या चार ओळीत बद्ध झाल्यासारखं वाटलं.

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

22 Jul 2014 - 6:37 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

अतिशय सुंदर... खुपच आवडली.

यशोधरा's picture

22 Jul 2014 - 7:25 pm | यशोधरा

काय सुरेख!

प्यारे१'s picture

22 Jul 2014 - 10:56 pm | प्यारे१

छानच!

वेल्लाभट's picture

25 Jul 2014 - 11:07 am | वेल्लाभट

आहा ! क्या बात ! प्रत्येक ओळीला असं एक एक चित्र दिसलं आणि शेवटच्या ओळीला ती सगळी चित्र कन्सॉलिडेट होऊन एक चित्र स्थिर उभं राहिलं डोळ्यासमोर....

psajid's picture

25 Jul 2014 - 3:26 pm | psajid

वा खुप छान कविता

अजया's picture

25 Jul 2014 - 3:47 pm | अजया

खरच शब्दचित्र! आवडलं.