सागरलहरी in जे न देखे रवी... 20 Apr 2017 - 9:49 am सावली ही लांबली चौकटीशी थांबली दूर दिसते मेघमाला वीज कोठे गुंतली धग पून्हा निखा-याला राख ज्याची राहिली .. सागरलहरी कविता प्रतिक्रिया छान 20 Apr 2017 - 11:21 am | अत्रुप्त आत्मा छान
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20 Apr 2017 - 11:21 am | अत्रुप्त आत्मा
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